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This Article is From Apr 06, 2017

बर्थडे: दिलीप वेंगसरकर के नाम है वह उपलब्धि, जो सुनील गावस्‍कर, सचिन तेंदुलकर भी हासिल नहीं कर पाए..

बर्थडे: दिलीप वेंगसरकर के नाम है वह उपलब्धि, जो सुनील गावस्‍कर, सचिन तेंदुलकर भी हासिल नहीं कर पाए..
अपने समय के मशहूर स्पिनर ईरापल्‍ली प्रसन्‍ना के साथ दिलीप वेंगसरकर (फाइल फोटो)
टीम इंडिया का पूर्व कप्‍तान दिलीप वेंगसरकर कवर ड्राइव का मास्‍टर माना जाता था. वे इतनी खूबी से यह ड्राइव लगाते थे कि फील्‍डर्स को कोई मौका दिए बगैर गेंद बाउंड्री के पार नजर आती थी. महाराष्‍ट्र के राजापुर में 6 अप्रैल 1956 को जन्‍मे दिलीप बलवंत वेंगसरकर वर्ष 1983 में महान हरफनमौला कपिल देव के नेतृत्‍व में वर्ल्‍डकप चैंपियन बनी भारतीय टीम के सदस्‍य रहे हैं. 70 और 80 के दशक में सुनील गावस्‍कर, गुंडप्‍पा विश्‍वास के साथ वेंगसरकर को भी भारतीय बल्‍लेबाजी का स्‍तंभ माना जाता था.

लंबे और छरहरे वेंगसरकर ने 116 टेस्‍ट और 129 वनडे मैचों में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्‍व किया. दोनों ही तरह के क्रिकेट में वे समान रूप से सफल रहे. 'कर्नल' के नाम से लोकप्रिय वेंगसरकर ने टेस्‍ट क्रिकेट में जहां 42.13 कके औसत 6868 रन बनाए जिसमें 17 शतक और 35 अर्धशतक शामिल रहे. वनडे क्रिकेट में भी एक शतक उनके नाम पर दर्ज है. वेंगसरकर ने 129 मैचों में 34.73 के औसत से 3508 रन बनाए. सुनील गावस्‍कर की कप्‍तानी में वर्ल्‍ड चैंपियनशिप ऑफ क्रिकेट सीरीज जीतने वाली भारतीय टीम में न सिर्फ वेंगसरकर शामिल थे बल्कि टीम इंडिया को चैंपियन बनाने में अहम योगदान दिया था. किसी भी टीम में मुख्‍य बल्‍लेबाज को ही तीसरे क्रम के बल्‍लेबाजी जिम्‍मेदारी सौंपी जाती है और 'कर्नल' ने भारतीय टीम के लिए यह जिम्‍मेदारी कई सालों तक संभाली.

क्रिकेट का मक्‍का कहा जाने वाला लॉर्ड्स मैदान तो वेंगसरकर का पसंदीदा था. यहां खेलना उन्‍हें इस कदर रास आता था कि उनके बल्‍ले से रन मानो अपने आप ही निकलने लगते थे. लार्ड्स में लगातार तीन शतक लगाने वाले वे पहले नॉन इंग्लिश बल्‍लेबाज हैं. भारत की ओर से सुनील गावस्‍कर, सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ जैसे बल्‍लेबाजों के नाम के आगे भी यह उपलब्धि दर्ज नहीं है. लार्ड्स मैदान के प्रति इस दीवानेपन के आलम के चलते ही उन्‍हें इस मैदान के टॉप 10 प्‍लेयर्स के एलीट क्‍लब में स्‍थान दिया गया. लॉर्ड्स मैदान पर वर्ष 1979 में वेंगसरकर ने 0 और 103, वर्ष 1982 में 2 और 157 तथा वर्ष 1986 में नाबाद 126 और 33 रन की पारी खेली. इस ऐतिहासिक ग्राउंड पर चार टेस्‍ट खेलते हुए उन्‍होंने 72.57 के औसत से 508 रन बनाए.

आखिरी बार दिलीप वर्ष 1990 में लॉर्ड्स मैदान में खेले, लेकिन शतक नहीं बना पाए. पहली पारी में उन्‍होंने 52 व दूसरी पारी में 35 रन बनाए. इसी कारण उन्‍हें लॉर्ड ऑफ लॉर्ड्स कहा जाता था. इस शानदार बल्लेबाज ने 10 टेस्ट मैचों में भारत की कप्तानी भी की हालांकि कप्‍तानी में उन्‍हें बहुत अधिक सफलता नहीं मिल पाई. वेंगसरकर ने अपना आखिरी इंटररनेशनल मैच,  टेस्‍ट के रूप में वर्ष 1992 में ऑस्‍ट्रेलिया के खिलाफ पर्थ में खेला,इसमें वे दोनों ही पारियां में 10 रन का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाए.

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