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IPL 2024: इस साल, फिर वही हाल....इन 5 बातों ने किया RCB को खिताबी दौड़ से बाहर

बेंगलुरु का लीग का खिताब जीतने का सपना एक बार फिर टूट गया. साल 2008 में लीग की शुरुआत हुई थी और उसके बाद से रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु अभी तक आईपीएल का खिताब नहीं जीत पाई है.

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IPL 2024: इस साल, फिर वही हाल....इन 5 बातों ने किया RCB को खिताबी दौड़ से बाहर
IPL 2024: इन 5 बातों ने किया RCB को खिताबी दौड़ से बाहर

आईपीएल 2024 के एलिमिनेट में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु को राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ चार विकेट से हार का सामना करना पड़ा. इस हार के साथ ही बेंगलुरु का लीग का खिताब जीतने का सपना एक बार फिर टूट गया. साल 2008 में लीग की शुरुआत हुई थी और उसके बाद से रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु अभी तक आईपीएल का खिताब नहीं जीत पाई है. बेंगलुरु भले ही 9 बार प्लेऑफ में पहुंची है, लेकिन हार बार एक ही कहानी नजर आती है. अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में हुए मुकाबले में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु का पलड़ा भारी था, क्योंकि टीम लगातार सात जीत दर्ज करके, अंक तालिका में सबसे निचले पायदान से ऊपर उठकर सबको हैरान करते हुए प्लेऑफ में पहुंची थी. बेंगलुरु ने अपने आखिरी के छह मैच जीते थे. दूसरी तरफ राजस्थान को बीते पांच में से चार मैचों में हार का सामना करना पड़ा था. ऐसे में बेंगलुरु मजबूत स्थिति में दिखी, लेकिन मैच के रिजल्ट ने एक बार फिर आरसीबी के फैंस को निराशा थमाई.

क्यों हारी रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु

विराट कोहली पर निर्भरता

विराट कोहली ने इस सीजन सबसे अधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज हैं. विराट ऑरेंज कैप होल्डर है. उन्होंने मौजूदा सीजन में 15 मैचों में 61.75 की औसत और 154.69 की स्ट्राइक रेट से 741 इतने रन बनाए हैं. विराट कोहली ने मौजूदा सीजन में एक शतक और पांच अर्द्धशतक भी लगाए हैं. लेकिन विराट कोहली के यह रन टीम को खिताब नहीं दिला पाए. टीम इस पूरे सीजन विराट कोहली पर काफी निर्भर दिखी. विराट कोहली सीजन में शुरुआती मैचों से ही रन बना रहे हैं. उस दौरान उन्हें किसी दूसरे बल्लेबाज का साथ नहीं मिला और नतीजतन बेंगलुरु शुरुआती 8 में से 7 मैच हार गई. जब टीम ने एकजुट होकर प्रदर्शन किया तो टीम को जीत मिली.

नहीं चले कप्तान फाफ डु प्लेसिस

फाफ डु प्लेसिस के पास विराट कोहली के साथ मिलकर टीम को अच्छी शुरुआत दिलाने की जिम्मेदारी थी, लेकिन फाफ एलिमिनेटर में ऐसा करने से चूक गए. फाफ सिर्फ 17 रन बनाकर आउट हुए. फाफ इस पूरे सीजन रन बनाने के लिए संघर्ष करते रहे. उन्होंने इस सीजन 29.20 की औसत से 438 रन बनाए हैं.  फाफ के जल्दी विकेट गंवाने से टीम पावरप्ले का फायदा उठाने से चूक गई. अहमदाबाद में गेंदबाजों को फायदा मिलता है, ऐसे में अगर फाफ शुरुआत से ही आक्रमक नजर आते और कुछ समय और क्रीज पर टिक जाते, तो मैच का परिणाम कुछ और हो सकता था.

औंधे मुंह गिरे मैक्सवेल

ग्लेन मैक्सवेल को अगर बेंगलुरु की हार का सबसे बड़े दोषियों की सूची में रखा जाए तो गलत नहीं होगा. मैक्सवेल इस सीजन चार बार खाता भी नहीं खोल पाए हैं. एलिमिनेटर में जब मैक्सवेल बल्लेबाजी को आए थे, तब उनके लिए मंच पूरी तरह से सेट था. बेंगलुरु 97 के स्कोर पर तीन विकेट गंवा चुकी थी. बेंगलुरु को बड़े स्कोर पर ले जाने की जिम्मेदारी इसके बाद मैक्सवेल के पास थी, लेकिन उन्होंने अपना विकेट गंवा दिया. मैक्सवेल ने आते ही अश्विन को बड़ा शॉट लगाना चाहा और इस कड़ी में आउट हुए. आरसीबी डगआउट में बैठे विराट कोहली भी मैक्सवेल के इस शॉट से खुश नजर नहीं आए क्योंकि यह गैरजरुरी शॉट था. मैक्सवेल ने इस सीजन में खेले 10 मैचों में 5.77 की औसत से 52 रन बनाए हैं.

स्तरीय पेसर का अभाव

बेंगलुरु की गेंदबाजी इस सीजन काफी औसत रही है. आरसीबी ने इस सीजन खेले 15 मैचों में से सिर्फ एक मैच में विरोधी टीम को ऑल-आउट किया है. बेंगलुरु की  तरफ से सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाद यश दयाल हैं, जिन्होंने 15 विकेट लिए हैं और वो सीजन में सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाजों की लिस्ट में 18वें स्थान पर हैं. इस सीजन सर्वाधिक विकेट लेने वाले टॉप-20 गेंदबाजों की सूची में बेंगलुरु के सिर्फ दो खिलाड़ी हैं. बेंगलुरु के गेंदबाज इस सीजन सिर्फ 81 विकेट ले पाए हैं. जो टीम की कमजोर गेंदबाजी को साफ तौर पर दर्शाता है. बेंगलुरु के गेंदबाजी में एक अनुभवी और खूंखास तेज गेंदबाज की कमी नजर आई. टीम ने तेज गेंदबाजों- मोहम्मद सिराज (इकोनॉमी रेट 9.18), लॉकी फर्ग्युसन (इकोनॉमी रेट 10.62), यश दयाल (इकोनॉमी रेट 9.14), रीस टॉपले (इकोनॉमी रेट 11.200)- में से कोई भी प्रभावशाली नहीं रहा. स्पिनर कर्ण शर्मा (इकोनॉमी रेट 10.58) भी महंगे साबित हुए.

मिडिल ऑर्डर में नहीं दिखा दम

बेंगलुरु का मिडिल ऑर्डर में इस साल बिल्कुल भी दम नहीं दिखा. बेंगलुरु ने जो आखिरी में जो छह मैच जीते उसमें रजत पाटीदार को छोड़कर मध्यक्रम का कोई ऐसा बल्लेबाज नहीं रहा, जिसने अपने प्रदर्शन से प्रभावित किया हो. कैमरून ग्रीन ने जरुर कुछ पारियां खेली हैं, लेकिन वो भी उन मैचों में जहां, उन्हें  बल्लेबाजी के लिए ऊपर भेजा गया था. मैक्सवेल के आने से टीम का प्रदर्शन बेहतर नहीं हुआ है. इसके अलावा महिपाल लोमरूर भी अहम मौकों पर बड़ी पारी खेलने में नाकाम रहे.

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