
सुनील गावस्कर ने ऐसी पारी खेली थी, जिसे वह खुद भी याद नहीं रखना चाहेंगे (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
टेस्ट सीरीज के बाद अब बारी वनडे सीरीज की है. टेस्ट मैचों में 0-4 की करारी हार झेलने वाली इंग्लैंड टीम क्रिसमस ब्रेक के बाद फिर भारत में होगी. इसके बाद होगी तीन वनडे मैचों और इतने ही टी 20 मैचों की सीरीज. क्रिकेटप्रेमियों को हालांकि इन दोनों सीरीज में भी टीम इंडिया की जीत की उम्मीद है, लेकिन इस बात को हर कोई मान रहा है कि यहां मुकाबला टेस्ट सीरीज की तरह लगभग आसान नहीं होने वाला. इसके पीछे कई कारण हैं. कप्तान एलिस्टर कुक सहित टेस्ट सीरीज में खेले इंग्लैंड के कई खिलाड़ी इस टीम में नहीं हैं यानी नए जोश के साथ नए खिलाड़ी महेंद्र सिंह धोनी के धुरंधरों के साथ मुकाबले को तैयार हैं. इंग्लैंड की कप्तानी इन दोनों सीरीज में इयोन मोर्गन संभालेंगे. सीरीज का पहला वनडे 15 जनवरी को पुणे में खेला जाएगा.
समग्र रूप से देखें तो दोनों मुल्कों के बीच अब तक 93 मैच हुए हैं जिसमें भारत ने 50 और इंग्लैंड ने 38 मैच जीते हैं. दो मैच टाई हुए हैं जबकि तीन मैचों का कोई परिणाम नही निकला है. वैसे तो भारत और इंग्लैंड के बीच अब तक कई रोचक मुकाबले हुए हैं, लेकिन कुछ मुकाबले इस कदर रोमांच से भरपूर रहे हैं कि दोनों देशों के फैंस की सांसें ऊपर-नीचे होती रही और अंतिम क्षणों तक जीतने वाली टीम का अंदाजा लगाना मुश्किल हो गया था. आइए नजर डालते हैं कि भारत के लिए जीत के लिहाज से यादगार और निराशा से भरपूर रहे ऐसे ही एक-एक मैच पर...
जब उम्मीद खत्म हो गई थी तब कैफ और युवराज बने थे जीत के नायक...
13 जुलाई 2002 को लार्ड्स में खेला गया यह मैच भारत और इंग्लैंड के बीच सबसे रोमांचक मैचों में गिना जाएगा. इसमें जीत एक क्षण इंग्लैंड के खेमे में जाती नजर आ रही थी तो अगले ही क्षण भारतीय खिलाड़ियों का कमाल इसे उनके पक्ष में खींच रहा था. अंत तक यह अंदाज लगाना मुश्किल हो रहा था कि जीत का पलड़ा आखिर किसके पक्ष में झुकेगा. नेटवेस्ट सीरीज के इस फाइनल में इंग्लैंड की टीम ने टॉस जीता और पहले बैटिंग को उतरी. शुरुआत से ही इंग्लैंड के बल्लेबाजों ने भारतीय गेंदबाजों को अच्छी खबर ली. मेजबान टीम ने निर्धारित 50 ओवर्स में पांच विकेट पर 325 रन बनाए जिसमें मार्कस ट्रेस्कोथिक (109)और कप्तान नासिर हुसैन (115)के शतक शामिल रहे. जवाब में टीम इंडिया के लिए वीरेंद्र सहवाग (45)और सौरव गांगुली (60 ) ने पहले विकेट के लिए 106 रन जोड़कर शुरुआत तो अच्छी की लेकिन इसके बाद स्कोर में 40 रन जुड़ते-जुड़ते पांच बड़े नाम वाले बल्लेबाज पेवेलियन लौट आए. टीम का स्कोर 146 रन था और सहवाग, कप्तान सौरव गांगुली, सचिन तेंदुलकर, दिनेश मोंगिया और राहुल द्रविड़ आउट हो चुके थे.
मोहम्मद कैफ और युवराज सिंह ने जूनियर लेवल पर भी काफी मैच साथ खेले हैं. वह युवी की शादी में भी पहुंचे थे...
जाहिर है ऐसे समय इंग्लैंड टीम का आत्मविश्वास आसमान पर था और मैदान पर मौजूद और टीवी पर मैच देख रहे भारतीय समर्थक उम्मीद खोते जा रहे थे. इन मुश्किल क्षणों में युवराज और कैफ के बीच जब छठे विकेट के लिए साझेदारी शुरू हुई तो कुछ उम्मीद जागी. पहले इन दोनों ने संभलकर बल्लेबाजी की और फिर इंग्लैंड के गेंदबाजों की जमकर खबर ली. छठे विकेट के लिए युवी-कैफ ने 121 रन जोड़कर भारतीय खेमे में उत्साह जगा दी. युवराज (63 गेंद पर 69 रन, 9चौके व एक छक्का) के आउट के बाद मैच एक बार फिर दोनों टीमों के लिए खुल गया था. इंग्लैंड के टारगेट तक पहुंचने में टीम ने हरभजन और अनिल कुंबले के विकेट भी गंवा दिए, लेकिन कैफ कहां हार मानने वाले थे. उन्होंने 75 गेंदों पर छह चौकों और दो छक्कों से सजी नाबाद 87 रन की पारी खेली और टीम को दो विकेट की जीत दिला दी. मैच के बाद लार्ड्स के बालकनी पर सौरव गांगुली के शर्ट लहराते फोटो अभी भी क्रिकेटप्रेमियों का याद हैं. फाइनल में मिली इस जीत से टीम इंडिया ने नेटवेस्ट ट्रॉफी पर कब्जा किया था.
202 रन के विशाल अंतर से हार और सनी की वह 'कछुआ' पारी...
संयोग से भारत को इंग्लैंड के खिलाफ अपनी सबसे बुरी हार भी लार्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर मिली है. यह वह दौर था जब भारतीय टीम वनडे क्रिकेट के नौसिखिया टीमों में शुमार होती थी. मौका था वर्ष 1975 के प्रडेंशियल वर्ल्डकप का. भारतीय टीम की कप्तानी वेंकटराघवन संभाल रहे थे तो इंग्लैंड के कप्तान माइक डेनेस थे.टॉस जीतकर पहले बैटिंग करते हुए इंग्लैंड भारतीय गेंदबाजों की खूब खबर ली और निर्धारित 60 ओवर्स (उस समय इंग्लैंड में वनडे 60-60 ओवर के ही होते थे) में चार विकेट पर 334 रन बनाए. इंग्लिश टीम की ओर से डेनिस एमिस ने 137 और कीथ फ्लेचर ने 68 रन की पारी खेली. इस बात को ध्यान रखना होगा कि यह वनडे क्रिकेट का शुरुआती दौर था और वनडे में शतक बनाना भी तब बड़ी उपलब्धि मानी जाती थी. टीम इंडिया के सभी गेंदबाज पिटे. करसन घावरी ने तो 11 ओवर में 83 रन खर्च किए. जवाब में जब भारतीय टीम उतरी तो ऐसा लगा ही नहीं कि उसकी ओर से जीत का प्रयास हो रहा है. महान सुनील गावस्कर तो यह मैच कभी याद नहीं रखना चाहेंगे. मैच में भारतीय टीम ने पूरे 60 ओवर खेले और स्कोर रहा तीन विकेट पर 132.....जी हां 132 रन. मैच भारतीय टीम 202 रन के विशाल अंतर से हारी.
अब बात सुनील गावस्कर की, जो मैच में पारी की शुरुआत करने के बाद नाबाद लौटे. उन्होंने अपनी पारी में 178 गेंदों का सामना किया और बनाए सिर्फ 36 रन (स्ट्राइक रेट 20.68), इस पारी में एक चौका शामिल था. अन्य बल्लेबाजों का प्रदर्शन भी लगभग इसी तरह का था. सनी के साथ पारी शुरू करने उतरे एकनाथ सोलकर ने 34 गेंदों पर 8 रन (स्ट्राइक रेट 23.52) और अंशुमन गायकवाड़ ने 46 गेंद पर 22 रन (स्ट्राइक रेट 47.82) बनाए. गुंडप्पा विश्वनाथ ही कुछ संघर्ष कर सके. विशी ने 59 गेंदों पर 37 रन (स्ट्राइक रेट 62.71) बनाए लेकिन इंग्लैंड के विशाल स्कोर के आगे यह पारी 'ऊंट के मुंह में जीरा' बनकर रह गई...
समग्र रूप से देखें तो दोनों मुल्कों के बीच अब तक 93 मैच हुए हैं जिसमें भारत ने 50 और इंग्लैंड ने 38 मैच जीते हैं. दो मैच टाई हुए हैं जबकि तीन मैचों का कोई परिणाम नही निकला है. वैसे तो भारत और इंग्लैंड के बीच अब तक कई रोचक मुकाबले हुए हैं, लेकिन कुछ मुकाबले इस कदर रोमांच से भरपूर रहे हैं कि दोनों देशों के फैंस की सांसें ऊपर-नीचे होती रही और अंतिम क्षणों तक जीतने वाली टीम का अंदाजा लगाना मुश्किल हो गया था. आइए नजर डालते हैं कि भारत के लिए जीत के लिहाज से यादगार और निराशा से भरपूर रहे ऐसे ही एक-एक मैच पर...
जब उम्मीद खत्म हो गई थी तब कैफ और युवराज बने थे जीत के नायक...
13 जुलाई 2002 को लार्ड्स में खेला गया यह मैच भारत और इंग्लैंड के बीच सबसे रोमांचक मैचों में गिना जाएगा. इसमें जीत एक क्षण इंग्लैंड के खेमे में जाती नजर आ रही थी तो अगले ही क्षण भारतीय खिलाड़ियों का कमाल इसे उनके पक्ष में खींच रहा था. अंत तक यह अंदाज लगाना मुश्किल हो रहा था कि जीत का पलड़ा आखिर किसके पक्ष में झुकेगा. नेटवेस्ट सीरीज के इस फाइनल में इंग्लैंड की टीम ने टॉस जीता और पहले बैटिंग को उतरी. शुरुआत से ही इंग्लैंड के बल्लेबाजों ने भारतीय गेंदबाजों को अच्छी खबर ली. मेजबान टीम ने निर्धारित 50 ओवर्स में पांच विकेट पर 325 रन बनाए जिसमें मार्कस ट्रेस्कोथिक (109)और कप्तान नासिर हुसैन (115)के शतक शामिल रहे. जवाब में टीम इंडिया के लिए वीरेंद्र सहवाग (45)और सौरव गांगुली (60 ) ने पहले विकेट के लिए 106 रन जोड़कर शुरुआत तो अच्छी की लेकिन इसके बाद स्कोर में 40 रन जुड़ते-जुड़ते पांच बड़े नाम वाले बल्लेबाज पेवेलियन लौट आए. टीम का स्कोर 146 रन था और सहवाग, कप्तान सौरव गांगुली, सचिन तेंदुलकर, दिनेश मोंगिया और राहुल द्रविड़ आउट हो चुके थे.

जाहिर है ऐसे समय इंग्लैंड टीम का आत्मविश्वास आसमान पर था और मैदान पर मौजूद और टीवी पर मैच देख रहे भारतीय समर्थक उम्मीद खोते जा रहे थे. इन मुश्किल क्षणों में युवराज और कैफ के बीच जब छठे विकेट के लिए साझेदारी शुरू हुई तो कुछ उम्मीद जागी. पहले इन दोनों ने संभलकर बल्लेबाजी की और फिर इंग्लैंड के गेंदबाजों की जमकर खबर ली. छठे विकेट के लिए युवी-कैफ ने 121 रन जोड़कर भारतीय खेमे में उत्साह जगा दी. युवराज (63 गेंद पर 69 रन, 9चौके व एक छक्का) के आउट के बाद मैच एक बार फिर दोनों टीमों के लिए खुल गया था. इंग्लैंड के टारगेट तक पहुंचने में टीम ने हरभजन और अनिल कुंबले के विकेट भी गंवा दिए, लेकिन कैफ कहां हार मानने वाले थे. उन्होंने 75 गेंदों पर छह चौकों और दो छक्कों से सजी नाबाद 87 रन की पारी खेली और टीम को दो विकेट की जीत दिला दी. मैच के बाद लार्ड्स के बालकनी पर सौरव गांगुली के शर्ट लहराते फोटो अभी भी क्रिकेटप्रेमियों का याद हैं. फाइनल में मिली इस जीत से टीम इंडिया ने नेटवेस्ट ट्रॉफी पर कब्जा किया था.
202 रन के विशाल अंतर से हार और सनी की वह 'कछुआ' पारी...
संयोग से भारत को इंग्लैंड के खिलाफ अपनी सबसे बुरी हार भी लार्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर मिली है. यह वह दौर था जब भारतीय टीम वनडे क्रिकेट के नौसिखिया टीमों में शुमार होती थी. मौका था वर्ष 1975 के प्रडेंशियल वर्ल्डकप का. भारतीय टीम की कप्तानी वेंकटराघवन संभाल रहे थे तो इंग्लैंड के कप्तान माइक डेनेस थे.टॉस जीतकर पहले बैटिंग करते हुए इंग्लैंड भारतीय गेंदबाजों की खूब खबर ली और निर्धारित 60 ओवर्स (उस समय इंग्लैंड में वनडे 60-60 ओवर के ही होते थे) में चार विकेट पर 334 रन बनाए. इंग्लिश टीम की ओर से डेनिस एमिस ने 137 और कीथ फ्लेचर ने 68 रन की पारी खेली. इस बात को ध्यान रखना होगा कि यह वनडे क्रिकेट का शुरुआती दौर था और वनडे में शतक बनाना भी तब बड़ी उपलब्धि मानी जाती थी. टीम इंडिया के सभी गेंदबाज पिटे. करसन घावरी ने तो 11 ओवर में 83 रन खर्च किए. जवाब में जब भारतीय टीम उतरी तो ऐसा लगा ही नहीं कि उसकी ओर से जीत का प्रयास हो रहा है. महान सुनील गावस्कर तो यह मैच कभी याद नहीं रखना चाहेंगे. मैच में भारतीय टीम ने पूरे 60 ओवर खेले और स्कोर रहा तीन विकेट पर 132.....जी हां 132 रन. मैच भारतीय टीम 202 रन के विशाल अंतर से हारी.
अब बात सुनील गावस्कर की, जो मैच में पारी की शुरुआत करने के बाद नाबाद लौटे. उन्होंने अपनी पारी में 178 गेंदों का सामना किया और बनाए सिर्फ 36 रन (स्ट्राइक रेट 20.68), इस पारी में एक चौका शामिल था. अन्य बल्लेबाजों का प्रदर्शन भी लगभग इसी तरह का था. सनी के साथ पारी शुरू करने उतरे एकनाथ सोलकर ने 34 गेंदों पर 8 रन (स्ट्राइक रेट 23.52) और अंशुमन गायकवाड़ ने 46 गेंद पर 22 रन (स्ट्राइक रेट 47.82) बनाए. गुंडप्पा विश्वनाथ ही कुछ संघर्ष कर सके. विशी ने 59 गेंदों पर 37 रन (स्ट्राइक रेट 62.71) बनाए लेकिन इंग्लैंड के विशाल स्कोर के आगे यह पारी 'ऊंट के मुंह में जीरा' बनकर रह गई...
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