
- कहीं मजबूत शेष भारत को हरा ईरानी ट्रॉफी जीती
- वसीम जाफर रहे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज
- दिल्ली को हराकर विदर्भ बना था रणजी चैंपियन
भारत में घरेलू क्रिकेट में जो टीमें हमेशा अपने दबदबे के लिए मशहूर रहीं उनमें मुंबई, दिल्ली, कर्नाटक, तमिलनाडु का नाम हमेशा ऊपर रहा है, लेकिन बीते दो साल में विदर्भ ने सभी धारणाओं को परे रखते हुए वह कर दिखाया है, जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी. यह टीम 2017-18 में अपना पहला रणजी ट्रॉफी और ईरानी कप खिताब जीतने में सफल रही तो वहीं इस सीजन में बड़ी सफलता से टीम अपने दोनों खिताब बचा भी ले गई. पहले सीजन में हासिल की गई खिताबी जीत को कई लोगों ने तुक्का बताया, तो विदर्भ ने इस सीजन खिताब जीत उन बयानों को अच्छे से मुंह चिढ़ाया.
Vidarbha celebrate after clinching the @paytm #RanjiTrophy 2017-18 with a nine-wicket win over Delhi #Final #DELvVID pic.twitter.com/UEes6Xb7YS
— BCCI Domestic (@BCCIdomestic) January 1, 2018
इस जीत के कई नायक रहे. एक टीम जब जीतती है तो कोई एक शख्स उसकी वजह नहीं होता बल्कि पूरे कोचिंग स्टाफ से लेकर मैदान के अंदर खेलने वाले खिलाड़ियों के अलावा मैदान के बाहर रहने वाले खिलाड़ियों का भी बड़ा योगदान रहता है और विदर्भ की दो साल में चार खिताबी जीत इस बात की बानगी है. कई लोगों के लिए यह सोचने का विषय हो सकता है कि जो विदर्भ नॉकआउट दौर तक ही रह जाती थी, वह चार खिताब कैसे ले गई. लेकिन इसके पीछे उसके खिलाड़ियों की अथक मेहनत है, जिसे साफ तौर पर देखा जा सकता है. इसकी एक और बड़ी वजह हैं, विदर्भ के मुंबईया कोच चंद्रकांत पंडित.
Champions
— Sacnilk Sports (@SacnilkSports) February 16, 2019
Vidarbha wins the Irani Trophy in second consecutive year!#vidarbha #IraniTrophy #Champions #indiacricket #sacnilksports pic.twitter.com/AHByhCa219
भारत के लिए पांच टेस्ट और 36 वनडे खेलने वाला यह खिलाड़ी 2017-18 सीजन में टीम का कोच बना और अपने पहले ही कार्यकाल में विदर्भ को पहली बार रणजी ट्रॉफी विजेता बना दिया. पंडित को क्रिकेट की दुनिया में खडूस कहा जाता है. इसके पीछे वजह उनकी कोचिंग स्टाइल है. वह गेंदबाजों को अभ्यास में नो बॉल फेंकने की सजा 500 रुपये जुर्माने के तौर पर देते हैं तो खिलाड़ी से निजी तौर पर बात कर उसका आत्मविश्वास भी बढ़ाते हैं. पंडित जब नागपुर आए थे, मुंबई को रणजी ट्रॉफी विजेता बनाकर आए थे. भारत की सबसे सफल घरेलू टीम के बाद पंडित ने विदर्भ में उस जीत के जज्बे को जेहन में डाला. पंडित के आने के बाद विदर्भ बदल चुकी थी.
Vidarbha are proving why they are champions on an off the field. The #IraniTrophy winners led by @faizfazal have decided to hand over their prize money to family members of martyrs of #PulwamaTerroristAttack. pic.twitter.com/Rh6i44nXrI
— BCCI Domestic (@BCCIdomestic) February 16, 2019
यह भी पढ़ें: इसलिए सुनील गावस्कर नहीं मानते टीम विराट को वर्ल्ड कप जीतने का प्रबल दावेदार
सिर्फ पंडित ही नहीं विदर्भ की जीत के कई हीरो रहे. उनमें एक और नाम मुंबई से ही इस टीम में आए घरेलू क्रिकेट के दिग्गज खिलाड़ी वसीम जाफर का है. भारतीय टेस्ट टीम का हिस्सा रह चुके जाफर 2015-16 में विदर्भ से जुड़े. जाफर मुंबई के साथ रहते हुए रणजी ट्रॉफी का खिताब जीत चुके थे। उनके पास बड़े मैचों का अच्छा-खासा अनुभव था, जो विदर्भ के काम आया. जरूरत पड़ने पर जाफर ने न सिर्फ बल्ले से बेहतरीन योगदान दिया बल्कि रणनीति में भी वह हमेशा टीम की थिंक टैंक का अहम हिस्सा रहे। इस रणजी सीजन में जाफर ने 15 पारियों में 1037 रन बनाए. वह हालांकि ईरानी कप में नहीं खेले, लेकिन जाफर ने पर्दे के पीछे मेंटॉर के रूप में जो काम किया है वह किसी से छुपा नहीं है.
Photo speaks a million words about Chandu Pandit's contribution in making unfancied Vidarbha win maiden Ranji title pic.twitter.com/KbSlgQJ1lV
— Cricketwallah (@cricketwallah) January 1, 2018
यह भी पढ़ें: Pulwama Attack: सानिया मिर्जा ने पुलवामा अटैक पर किया लंबा पोस्ट, तो लोगों ने की कुछ ऐसी प्रतिक्रिया
क्रिकेट जैसे खेल में किसी भी टीम की सफलता उसके कप्तान के इर्द-गिर्द ही घूमती है. फैज फजल कप्तान के रूप में विदर्भ के सबसे सफल कप्तान रहे हैं. उन्हीं की कप्तानी में विदर्भ ने यह सभी खिताब जीते. मैदान पर सफल रणनीतिकार से लेकर सलामी बल्लेबाज के तौर पर टीम को मजबूत शुरुआत देने की दोनों जिम्मेदारियों को फैज ने बखूबी निभाया. सरवाटे भी मानते हैं कि जाफर और फैज के रहने से टीम का बल्लेबाजी क्रम बेहद मजबूत रहा जिससे टीम को बेहद फायदा हुआ. पंडित, जाफर और फजल ने टीम में जीत की भूख पैदा की और खिलाड़ियों को जीतने का आत्मविश्वास दिलाया. दोनों सीजनों में टीम लगभग एक जैसी थी लेकिन हर जीत के हीरो अलग-अलग थे. इससे साबित होता है कि विदर्भ चुनिंदा खिलाड़ियों के बूते सफलता हासिल करने वाली टीम नहीं हैं.
VIDEO: ऑस्ट्रेलिया दौरे में एडिलेड टेस्ट जीतने के बाद विराट कोहली.
बीते सीजन बल्ले से फैज और जाफर के अलावा अक्षय वाडकर ने कमाल दिखाया था तो वहीं गेंद से रजनीश गुरबानी ने टीम को सफलता दिलाई थी। इन दोनों ने इस सीजन में भी अच्छा प्रदर्शन किया और टीम को एक बार फिर खिताब तक लेकर आए. इस सीजन कहानी बदली और आदित्य सरवाटे, अक्षय कारनेवार जैसे खिलाड़ी निकल कर सामने आए जिन्होंने विदर्भ को दोनों खिताब बचाए रखने में मदद की. इस फेहरिस्त में अक्षय वघारे, गणेश सतीश, उमेश यादव जैसे नाम भी हैं.