फाइल फोटो
नई दिल्ली:
दिल्ली-एनसीआर में फिलहाल प्रदूषण से हालात काफी बुरे हैं. लेकिन आनंद विहार और आसपास के इलाके में प्रदूषण से हवा में घुले जहर का आलम साल भर एक जैसा ही रहता है.
आनंद विहार के पास रहने की कीमत सबसे ज्यादा बच्चों को चुकानी पड़ रही है. यहां बहुत से बच्चों को नेबुलाइजर लगाना पड़ रहा है. कौशाम्बी (गाजियाबाद) जो कि आनंद विहार बस अड्डे से सिर्फ 280 मीटर दूर है, प्रदूषण से सबसे ज़्यादा प्रभावित है.
WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार यह विश्व के कुछ सबसे प्रदूषित इलाकों में से एक है. यहां साल भर प्रदूषण से हालात बेहद खराब रहते हैं. इसके कई कारण हैं :- आनंद विहार बस अड्डा, साहिबाबाद औद्योगिक क्षेत्र, पटपड़गंज औद्योगिक क्षेत्र, गाजीपुर के कूड़े के पहाड़ से नजदीकी, कई राज्यों से आने वाली बसें आदि.
NGT के दखल के बाद आनंद विहार बस अड्डे को पक्का तो किया जा रहा है, लेकिन सिर्फ इस पहल से राहत मिलने की उम्मीद नहीं है. आलम ये है कि लोग अपने घरों में भी मास्क पहन कर रहते हैं. जानकारों की मानें तो यहां रहने वाले हर रोज 25 सिगरेट जितना धुआं अपने अंदर ले रहे हैं.
आनंद विहार के पास रहने की कीमत सबसे ज्यादा बच्चों को चुकानी पड़ रही है. यहां बहुत से बच्चों को नेबुलाइजर लगाना पड़ रहा है. कौशाम्बी (गाजियाबाद) जो कि आनंद विहार बस अड्डे से सिर्फ 280 मीटर दूर है, प्रदूषण से सबसे ज़्यादा प्रभावित है.
WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार यह विश्व के कुछ सबसे प्रदूषित इलाकों में से एक है. यहां साल भर प्रदूषण से हालात बेहद खराब रहते हैं. इसके कई कारण हैं :- आनंद विहार बस अड्डा, साहिबाबाद औद्योगिक क्षेत्र, पटपड़गंज औद्योगिक क्षेत्र, गाजीपुर के कूड़े के पहाड़ से नजदीकी, कई राज्यों से आने वाली बसें आदि.
NGT के दखल के बाद आनंद विहार बस अड्डे को पक्का तो किया जा रहा है, लेकिन सिर्फ इस पहल से राहत मिलने की उम्मीद नहीं है. आलम ये है कि लोग अपने घरों में भी मास्क पहन कर रहते हैं. जानकारों की मानें तो यहां रहने वाले हर रोज 25 सिगरेट जितना धुआं अपने अंदर ले रहे हैं.
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