
साल 1988 से अंडर-19 वर्ल्ड कप का आयोजन हो रहा है. 88 में आयोजन होने के बाद दूसरा जूनियर वर्ल्ड कप साल 1998 में आयोजित हुआ. पहली बार साल 2000 में इसका सीधा प्रसारण हुआ, तो दुनिया भर की टीमों के चयन के मानक बदल गए. और जूनियर विश्व कप के प्रदर्शन को बहुत ही ज्यादा अहमियत दी जाने लगी. इन जूनियर वर्ल्ड कप से कई ऐसे खिलाड़ी रहे, जिन्होंने बड़े सपने दिखाए. लगा कि वे बड़े सितारे बनेंगे, लेकिन उम्मीदें जगाकर वे एकदम से लापतागंज हो गए या फिर उन्हें ऐसी कामयाबी नहीं मिली, जैसी सब मानकर चल रहे थे.
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— Unmukt Chand (@UnmuktChand9) June 6, 2020
1. उन्मुक्त चंद
अगर यह कहा जाए कि उन्मुक्त चंद सबसे बड़ी निराशा साबित हुए, तो एक बार को गलत नहीं होगा. साल 2012 अंडर-19 वर्ल्ड कप भारत ने जीता. उन्होंने टूर्नामेंट में 49.20 के औसत से 246 रन बनाए, तो फाइनल में उन्मुक्त ने मैच जिताऊ 111 रन की पारी खेली, तो पूरे देश का मीडिया उनके पीछे हो गया. उन्मुक्त की विराट से तुलना होने लगी, तो कई बड़े विज्ञापन उन्हें मिले, लेकिन वक्त का पहिया ऐसा घूमा कि वह दिल्ली रणजी वनडे टीम से बाहर हुए, तो पिछले साल उन्हें आईपीएल अनुबंध भी नहीं मिला.
look the unseen pic of cute @virendersehwag @harbhajan_singh pic.twitter.com/CZpAVJfBw5
— kailash moond (@Realmoond) April 12, 2016
2. रितिंदर सिंह सोढ़ी
पजाब का यह ऑलराउंडर जूनियर क्रिकेट में स्टार था. रितिंदर ने दोनों संस्करणों बल्ले और गेंद से बेहतरीन प्रदर्शन किया. साल 1998 में रितिंदर ने केन्या के खिलाफ शतक जड़ा, तो पाकिस्तान के खिलाफ 13 रन देकर 3 विकेट चटकाकर मैच जिताने में अहम रोल निभाया. साल 2000 में रितिंदर ने और असर छोड़ा और फाइनल में श्रीलंका के खिलाफ नाबाद 39 रन बनाकर मैन ऑफ द मैच बने. रितिंदर को सीनियर टीम में जगह मिली, लेकिन वह तब असर नहीं छोड़ सके, जब सौरव युवाओं को नजरें गड़ाए हुए थे. भारत के लिए 18 वनडे में उनका औसत सिर्फ 25.45 का रहा.
3. नरेंद्र हिरवानी
साल 1988 के पहले वर्ल्ड कप में लेग स्पिनर नरेंद्र हिरवानी छा गए. जूनियर वर्ल्ड कप में बेहतरीन शुरुआत के बाद गायब होने या बड़ी कामयाबी न मिलने का हिरवानी बढ़िया उदाहरण हैं. हिरवानी ने 12 मैचों में 21 विकेट लिए. एक मैच में 5 विकेट भी शामिल रहे. बाद में हिरवानी ने पहले ही टेस्ट में 16 विकेट लेकर इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया, लेकिन 17 टेस्ट में 66 विकेट लेने वाली हिरवानी फिर अनिल कुंबले के दौर में गुम हो गए.
4. अभिषेक शर्मा
दिल्ली के लेग स्पिनर अभिषेक शर्मा एक और ऐेसे खिलाड़ी रहे, जिन्हें दो अंडर-19 वर्ल्ड कप (2002, 2004) में खेलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. वहीं, अभिषक जूनियर वर्ल्ड कप के दोनों संस्करणों में भारत के लिए सबसे ज्यादा विकेट चटकाए, लेकिन सीनियर टीम में वह एक भी मैच नहीं खेल सके. वर्ल्ड कप में खेलने से पहले अभिषेक ने सिर्फ 16 साल की उम्र में ही दिल्ले के लिए रणजी ट्रॉफी में आगाज कर लिया था. दोनों वर्ल्ड कप में अभिषेक सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले बॉलर रहे और कुल मिलाकर कुल 26 विकेट चटकाए, लेकिन अभिषेक का सफर सीनियर इंडिया से मीलों पहले ही थम गया.
Yuvi pa!thanks for ua motivating words!will surely keep them in mind and keep working hard!thanks again!@YUVSTRONG12 pic.twitter.com/ikM0NimC25
— Vijay Zol (@vhzol) December 24, 2014
5. विजय जोल
लेफ्टी बल्लेबाज विजय जोल ने अंडर-19 मैच में सिर्फ 467 गेंदों पर 451 रन बनाकर राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आए थे. और उनसे बहुत ही ज्यादा उम्मीदें थीं. 17 साल की उम्र में विजय जोल अंडर-19 टीम का हिस्सा बन गए. विजय जोल भी उन चुनिंदा भारतीय खिलाड़ियों में शामिल हैं, जिन्हें दो जूनियर वर्ल्ड कप खेलने का सौभाग्य प्राप्त है. साल 2012 वर्ल्ड कप के बाद 2014 में भारतीय जूनियर टीम के कप्तान थे, लेकिन भारत क्वार्टरफाइनल में ही हार गए. जोल ने 5 मैचों में सिर्फ 24 का औसत निकाला. जोल को भारत ए के लिए भी खेलने का मौका मिला, लेकिन जैसी बड़ी पारियों की उनसे उम्मीद थी, वे उनके बल्ले से नहीं ही निकलीं. 25 साल के विजय जोल का 15 प्रथम श्रेणी मैचों में 34.90 का औसत है.
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