Sarfaraz Khan put himself in special club: न्यूजीलैंड के खिलाफ (Ind vs Nz) बेंगलुरु में पहले टेस्ट के दूसरे दिन जो हाल भारत के थे, उसे देखकर एक बार को तो यही लगा कि यह मैच एक बार को शायद चौथे दिन ही खत्म हो जाए. और अगर मुकाबला अब निर्णायक पांचवे दिन पहुंचा है, तो बिना किसी शक के सरफराज खान (Sarfaraz Khan) का योगदान बहुत बड़ा है. मैच का परिणाम यहां से चाहे जो भी है, अब सरफराज ने इस यादगार पारी से सिर पर मंडरा रहे थोड़े-बहुत चिंता रूपी बादलों को पूरी तरह खत्म कर दिया है. सरफराज के बल्ले से यह पारी ऐसे समय पर आई, उनके लिए भी उतनी ही जरूरी थी, जितनी टीम इंडिया के लिए. एक स्पेशल पारी, जिससे एक संयोग भारतीय क्रिकेट में करीब 28 साल बाद हुआ. सरफराज खास क्लब में शामिल हो गए और इस संयोग की गिरफ्त में आने वाले वह भारतीय इतिहास के सिर्फ तीसरे बल्लेबाज बने.
सिर्फ तीन बार ही हुआ ऐसा भारतीय इतिहास में
इस संयोग या अनचाहे रिकॉर्ड में योगदान पहली पारी में सरफराज की जीरो का भी है.यह भारतीय क्रिकेट में सिर्फ तीसरी बार हुआ, जब किसी बल्लेबाज ने एक ही टेस्ट में जीरो और डेढ़ सौ या इससे ज्यादा का स्कोर किया. आखिरी बार यह कारनामा विकेटकीपर बल्लेबाज नयन मोंगिया ने साल 1996 में किया था. तब मोंगिया ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दिल्ली में 152 और 0 का स्कोर किया था. मतलब करीब 28 साल बाद सरफराज के रूप में किसी भारतीय ने ऐसा किया.
पहली पारी 1953 में हुआ था ऐसा
यह संयोग पहली बार साल 1953 में हुआ था, जब माधव आप्टे ने विंडीज के खिलाफ उसी की धरती पर पहली पारी में 0 और दूसरी पारी में बिना आउट हुए 163 रन बनाए थे. पहली और दूसरी बार हुए इस संयोग के बीच 43 साल का अंतराल है. वजह साफ है कि यह एक संयोग ही है क्योंकि कोई बल्लेबाज स्कोर तो बड़े से बड़ा करना चाहता है, लेकिन शून्य पर कोई भी आउट नहीं होना चाहता.
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