17 साल की बेटी को उम्मीद थी कि उच्च शर्करा स्तर और बुखार की वजह से 16 अप्रैल को सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराए गए उसके पिता जल्द ही वापस लौट आएंगे लेकिन अगले ही दिन उनकी मौत हो गई और बाद में यह पाया गया कि वह कोरोना वायरस से संक्रमित थे. बेटी, उसकी मां और दो अन्य रिश्तेदारों की भी कोरोना वायरस संक्रमण के लिये जांच की गई और जांच के नतीजों का अभी इंतजार है. अस्पताल ने 19 अप्रैल को परिवार को बताया कि वह कोविड-19 पीड़ित थे और उनका अंतिम संस्कार उसकी तरफ से किया जाएगा क्योंकि ऐहतियात न बरता जाए तो संक्रमण और फैल सकता है.
भाई-बहनों में सबसे बड़ी रीता ने कहा, “हम में से कोई भी आखिरी बार उनका चेहरा तक नहीं देख पाया.” पीड़ित मरीज के मुंह से 17 अप्रैल को दिन में 11 से 12 बजे के बीच नमूने लिये गए थे. परिवार के सदस्यों ने कहा कि करीब 12 घंटों में ही उनकी स्थिति बिगड़ गई और उनकी मौत हो गई. पीड़ित के एक रिश्तेदार ने बताया कि अस्पताल में भर्ती कराए जाने के अगले ही दिन उनकी स्थिति बिगड़ गई थी.
उनका शव 19 अप्रैल तक अस्पताल में ही रखा गया जब उनकी कोरोना वायरस रिपोर्ट आई. उनमें कोरोना वायरस संक्रमण की पुष्टि हुई थी. उन्होंने कहा, “अस्पताल ने हमें बताया कि अंतिम संस्कार का काम वो करेंगे और हमें शव के पास जाने की इजाजत नहीं होगी. उनके शव को प्लास्टिक से लपेटा गया था (संक्रमण का प्रसार रोकने के लिये अपनाया जाने वाला तरीका).”
उन्होंने कहा कि पीड़ित की पत्नी दो दिनों तक अस्पताल में उनके साथ थी. जब 19 अप्रैल को पीड़ित की रिपोर्ट आई तो उसके बाद मरीज के घरवालों और रिश्तेदारों की भी कोरोना वायरस जांच की गई. जांच में उनमें संक्रमण नहीं मिला.
शव को निगमबोध घाट ले जाया गया और अंतिम संस्कार किया गया. घाट पर विद्युत शवदाहगृह है और कोविड-19 मरीजों का अंतिम संस्कार वहीं किया जा रहा है. पीड़ित के रिश्तेदार ने कहा, “सिर्फ मेरे एक रिश्तेदार को अंतिम संस्कार में जाने की इजाजत दी गई और वह भी दूर से क्योंकि संक्रमण के फैलने का डर था.”
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में अब तक कोरोना वायरस संक्रमण के 3,439 मामले सामने आ चुके हैं और 56 लोगों की इससे जान जा चुकी है. राष्ट्रीय राजधानी में 1,029 लोग इस महामारी से ठीक भी हो चुके हैं.
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