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'परमहंस विद्यापीठ' नाम की संस्था, 5000 नकली डिग्री बरामद... ऐसे हुआ फर्जीवाड़े का भंडाफोड़

क्राइम ब्रांच के हेड कांस्टेबल हरेंद्र मलिक को जानकारी मिली कि दिल्ली-एनसीआर में कुछ एजुकेशनल इंस्टीट्यूट छात्रों से मोटी रकम लेकर फर्जी डिग्रियां और बैकडेटेड सर्टिफिकेट दे रहे हैं. शुरुआती जांच में कुछ कोचिंग सेंटर के मालिकों और विश्वविद्यालय से जुड़े कर्मचारियों की भूमिका सामने आई है.

'परमहंस विद्यापीठ' नाम की संस्था, 5000 नकली डिग्री बरामद... ऐसे हुआ फर्जीवाड़े का भंडाफोड़
नई दिल्ली:

दिल्ली में क्राइम ब्रांच की इंटर-स्टेट सेल (ISC) ने फर्जी डिग्री और मार्कशीट बनाने वाले एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ किया है. इस मामले में अब तक 5 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और सैकड़ों फर्जी दस्तावेज बरामद हुए हैं. छापेमारी में पुलिस ने 228 फर्जी मार्कशीट्स, 27 फर्जी डिग्री सर्टिफिकेट, 20 फर्जी माइग्रेशन सर्टिफिकेट, 6 लैपटॉप और 20 मोबाइल फोन जब्त किए हैं.

कैसे हुआ खुलासा?
क्राइम ब्रांच के हेड कांस्टेबल हरेंद्र मलिक को जानकारी मिली कि दिल्ली-एनसीआर में कुछ एजुकेशनल इंस्टीट्यूट छात्रों से मोटी रकम लेकर फर्जी डिग्रियां और बैकडेटेड सर्टिफिकेट दे रहे हैं. शुरुआती जांच में कुछ कोचिंग सेंटर के मालिकों और विश्वविद्यालय से जुड़े कर्मचारियों की भूमिका सामने आई है.

NSP से पकड़ा गया मास्टरमाइंड
पुलिस टीम ने विक्की हरजानी नाम के आरोपी को नेताजी सुभाष प्लेस (NSP) से गिरफ्तार किया. वह “परमहंस विद्यापीठ” नाम का फर्जी संस्थान चलाता था। उसकी कार और ऑफिस से 75 फर्जी शैक्षणिक दस्तावेज़ मिले, जिन पर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल, राजस्थान, गुजरात, सिक्किम, मेघालय और तमिलनाडु की यूनिवर्सिटीज़ के नाम थे.

गिरफ्तार आरोपियों के नाम

  • विवेक गुप्ता – नोएडा में 6-7 सेंटर चलाता है, पहले भी केस में शामिल रह चुका है
  • सतबीर सिंह – फरीदाबाद में “गुरुकुल एजुकेशन सेंटर” चलाता है
  • नारायण  – बिहार से ऑपरेट करता है, दिल्ली में भी पैर जमाने की कोशिश
  •  अवनीश कंसल – बी.टेक पास, इस समय जयपुर सेंट्रल जेल में बंद, राजस्थान में दो केस पहले से दर्ज

रैकेट का तरीका

ये लोग व्हाट्सऐप, टेलीग्राम, फेसबुक और ट्विटर पर छात्रों को विज्ञापन भेजते थे. साथ ही स्कूलों, कोचिंग सेंटरों और कॉलेजों के बाहर पर्चे बांटे जाते थे. छात्रों को UGC से मान्यता प्राप्त कोर्सों में एडमिशन और बैकडेट डिग्रियों का लालच दिया जाता था. छात्रों से नाम, डॉक्यूमेंट और पैसे लेकर, ये लोग कंप्यूटर से हूबहू असली जैसे दिखने वाले डिग्री और मार्कशीट बनाते थे. फर्जी पहचान और फेक नामों का इस्तेमाल कर ये गैंग लंबे वक्त से पुलिस की नजर से बचते आ रहे थे.

जब्त दस्तावेजों से हुआ बड़ा खुलासा

जांच में मिले लैपटॉप और मोबाइल से पता चला कि इनके पास 5000 से ज्यादा फर्जी डिग्री और मार्कशीट की सॉफ्ट कॉपी पहले से मौजूद थी. ये डॉक्यूमेंट्स BA, BSc, B.Com, B.Tech, B.Ed, MBA, MA जैसे कोर्सों के थे. जांच में पता चला है कि इस रैकेट से 20 से 25 कोचिंग सेंटर जुड़े हैं, जो छात्रों की जरूरत के हिसाब से उन्हें डिग्रियां बनवाकर देते थे. पुलिस की जांच जारी है और उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इस रैकेट से जुड़ी और गिरफ्तारियां और खुलासे हो सकते हैं.

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