BCCI अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह का कार्यकाल बढ़ाने को SC की हरी झंडी

बुधवार को बीसीसीआई को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. अब सौरव गांगुली और जय शाह अगले तीन साल तक बीसीसीआई के अपने पदों पर बने रह सकते हैं. कोर्ट से बोर्ड के संविधान में संशोधन को लेकर मंजूरी मिल गई है.

BCCI अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह का कार्यकाल बढ़ाने को SC की हरी झंडी

कूलिंग ऑफ पीरियड को लेकर संशोधन को मंजूरी

नई दिल्ली:

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड में प्रस्तावित परिवर्तनों को स्वीकार कर लिया, जो वर्तमान अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह को उनके कार्यकाल के विस्तार की अनुमति देगा. गांगुली और शाह दोनों का पहला कार्यकाल इस महीने की शुरुआत में बीसीसीआई के संविधान में 'कूलिंग ऑफ पीरियड' क्लॉज के कारण खत्म हो गया था. 

अब BCCI अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह का कार्यकाल बढ़ाने को SC ने हरी झंडी दे दी है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब BCCI में लगातार दो बार यानी 6 साल तक पद पर बने रहने पर तीन साल का कूलिंग ऑफ पीरियड होगा. सुप्रीम कोर्ट में BCCI  के अध्यक्ष सौरभ गांगुली और सचिव जय शाह के कार्यकाल को बढ़ाने की याचिका पर सुनवाई पूरी हो चुकी है. फैसले के बाद अब  अब BCCI में लगातार दो बार यानी 6 साल तक पद पर बने रहने पर तीन साल का कूलिंग ऑफ पीरियड होगा.

 शीर्ष अदालत का आदेश बोर्ड की उस याचिका पर आया है जिसमें अध्यक्ष गांगुली और सचिव शाह सहित पदाधिकारियों के कार्यकाल से जुड़े संविधान में संशोधन का आग्रह किया गया था. इसमें मांग की गई थी कि पदाधिकारियों के सभी राज्य क्रिकेट संघों और बीसीसीआई में कार्यकाल के बीच अनिवार्य ब्रेक की अवधि को खत्म किया जाए.


बीसीसीआई ने अपने प्रस्तावित संशोधन में अपने पदाधिकारियों के लिए ब्रेक की अवधि को समाप्त करने की मांग की थी जिससे कि गांगुली और शाह संबंधित राज्य क्रिकेट संघों में छह साल पूरे करने के बावजूद अध्यक्ष और सचिव के रूप में पद पर बने रहें. इससे पहले न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा की अगुवाई वाली समिति ने बीसीसीआई में सुधारों की सिफारिश की थी जिसे शीर्ष अदालत ने स्वीकार किया था.

उच्चतम न्यायालय द्वारा स्वीकृत बीसीसीआई के संविधान के अनुसार राज्य क्रिकेट संघ या बीसीसीआई में तीन-तीन साल के लगातार दो कार्यकाल के बाद किसी भी व्यक्ति का तीन साल के ब्रेक पर जाना अनिवार्य था. गांगुली जहां बंगाल क्रिकेट संघ में पदाधिकारी थे तो वहीं शाह गुजरात क्रिकेट संघ से जुड़े थे.

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