
टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी.
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अनंतपुर की कोर्ट में चल रहे धार्मिक भावनाएं भड़काने के मामले को रद्द किया
धोनी ने जानबूझकर और दुर्भावना के साथ ये काम नहीं किया.
मैगजीन में धोनी की विष्णु के रूप में तस्वीर छपी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर धोनी के खिलाफ कार्रवाई होती है तो ये कानून का मखौल उड़ाना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने अंग्रेजी मैगजीन के एडिटर के खिलाफ भी केस रद्द किया. पिछले साल 5 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ लोगों की धार्मिक भावना आहत करने के मामले में बेंगलुरु की निचली अदालत में उनके खिलाफ चल रहे मामले को खारिज कर दिया था.
इस मामले में दायर आपराधिक कार्रवाई करने वाली याचिका को कर्नाटक हाईकोर्ट ने खारिज करने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद धोनी ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर कर कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी.

गौरतलब है कि अप्रेल 2013 में मैगज़ीन ने अपने कवर पृष्ठ पर महेंद्र सिंह धोनी का भगवान विष्णु के रूप में एक फोटो छापा था. इसके बाद धोनी के खिलाफ लोगों की धार्मिक भावना आहत करने के आरोप में आंध्र प्रदेश के अनंतपुर कोर्ट ने जनवरी, 2016 में गैरजमानती वारंट जारी किया था.
सामाजिक कार्यकर्ता जयाकुमार हिरेमथ ने कोर्ट में याचिका दायर कर धोनी के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी थी. हिरेमथ ने आरोप लगाया था कि धोनी पत्रिका के मुख्य पृष्ठ पर भगवान विष्णु के रूप में अपने हाथ में जूता पकड़े हुए दिखाए गए हैं, जो हिन्दू देवता का अपमान है और इससे लोगों की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचा है. जयाकुमार की इस याचिका पर संज्ञान लेते हुए एडिशनल चीफ मेट्रोपॉलिटन मैजिस्टेट ने धोनी के खिलाफ एक समुदाय विशेष की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने और अपमान करने के आरोप में आईपीसी की धारा 295 व 34 के अंतर्गत मामला दर्ज किया था.
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