नई दिल्ली:
दिल्ली की एक अदालत ने हत्या के एक मामले में 'दोषपूर्ण और दुर्भावनापूर्ण' जांच के लिए दिल्ली के एक पुलिस अधिकारी के खिलाफ उचित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अजय कुमार जैन ने एक व्यक्ति को आग लगाने के मामले में दो आरोपियों को बरी करते हुए, मृत्यु पूर्व दिए गए बयान को अविश्वसनीय बताया और उसे अस्वीकार कर दिया. उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस घटना के पीछे उद्देश्य को साबित करने में नाकाम रही है.
न्यायाधीश ने कहा कि सभी तथ्यों को देखते हुए, स्वतंत्र गवाह की गवाही, सीसीटीवी फुटेज, मृत्यु पूर्व दिया गया बयान, जो भरोसा करने योग्य नहीं है, बयान देने के लिए घायल व्यक्ति की फिटनेस के संबंध में संदेहपूर्ण तस्दीक और मेडिकल रिपोर्ट का संदेहपूर्ण इतिहास - अभियोजन पक्ष कोई भी उद्देश्य साबित करने में नाकाम रहा है.
उन्होंने कहा, "यह अदालत उप निरीक्षक आशिक अली द्वारा की गई जांच की प्रकृति पर टिप्पणी करने के लिए भी बाध्य है... उनके द्वारा की गई जांच न सिर्फ दोषपूर्ण पाई गई, बल्कि दुर्भावनापूर्ण भी है, इसलिए संबंधित विभाग को मामले को देखने और उसके खिलाफ न्यायोचित कार्रवाई करने के निर्देश दिए जाते हैं..."
अभियोजन पक्ष के अनुसार, 30 अगस्त, 2013 को आरोपियों ने ऑटो खरीदने को लेकर हुए पैसे के विवाद में दक्षिण दिल्ली के सिनेमा हॉल के निकट सतीश नाम के व्यक्ति पर कथित तौर पर केरोसिन छिड़ककर उसे आग लगा दी थी. जांच अधिकारी ने 99 प्रतिशत जल चुके सतीश का मृत्यु पू़र्व बयान पेश किया था, जिसे अदालत ने अस्वीकार कर दिया.
आरोपियों के वकील ने दलील दी थी कि मृत्यु पू़र्व बयान जांच अधिकारी ने लिखा था. वकील ने कहा कि उक्त व्यक्ति आरोपियों के खिलाफ एक पुराने मामले में हार गया था, जिसके बाद उसने आत्महत्या कर ली थी.
(इनपुट भाषा से भी)
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अजय कुमार जैन ने एक व्यक्ति को आग लगाने के मामले में दो आरोपियों को बरी करते हुए, मृत्यु पूर्व दिए गए बयान को अविश्वसनीय बताया और उसे अस्वीकार कर दिया. उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस घटना के पीछे उद्देश्य को साबित करने में नाकाम रही है.
न्यायाधीश ने कहा कि सभी तथ्यों को देखते हुए, स्वतंत्र गवाह की गवाही, सीसीटीवी फुटेज, मृत्यु पूर्व दिया गया बयान, जो भरोसा करने योग्य नहीं है, बयान देने के लिए घायल व्यक्ति की फिटनेस के संबंध में संदेहपूर्ण तस्दीक और मेडिकल रिपोर्ट का संदेहपूर्ण इतिहास - अभियोजन पक्ष कोई भी उद्देश्य साबित करने में नाकाम रहा है.
उन्होंने कहा, "यह अदालत उप निरीक्षक आशिक अली द्वारा की गई जांच की प्रकृति पर टिप्पणी करने के लिए भी बाध्य है... उनके द्वारा की गई जांच न सिर्फ दोषपूर्ण पाई गई, बल्कि दुर्भावनापूर्ण भी है, इसलिए संबंधित विभाग को मामले को देखने और उसके खिलाफ न्यायोचित कार्रवाई करने के निर्देश दिए जाते हैं..."
अभियोजन पक्ष के अनुसार, 30 अगस्त, 2013 को आरोपियों ने ऑटो खरीदने को लेकर हुए पैसे के विवाद में दक्षिण दिल्ली के सिनेमा हॉल के निकट सतीश नाम के व्यक्ति पर कथित तौर पर केरोसिन छिड़ककर उसे आग लगा दी थी. जांच अधिकारी ने 99 प्रतिशत जल चुके सतीश का मृत्यु पू़र्व बयान पेश किया था, जिसे अदालत ने अस्वीकार कर दिया.
आरोपियों के वकील ने दलील दी थी कि मृत्यु पू़र्व बयान जांच अधिकारी ने लिखा था. वकील ने कहा कि उक्त व्यक्ति आरोपियों के खिलाफ एक पुराने मामले में हार गया था, जिसके बाद उसने आत्महत्या कर ली थी.
(इनपुट भाषा से भी)
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