वेस्टइंडीज की अंडर-19 टीम (फोटो : ICC)
वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम को महान तेज गेंदबाज कॉर्टनी वाल्श की खेल भावना के लिए जाना जाता है, लेकिन इसी वेस्टइंडीज की जूनियर टीम को मंगलवार की एक घटना को लेकर आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। गौरतलब है कि वेस्टइंडीज ने अंडर-19 वर्ल्ड कप में मंगलवार को बेहद तनावपूर्ण परिस्थितियों में विवादास्पद ‘मांकड़ आउट' नियम का सहारा लेकर जिम्बाब्वे को दो रन हराकर क्वार्टर फाइनल में प्रवेश कर लिया। जिम्बाब्वे के सामने 227 रन का लक्ष्य था और आखिरी ओवर में उसे केवल तीन रन की दरकार थी और उसका केवल एक विकेट बचा था। ऐसे में वेस्टइंडीज के मध्यम गति के गेंदबाज कीमो पाल ने 50वें ओवर की पहली गेंद पर रिचर्ड नगरावा को गेंद पड़ने से पहले रन लेने के लिये आगे बढ़ने की सजा रनआउट (मांकड़िंग) के रूप में दे दी।
यह है 'मांकड़ आउट'
यदि गेंदबाज गेंद फेंकने के दौरान गेंदबाजी छोर पर खड़े बल्लेबाज के क्रीज छोड़ देने पर गेंद फेंकने से पहले रनआउट कर देता है तो उसे 'मांकड़ आउट' कहते हैं।
आउट करने का यह तरीका पहली बार 13 दिसंबर, 1947 को टीम इंडिया के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर चर्चा में आया था। हुआ यह था कि इस दौरे में सिडनी में खेले गए दूसरे टेस्ट में टीम इंडिया के गेंदबाज वीनू मांकड़ ने पहली बार इस तरीके से किसी बल्लेबाज को आउट किया था। मांकड़ के शिकार बने थे ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज बिल ब्राउन। तभी से आउट करने के इस तरीके को अनौपचारिक रूप से 'मांकड़ आउट' कहा जाने लगा।
जब वाल्श ने 'मांकड आउट' नहीं करके दिया था खेल भावना का परिचय
आज जिस वेस्टइंडीज टीम की खेल भावना का परिचय नहीं देने के लिए आलोचना हो रही है, उसी के महान गेंदबाज कॉर्टनी वाल्श 1987 में खेल भावना की अनूठी मिसाल कायमकर सबके चहेते बन गए थे।
1987 के वर्ल्ड कप में लाहौर में पाकिस्तान और वेस्टइंडीज के बीच खेले गए महत्वपूर्ण मैच में कॉर्टनी वाल्श की खेल भावना को कौन भूल सकता है। हालांकि वेस्टइंडीज को इसकी कीमत सेमीफाइनल से बाहर होने के रूप में चुकानी पड़ी।
हुआ यह था कि इस महत्वपूर्ण मैच में पाकिस्तान को अंतिम गेंद पर दो रन चाहिए थे, जबकि उसका एक ही विकेट बाकी था। अब्दुल कादिर स्ट्राइक पर थे और सलीम जाफर दूसरे छोर पर थे। कॉर्टनी वाल्श गेंद फेंकते समय अचानक रुक गए। दरअसल जाफर गेंदबाजी छोर पर क्रीज के बाहर चले गए थे। ऐसे में सबकी नजरें वाल्श पर टिक गईं। हालांकि वाल्श ने खेल भावना का परिचय देते हुए जफर को महज चेतावनी देकर छोड़ दिया। बाद में कादिर ने अंतिम गेंद पर आवश्यक रन जुटा लिए और वेस्टइंडीज की टीम सेमीफाइनल से बाहर हो गई।
अपील नहीं ली वापस
अंडर-19 वर्ल्ड कप के मैच में जिम्बाब्वे के नगरावा का बल्ला लाइन पर था, लेकिन वह खुद आगे बढ़ चुके थे। दोनों मैदानी अंपायरों ने वेस्टइंडीज से पूछा कि क्या वे अपील को कायम रखना चाहते हैं और जब यह पुष्टि हो गई कि वह अपील जारी रखेंगे, तो उन्होंने तीसरे अंपायर से यह जानना चाहा कि क्या बल्लेबाज का बल्ला केवल लाइन पर था। तीसरे अंपायर ने बल्लेबाज को आउट दे दिया, क्योंकि यह नियमों के अनुरूप था। इससे जिम्बाब्वे का अभियान भी थम गया।
हालांकि, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के कई दिग्गजों ने इस तरह रिचर्ड को आउट किए जाने पर निराशा जताई है और कैरेबियाई टीम के अपील वापस न लेने के फैसले की आलोचना की है।
दोनों के लिए था 'करो या मरो' का मैच
दोनों टीमों को क्वार्टर फाइनल में पहुंचने के लिए इस मैच में हर हाल में जीत दर्ज करनी थी। इससे पहले वेस्टइंडीज ने पहले बल्लेबाजी का न्योता मिलने पर नौ विकेट पर 226 रन बनाए थे। उसकी तरफ से शैमर स्प्रिंगर ने सर्वाधिक 61 रन बनाए, जबकि सलामी बल्लेबाज गिडरोन पोप (30) और टेविन इमलाच (31) ने पहले विकेट के लिए 42 रन जोड़कर टीम को अच्छी शुरुआत दिलाई थी।
जिम्बाब्वे की तरफ से रूगारे मागरिरा ने 48 रन देकर तीन और वेस्ले मेडेवर ने 48 रन देकर तीन विकेट लिए। जिम्बाब्वे ने नियमित अंतराल में विकेट गंवाए, लेकिन शॉन सिंडर (51) के अर्धशतक तथा एडम कीफ (43) और जेरेमी इवेस (37) की उपयोगी पारियों से वह लक्ष्य के करीब पहुंच गया था। वेस्टइंडीज के लिए तेज गेंदबाज अलजारी जोसेफ ने 30 रन देकर चार विकेट लिए। उन्हें मैन ऑफ द मैच चुना गया।
'जिम्बाब्वे का दर्द समझ सकते हैं'
वेस्टइंडीज के कोच ग्रीम वेस्ट ने स्वीकार किया कि यह कड़ा मैच था। उन्होंने कहा, ‘‘यह बेहद कड़ा मैच था और हम जानते थे कि यह मैच रोमांचक मोड़ तक पहुंच सकता है। मैं समझ सकता हूं कि जिम्बाब्वे टीम पर अभी क्या गुजर रही होगी। मैं उनकी निराशा समझ सकता हूं। ’’
'अंत से हुई निराशा'
जिम्बाब्वे के कोच स्टीफन मानगोंगो अपेक्षानुरूप निराश थे। उन्होंने कहा, ‘‘जिस तरह से मैच का अंत हुआ, मैं उससे निराश हूं। मैंने ड्रेसिंग रूम में लड़कों से बात की और वे सभी रो रहे थे। हमने उन्हें बताया कि तकनीकी तौर पर रनआउट सही था। हमने आखिरी बल्लेबाज पर दारोमदार छोड़ दिया था और हमें ऐसा नहीं करना चाहिए था। यह कड़ा सबक है और उन्होंने इसे सीख ली है।’’
(इनपुट एजेंसियों से भी)
यह है 'मांकड़ आउट'
यदि गेंदबाज गेंद फेंकने के दौरान गेंदबाजी छोर पर खड़े बल्लेबाज के क्रीज छोड़ देने पर गेंद फेंकने से पहले रनआउट कर देता है तो उसे 'मांकड़ आउट' कहते हैं।
आउट करने का यह तरीका पहली बार 13 दिसंबर, 1947 को टीम इंडिया के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर चर्चा में आया था। हुआ यह था कि इस दौरे में सिडनी में खेले गए दूसरे टेस्ट में टीम इंडिया के गेंदबाज वीनू मांकड़ ने पहली बार इस तरीके से किसी बल्लेबाज को आउट किया था। मांकड़ के शिकार बने थे ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज बिल ब्राउन। तभी से आउट करने के इस तरीके को अनौपचारिक रूप से 'मांकड़ आउट' कहा जाने लगा।
जब वाल्श ने 'मांकड आउट' नहीं करके दिया था खेल भावना का परिचय
आज जिस वेस्टइंडीज टीम की खेल भावना का परिचय नहीं देने के लिए आलोचना हो रही है, उसी के महान गेंदबाज कॉर्टनी वाल्श 1987 में खेल भावना की अनूठी मिसाल कायमकर सबके चहेते बन गए थे।
1987 के वर्ल्ड कप में लाहौर में पाकिस्तान और वेस्टइंडीज के बीच खेले गए महत्वपूर्ण मैच में कॉर्टनी वाल्श की खेल भावना को कौन भूल सकता है। हालांकि वेस्टइंडीज को इसकी कीमत सेमीफाइनल से बाहर होने के रूप में चुकानी पड़ी।
हुआ यह था कि इस महत्वपूर्ण मैच में पाकिस्तान को अंतिम गेंद पर दो रन चाहिए थे, जबकि उसका एक ही विकेट बाकी था। अब्दुल कादिर स्ट्राइक पर थे और सलीम जाफर दूसरे छोर पर थे। कॉर्टनी वाल्श गेंद फेंकते समय अचानक रुक गए। दरअसल जाफर गेंदबाजी छोर पर क्रीज के बाहर चले गए थे। ऐसे में सबकी नजरें वाल्श पर टिक गईं। हालांकि वाल्श ने खेल भावना का परिचय देते हुए जफर को महज चेतावनी देकर छोड़ दिया। बाद में कादिर ने अंतिम गेंद पर आवश्यक रन जुटा लिए और वेस्टइंडीज की टीम सेमीफाइनल से बाहर हो गई।
अपील नहीं ली वापस
अंडर-19 वर्ल्ड कप के मैच में जिम्बाब्वे के नगरावा का बल्ला लाइन पर था, लेकिन वह खुद आगे बढ़ चुके थे। दोनों मैदानी अंपायरों ने वेस्टइंडीज से पूछा कि क्या वे अपील को कायम रखना चाहते हैं और जब यह पुष्टि हो गई कि वह अपील जारी रखेंगे, तो उन्होंने तीसरे अंपायर से यह जानना चाहा कि क्या बल्लेबाज का बल्ला केवल लाइन पर था। तीसरे अंपायर ने बल्लेबाज को आउट दे दिया, क्योंकि यह नियमों के अनुरूप था। इससे जिम्बाब्वे का अभियान भी थम गया।
हालांकि, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के कई दिग्गजों ने इस तरह रिचर्ड को आउट किए जाने पर निराशा जताई है और कैरेबियाई टीम के अपील वापस न लेने के फैसले की आलोचना की है।
दोनों के लिए था 'करो या मरो' का मैच
दोनों टीमों को क्वार्टर फाइनल में पहुंचने के लिए इस मैच में हर हाल में जीत दर्ज करनी थी। इससे पहले वेस्टइंडीज ने पहले बल्लेबाजी का न्योता मिलने पर नौ विकेट पर 226 रन बनाए थे। उसकी तरफ से शैमर स्प्रिंगर ने सर्वाधिक 61 रन बनाए, जबकि सलामी बल्लेबाज गिडरोन पोप (30) और टेविन इमलाच (31) ने पहले विकेट के लिए 42 रन जोड़कर टीम को अच्छी शुरुआत दिलाई थी।
जिम्बाब्वे की तरफ से रूगारे मागरिरा ने 48 रन देकर तीन और वेस्ले मेडेवर ने 48 रन देकर तीन विकेट लिए। जिम्बाब्वे ने नियमित अंतराल में विकेट गंवाए, लेकिन शॉन सिंडर (51) के अर्धशतक तथा एडम कीफ (43) और जेरेमी इवेस (37) की उपयोगी पारियों से वह लक्ष्य के करीब पहुंच गया था। वेस्टइंडीज के लिए तेज गेंदबाज अलजारी जोसेफ ने 30 रन देकर चार विकेट लिए। उन्हें मैन ऑफ द मैच चुना गया।
'जिम्बाब्वे का दर्द समझ सकते हैं'
वेस्टइंडीज के कोच ग्रीम वेस्ट ने स्वीकार किया कि यह कड़ा मैच था। उन्होंने कहा, ‘‘यह बेहद कड़ा मैच था और हम जानते थे कि यह मैच रोमांचक मोड़ तक पहुंच सकता है। मैं समझ सकता हूं कि जिम्बाब्वे टीम पर अभी क्या गुजर रही होगी। मैं उनकी निराशा समझ सकता हूं। ’’
'अंत से हुई निराशा'
जिम्बाब्वे के कोच स्टीफन मानगोंगो अपेक्षानुरूप निराश थे। उन्होंने कहा, ‘‘जिस तरह से मैच का अंत हुआ, मैं उससे निराश हूं। मैंने ड्रेसिंग रूम में लड़कों से बात की और वे सभी रो रहे थे। हमने उन्हें बताया कि तकनीकी तौर पर रनआउट सही था। हमने आखिरी बल्लेबाज पर दारोमदार छोड़ दिया था और हमें ऐसा नहीं करना चाहिए था। यह कड़ा सबक है और उन्होंने इसे सीख ली है।’’
(इनपुट एजेंसियों से भी)
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