
World Test Championship Points Table: रविवार को रावलपिंडी में पाकिस्तान की 10 विकेट से शर्मनाक हार हुई, तो बांग्लादेश ने खुद की स्थिति WTC Points table में बेहतर कर ली. इस मैच के परिणाम के साथ ही एक बार फिर से प्वाइंट्स टेबल (Points Table) चर्चा में आ गई. इसे शुरू हुए खासा समय हो गया है, लेकिन फैंस का एक बड़ा वर्ग है, जिसे अभी तक नहीं मालूम कि यह कैसे काम करती है, प्वाइंट्स कैसे दिए जाते हैं. पाठकों की मांग पर हम आपके सामने टेबल की बारीक डिटेल लेकर आए हैं. चलिए जानिए कि यह कैसे काम करती है और किसी टीम को किस आधार पर रैंक प्रदान की जाती है.
दो साल का सर्किल और...
वर्तमान WTC सर्किल 2023 से 2025 तक चलेगा और इसमें कुल मिलाकर नौ टेस्ट टीमें शामिल हैं. इसके तहत इस समयावधि में हर टीम छह सीरीज खेलेगी. तीन अपने घर में और इतनी ही विदेश में. प्रत्येक सीरीज में दो से लेकर 5 टेस्ट मैच शामिल हैं.

कुछ ऐसे काम करता है प्वाइंट सिस्टम
चैंपियनशिप के फाइनल तक के सफर में किसी भी टीम को एक टेस्ट जीतने पर 12 प्वाइंट्स मिलते है, तो वहीं ड्रॉ के लिए चार और टाई मैच के लिए छह प्वाइंट्स मिलते हैं, लेकिन हारने वाली टीम के लिए कोई अंक नहीं मिलता, लेकिन टेबल में कोई टीम ज्यादा प्वाइंट हासिल करने से ही नंबर एक नहीं बन जाती. यहां मायने अंक नहीं, बल्कि जीत का प्रतिशत काम करता है.
यह है जीत प्रतिशत का गणित
जीत प्रतिशत के आधार पर कोई टीम टेबल में ऊपर चढ़ती है. जीत से 12 प्वाइंट हासिल करने वाली को शत-प्रतिशत प्वाइंट मिलते हैं, तो छह प्वाइंट के लिए 50 प्रतिशत और ड्रॉ के लिए चार अंक मतलब 33.3 प्रतिशत दिए जाते हैं. और इन तीनों का कुल योग ही किसी टीम को रैंक प्रदान करने में मदद करता है.
ऐसे भी होता है टीमों के प्वाइंट्स का नुकसान
इसके अलावा स्लो-ओवर रेट के लिए पेनल्टी का भी प्रावधान है. इसके तहत अगर प्रत्येक ओवर शॉर्ट रहने पर उसका एक चैंपियनशिप प्वाइंट कट जाएगा. दो ओवर कम फेंकेगी, तो दो चैंपियनशिप प्वाइंट्स का नुकसान टीम विशेष को वहन करना होगा.
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