दिल्ली हाईकोर्ट ने आप नेताओं द्वारा याचिका को रद्द कर अरुण जेटली मानहानि केस को चलाए रखने का फैसला सुनाया है (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की मानहानि केस में दिल्ली हाईकोर्ट ने आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा की याचिका पर अपना फैसला सुनाया दिया है. यह मामला केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली पर किए गए ट्वीट को रीट्वीट करने का है, जिसके लिए जेटली ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत आप नेताओं पर मानहानि का मुकदमा दायर कर रखा है.
राघव की तरफ से कहा गया था कि उन्हें डीडीसीए विवाद में केंद्रीय मंत्री अरूण जेटली के खिलाफ अरविंद केजरीवाल के ट्वीट को केवल रीट्वीट करने पर आपराधिक मामले का आरोपी नहीं बनाया जा सकता. इस फैसले के आने के बाद यह चीज साफ हो गई है कि सोशल मीडिया के तहत आने वाली किन चीजों को दोबारा आगे किया जा सकता है या नहीं. इसके अलावा किसी ऐसे ट्वीट पर जिसको लेकर पहले से ही मामला कोर्ट में विचारधीन हो, को रीट्वीट किया जाना चाहिए या नहीं.
पढ़ें: AAP के राघव चड्ढा की सुप्रीम कोर्ट में दलील- मैंने तो सिर्फ अरविंद केजरीवाल के ट्वीट को री-ट्वीट किया था
पिछले दिनों दिल्ली हाईकोर्ट ने जेटली और चड्ढा की तरफ से तीन घंटे तक इस बारे में दलीलें सुनने के बाद मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. अदालत ने इस बारे में दलीलें सुनीं कि रीट्वीट करना किसी टिप्पणी के पुन:प्रकाशन के बराबर है या नहीं और ऐसे मामले सूचना एवं प्रौद्योगिकी कानून के दायरे में आएंगे या नहीं.
पढ़ें: अरुण जेटली मानहानि मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने अरविंद केजरीवाल पर लगाया 5000 रुपये जुर्माना
चड्ढा की ओर से वकील आनंद ग्रोवर ने कहा था कि पूरी शिकायत इलेक्ट्रानिक रूप से डाउनलोड रिकॉर्ड और एक समाचार पर आधारित है और आईपीसी के तहत मानहानि का अपराध नहीं बनता है. उन्होंने कहा कि अगर यह इलेक्ट्रानिक रिकॉर्ड है तो यह सूचना एवं प्रौद्योगिकी कानून के दायरे में होगा. इस मामले में राघव के खिलाफ दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत ने समन जारी करने का आदेश दिया है. इसको निरस्त करने के लिए राघव ने पहले सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
VIDEO: नेताओं में मानहानि की होड़ क्यों मची?
राघव चड्ढा की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दलील की गई थी कि उन पर आपराधिक मानहानि का मुकदमा सिर्फ इसलिए चल रहा है क्योंकि उन्होंने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के कथिततौर पर आपत्तिजनक कहे जा रहे ट्वीट को रिट्वीट किया था. उन्होंने कहा कि सिर्फ रिट्वीट करने के आधार पर आपराधिक मानहानि का मामला नहीं बनता, ये आईटी एक्ट के दायरे में आएगा.
दरअसल केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने डीडीसीए में घोटाले के आरोप लगाने पर अरविंद केजरीवाल, राघव चड्ढा के अलावा कुमार विश्वास, आशुतोष, संजय सिंह और दीपक वाजपेयी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज कराया था. इस मामले में पटियाला हाउस कोर्ट ने सभी को बतौर आरोपी समन जारी किए थे. बाद में आरोपियों ने कोर्ट से जमानत ले ली थी. इसके अलावा अरूण जेटली ने दिल्ली हाईकोर्ट में दस करोड़ रुपये के सिविल मानहानि का मामला भी दाखिल कराया है.
राघव की तरफ से कहा गया था कि उन्हें डीडीसीए विवाद में केंद्रीय मंत्री अरूण जेटली के खिलाफ अरविंद केजरीवाल के ट्वीट को केवल रीट्वीट करने पर आपराधिक मामले का आरोपी नहीं बनाया जा सकता. इस फैसले के आने के बाद यह चीज साफ हो गई है कि सोशल मीडिया के तहत आने वाली किन चीजों को दोबारा आगे किया जा सकता है या नहीं. इसके अलावा किसी ऐसे ट्वीट पर जिसको लेकर पहले से ही मामला कोर्ट में विचारधीन हो, को रीट्वीट किया जाना चाहिए या नहीं.
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पिछले दिनों दिल्ली हाईकोर्ट ने जेटली और चड्ढा की तरफ से तीन घंटे तक इस बारे में दलीलें सुनने के बाद मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. अदालत ने इस बारे में दलीलें सुनीं कि रीट्वीट करना किसी टिप्पणी के पुन:प्रकाशन के बराबर है या नहीं और ऐसे मामले सूचना एवं प्रौद्योगिकी कानून के दायरे में आएंगे या नहीं.
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चड्ढा की ओर से वकील आनंद ग्रोवर ने कहा था कि पूरी शिकायत इलेक्ट्रानिक रूप से डाउनलोड रिकॉर्ड और एक समाचार पर आधारित है और आईपीसी के तहत मानहानि का अपराध नहीं बनता है. उन्होंने कहा कि अगर यह इलेक्ट्रानिक रिकॉर्ड है तो यह सूचना एवं प्रौद्योगिकी कानून के दायरे में होगा. इस मामले में राघव के खिलाफ दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत ने समन जारी करने का आदेश दिया है. इसको निरस्त करने के लिए राघव ने पहले सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
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राघव चड्ढा की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दलील की गई थी कि उन पर आपराधिक मानहानि का मुकदमा सिर्फ इसलिए चल रहा है क्योंकि उन्होंने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के कथिततौर पर आपत्तिजनक कहे जा रहे ट्वीट को रिट्वीट किया था. उन्होंने कहा कि सिर्फ रिट्वीट करने के आधार पर आपराधिक मानहानि का मामला नहीं बनता, ये आईटी एक्ट के दायरे में आएगा.
दरअसल केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने डीडीसीए में घोटाले के आरोप लगाने पर अरविंद केजरीवाल, राघव चड्ढा के अलावा कुमार विश्वास, आशुतोष, संजय सिंह और दीपक वाजपेयी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज कराया था. इस मामले में पटियाला हाउस कोर्ट ने सभी को बतौर आरोपी समन जारी किए थे. बाद में आरोपियों ने कोर्ट से जमानत ले ली थी. इसके अलावा अरूण जेटली ने दिल्ली हाईकोर्ट में दस करोड़ रुपये के सिविल मानहानि का मामला भी दाखिल कराया है.
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