लॉर्ड्स की हरी-भरी पिच पर पहला टेस्ट जीतने के बाद आत्मविश्वास से ओतप्रोत भारतीय क्रिकेटरों का लक्ष्य रविवार से शुरू हो रहे तीसरे टेस्ट में इंग्लैंड पर अपराजेय बढ़त हासिल करने का होगा। भारत ने लॉर्ड्स पर दूसरा टेस्ट 95 रन से जीता, जबकि नॉटिंघम में पहला टेस्ट ड्रॉ रहा था।
अब महेंद्र सिंह धोनी की टीम के पास मेजबान को उसी की मांद में खदेड़ने का सुनहरा मौका है। लॉर्ड्स पर जीत से पहले भारत ने पिछले 15 टेस्ट में विदेशी सरजमीं पर जीत दर्ज नहीं की थी। भारत ने विदेशी धरती पर आखिरी टेस्ट 2011 में वेस्ट इंडीज में जीता था। भारत ने वह शृंखला 1-0 से जीती थी।
धोनी हालांकि अतीत में जीने में विश्वास नहीं रखते, लेकिन इतिहास से सबक लिया जा सकता है। भारत ने इस टेस्ट शृंखला से पहले यही सोचकर राहुल द्रविड़ को टीम का मेंटर बनाया था। द्रविड़ उस टीम का हिस्सा थे, जिसने 2002 में पांच टेस्ट की शृंखला खेली थी। उस समय सौरव गांगुली की अगुवाई वाली भारतीय टीम ने पहला टेस्ट जीता, लेकिन तीसरे और पांचवें टेस्ट के साथ शृंखला हार गई थी।
उस दौरे की तरह इस सीरीज में किसी टेस्ट के बीच अभ्यास मैच नहीं है। 40 दिन का यह दौरा लंबा है, जिसमें भारत को आत्ममुग्धता के अलावा गेंदबाजों को अधिक कार्यभार देने से भी बचना होगा।
शुक्रवार को शिखर धवन, विराट कोहली और रोहित शर्मा ने बल्लेबाजी का कड़ा अभ्यास किया। धवन और कोहली अभी तक कोई कमाल नहीं कर सके हैं, जबकि रोहित को अंतिम एकादश में जगह नहीं मिली है। मैच से पहले दो दिन उन्होंने काफी अभ्यास किया, जिसके मायने हैं कि उन्हें इस मैच में उतारा जा सकता है।
पांचवें गेंदबाज का चयन भी पेचीदा होगा। पहले दो टेस्ट में स्टुअर्ट बिन्नी ने सिर्फ 20 ओवर फेंके और दोनों स्पैल पहली पारी में डाले। मेजबान ने ट्रेंटब्रिज में सिर्फ एक बार बल्लेबाजी की और लॉर्ड्स पर बिन्नी ने दूसरी पारी में एक ओवर भी नहीं फेंका। धवन और मुरली विजय से भी गेंदबाजी कराई गई थी।
रोहित अनियमित स्पिन गेंदबाजी कर सकते हैं और सात बल्लेबाजों के साथ चार गेंदबाजों के फॉर्मूले को अपनाने पर उन्हें उतारा जा सकता है। पांचवें गेंदबाज को नहीं उतारने से हालांकि यह संकेत जा सकता है कि भारत अब रक्षात्मक खेल पर उतारू है। पांचवें गेंदबाज के रहने से प्रमुख गेंदबाजों पर मानसिक दबाव कम होता है। उन्हें राहत देने के लिए जडेजा और बिन्नी के 20 ओवर जरूरी हैं।
भारत के अनुभवहीन गेंदबाजों ने अभी तक इंग्लैंड के अधिक अनुभवी गेंदबाजों से बेहतर प्रदर्शन किया है। लॉर्ड्स की हरी-भरी पिच पर जहां जेम्स एंडरसन और स्टुअर्ट ब्रॉड नाकाम रहे, वहीं भारतीयों ने इसका पूरा फायदा उठाया।
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