
ICC Champions Trophy 2025: चैंपियंस ट्रॉफी के पाकिस्तान में उसकी शर्तों पर आयोजन को लेकर चौतरफा बैटिंग हो रही है. पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी), पाकिस्तान के इंटिरियर मिनिस्टर और पीसीबी के अध्यक्ष सैयद मोहसिन रजा नकवी और तमाम पूर्व क्रिकेटर एक साथ चैंपियंस ट्रॉफी के लिए टी-20 स्टाइल में बल्लेबाजी करते नजर आ रहे हैं. नवाज शरीफ बार-बार गुजारिश कर रहे हैं कि भारत चैंपियंस ट्रॉफी के लिए पाकिस्तान जाकर खेले. उनका मानना है कि दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों के लिए ये बेहतर होगा. क्रिकेट डिप्लोमैसी की ये शुरुआत नई नहीं, बल्कि नई बोतल में पुरानी शराब की तरह है. हालांकि, नवाज शरीफ पहले भी भारत के साथ बेहतर संबंध पर जोर देते रहे हैं. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इसकी कामयाब कोशिश भी की थी. लेकिन मौजूदा हालात में नवाज शरीफ के बयानों के कई मायने हैं.
पाकिस्तानी क्रिकटर्स और पीसीबी अध्यक्ष मोहसिन रजा नकवी के बयान नवाज शरीफ के बयानों से मेल नहीं खाते. दरअसल पाकिस्तान बगैर हालात में बदलाव के ही क्रिकेट को रणनीतिक तौर पर राजनयिक फायदों के इस्तेमाल की कोशिश करता दिख रहा है. मसलन, पूर्व पाकिस्तानी विकेटकीपर राशिद लतीफ (37 टेस्ट, 166 वनडे) का बयान देखें. राशिद लतीफ ने कहा कि अगर उनके बस में होता तो वह पाकिस्तान को भारत के साथ किसी भी टूर्नामेंट में नहीं खेलने देते. साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि ICC को दोनों देशों को तब तक वैश्विक प्रतियोगिताओं की मेजबानी का अधिकार नहीं देना चाहिए... जब तक कि दोनों अपनी समस्याएं नहीं सुलझा लेते.
इसी कड़ी में पूर्व टेस्ट क्रिकेटर बासित अली के बयान को देखें. बासित अली (19 टेस्ट, 50 वनडे) ने कहा, "अगर टूर्नामेंट पाकिस्तान से बाहर होता है तो पाकिस्तान को चैंपियंस ट्रॉफी में नहीं खेलना चाहिए... हिम्मत है तो ICC पाकिस्तान को बैन करके दिखाये." ऐसे में पाकिस्तान के पूर्व कप्तान शाहीद अफरीदी (27 टेस्ट, 398 वनडे, 99 टी-20) कैसे पीछे रह सकते थे. उहोंने चैंपियंस ट्रॉफी को लेकर ट्वीट किया है. शाहिद अफरीदी ने सभी देशों से चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के लिए पाकिस्तान आने की अपील की. शाहीद अफरीदी ने ओलंपिक की भावना का उदाहरण दिया और क्रिकेट में भी एकता का आह्वान किया. शाहिद अफरीदी ने ट्वीट किया,"क्रिकेट एक महत्वपूर्ण मुहाने पर है और 1970 के दशक के बाद शायद अपनी सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक का सामना कर रहा है."
शाहिद अफरीदी ने आगे लिखा,"अब समय आ गया है कि मतभेदों को भुलाएं और खेल को हमें एकजुट करने दें. यदि इतिहास में विभाजित देश ओलंपिक भावना में एक साथ आ सकते हैं, तो हम क्रिकेट के लिए - और चैंपियंस ट्रॉफी के लिए ऐसा क्यों नहीं कर सकते? इस खेल के संरक्षक के रूप में, हम क्रिकेट के प्रति अपने अहंकार को काबू में रखने और इसके विकास और भावना पर ध्यान केंद्रित करने के लिए बाध्य हैं." इन सभी बयानों को एक साथ देखें तो ये भी लगता है कि पाकिस्तान भारत की मेजबानी कर अपने यहां क्रिकेट का बड़ा दरवाजा खोलने की कोशिश भी कर रहा है. पाकिस्तान जानता है कि भारत के वहां जाते ही उसकी सुरक्षा व्यवस्था और आतंकवाद को लेकर उसके रवैये पर उसकी साख कहीं बेहतर हो जाएगी.
लाहौर के कर्नल गद्दाफी स्टेडियम में 2009 में श्रीलंकाई टीम पर आतंकी हमले (श्रीलंकाई टीम के 6 खिलाड़ी घायल हुए, 6 पाकिस्तानी पुलिसकर्मी और दो नागरिक मारे गए) की तस्वीरें अब भी भुलाई नहीं जा सकी हैं. तब से लेकर अबतक अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के नाम पर पाकिस्तान में चुनिंदा मैचों के आयोजन ही करवाए जा सके हैं. इनमें ज़िंबाब्वे, महिला बांग्लादेश क्रिकेट टीम, वर्ल्ड XI, श्रीलंका और वेस्ट इंडीज टीमों ने सावधानी के साथ वहां कदम रखा है. ऐसे में टीम इंडिया के पाकिस्तान जाने से उनकी लाटरी लग सकती है.
भारत-पाकिस्तान मैच को सही मायने में ऐशेज से भी बड़ा दर्जा हासिल होने लगा है. इन दोनों टीमों के बीच मैच ना सिर्फ़ इन दोनों पड़ोसियों के लिए बल्कि आईसीसी और वर्ल्ड क्रिकेट के लिए एक एटीएम मशीन की तरह है. भारत-पाकिस्तान के सभी मैच से ICC और सभी हिस्सदारों को करोड़ों की कमाई होती है. इसका सबसे बड़ा फायदा भी इस बार लगभग खस्ताहाल पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को होता नजर आता है. वैसे कई एक्सपर्ट्स मानते हैं कि हालात सुधरने से पहले पाक खेमा क्रिकेट को स्मोकस्क्रीन की तरह इस्तेमाल करना चाहता है.
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