इंग्लैंड टीम ने राजकोट टेस्ट में शानदार प्रदर्शन किया (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
राजकोट टेस्ट एक तरह से टीम इंडिया के लिए 'वार्निग अलार्म' था. भरपूर (अति?) आत्मविश्वास के साथ इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज में उतरी टीम इंडिया को पहला टेस्ट ड्रॉ होने के बाद अपनी रणनीति पर नए सिरे से विचार करना पड़ सकता है. पांचवें दिन खेल की समाप्ति पर टीम इंडिया का स्कोर 172/6 रहा, जबकि जीत के लिए इंग्लैंड टीम ने 310 रन का मुश्किल सा लक्ष्य रखा था. 132 के स्कोर पर छह विकेट गिरने के बाद जब हार भारतीय खेमे के करीब आने लगी थी, तब कप्तान विराट कोहली (नाबाद 49) और लोकल हीरो रवींद्र जडेजा (नाबाद 32) संकटमोचक बने और खेल समाप्त होने के लिए बचे 10 ओवर का समय बिना किसी खतरे के निकाल दिया. इन दोनों ने सातवें विकेट के लिए 40 रन की नाबाद साझेदारी की.
राजकोट टेस्ट ड्रॉ भले ही रहा हो, लेकिन यह मेहमान इंग्लिश टीम के लिए भरपूर आत्मविश्वास दे गया. दूसरी ओर राजकोट टेस्ट से सीख लेते हुए टीम इंडिया को कुछ खास तैयारी करनी होगी. भारत और इंग्लैंड के बीच सीरीज का यह पहला टेस्ट टीम इंडिया के लिए चार कड़े सबक देकर गया है...
1. बल्लेबाजों को समर्पण भाव से खेलना होगा
मैच में वैसे तो भारत की ओर से चेतेश्वर पुजारा और मुरली विजय ने शतक लगाए, लेकिन समग्र रूप से देखें तो भारतीय बल्लेबाजों में समर्पण भाव की कमी दिखाई दी. पुजारा-विजय, अश्विन और विराट कोहली ही ऐसे बल्लेबाज रहे, जिन्होंने विकेट पर रुककर इंग्लैंड के गेंदबाजों के आगे रुकने की जेहमत उठाई. दूसरे बल्लेबाजों ने या तो विकेट पर निगाह जमने के पहले ही आक्रामक शॉट खेलने की कोशिश की या फिर सेट होने के बाद लापरवाही दिखाते हुए विकेट गंवाया. दूसरी पारी में इंग्लैंड की बल्लेबाजी तक पांचवें दिन के लिहाज से पिच ठीकठाक व्यवहार कर रही थी, लेकिन भारत की बल्लेबाजी आते ही यह लगभग 'अनप्लेवल' लगने लगी.
भारतीय बल्लेबाजों की अप्रोच में कुछ कमी दिखी. दूसरी पारी में जब मुश्किल वक्त पर विकेट पर रुकने की जरूरत थी तब अश्विन ने आक्रामक तेवर अपनाने की कोशिश में विकेट गंवाया. सबसे निराश अजिंक्य रहाणे ने किया जो पहली पारी में 13 और दूसरी में एक रन बनाकर आउट हुए. बल्लेबाजों को अति आत्मविश्वासी होने से बचना होगा. इंग्लैंड के स्पिन तिकड़ी के खिलाफ खेलने की इच्छाशक्ति उन्हें दिखानी होगी.
2. पांच गेंदबाज खिलाने का जोखिम अब शायद ही उठाए टीम
राजकोट में टीम इंडिया पांच गेंदबाजों उमेश यादव, मो.शमी, अमित मिश्रा, आर.अश्विन और रवींद्र जडेजा के साथ उतरी. मैच के पहले टीम इंडिया में इसी बात पर मंथन चल रहा था कि सातवें क्रम पर नवोदित करुण नायर को खिलाया जाए या हार्दिक पांड्या/अमित मिश्रा को. आखिर में फैसला अमित मिश्रा के पक्ष में हुआ, लेकिन इंग्लैंड के गेंदबाजों ने भारतीय बल्लेबाजी में जिस तरह से सेंध लगाई है, उसके मद्देनजर लगता यही है कि टीम इंडिया आगे पांच खालिस गेंदबाजों के साथ उतरने का साहस नहीं करे. एक तरह से यह इंग्लैंड टीम की मनोवैज्ञानिक जीत ही मानी जाएगी, क्योंकि चार गेंदबाजों के साथ उतरने का मतलब होगा रक्षात्मक होना.
3. अगर अश्विन नहीं चलें, तो प्लान 'बी' क्या
न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में टीम इंडिया का गेंदबाजी में प्रदर्शन आर.अश्विन के इर्दगिर्द ही केंद्रित रहा. दूसरे गेंदबाज उनके सहायक के रोल में रहे, लेकिन इंग्लैंड के खिलाफ पहले टेस्ट की बात करें तो तमिलनाडु का यह ऑफ स्पिनर खतरा बनता नजर नहीं आया. उन्हें पहली पारी में दो और दूसरी पारी में एक विकेट मिला. ऐसे में प्रश्न उठना लाजिमी है कि अगर आगे भी अश्विन अपेक्षानुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाए, तो इंग्लैंड के खिलाफ विकेट कौन-सा गेंदबाज निकालकर देगा. टीम को इस दिशा में भी गहन मंथन करना होगा.
4. कुक और रूट के खिलाफ क्या हो रणनीति
इंग्लैंड की पहली पारी में जो रूट और दूसरी पारी में कप्तान एलिस्टर कुक ने शतक जमाकर भारत के लिए खतरे की घंटी बजा दी है. वैसे तो पहली पारी में मोईन अली और बेन स्टोक्स ने भी शतक बनाए, लेकिन कुक और रूट ही इंग्लिश बल्लेबाजी की 'रूट' साबित होने वाले हैं. कुक इससे पहले 2012-13 में हुई सीरीज में भी भारतीय गेंदबाजों के सब्र की परीक्षा ले चुके हैं. उस समय चार टेस्ट की सीरीज में उन्होंने 80.28 के औसत से सर्वाधिक 562 रन बनाए थे, जिसमें तीन शतक शामिल थे.
राजकोट टेस्ट में तो ऐसा लगा ही नहीं कि भारतीय गेंदबाज, इंग्लैंड के इन दोनों बल्लेबाजों के खिलाफ कोई रणनीति बनाकर उतरे. आगे के मैचों में इन दोनों बल्लेबाजों को आउट करने के लिए अच्छी तैयारी की जरूरत होगी. यह भी याद रखना होगा कि आगे के मैचों में इंग्लैंड के प्रमुख तेज गेंदबाज जेम्स एंडरसन टीम में वापसी कर सकते हैं. जाहिर है टीम इंडिया के लिए यह 'जागने' का वक्त है...
राजकोट टेस्ट ड्रॉ भले ही रहा हो, लेकिन यह मेहमान इंग्लिश टीम के लिए भरपूर आत्मविश्वास दे गया. दूसरी ओर राजकोट टेस्ट से सीख लेते हुए टीम इंडिया को कुछ खास तैयारी करनी होगी. भारत और इंग्लैंड के बीच सीरीज का यह पहला टेस्ट टीम इंडिया के लिए चार कड़े सबक देकर गया है...
1. बल्लेबाजों को समर्पण भाव से खेलना होगा
मैच में वैसे तो भारत की ओर से चेतेश्वर पुजारा और मुरली विजय ने शतक लगाए, लेकिन समग्र रूप से देखें तो भारतीय बल्लेबाजों में समर्पण भाव की कमी दिखाई दी. पुजारा-विजय, अश्विन और विराट कोहली ही ऐसे बल्लेबाज रहे, जिन्होंने विकेट पर रुककर इंग्लैंड के गेंदबाजों के आगे रुकने की जेहमत उठाई. दूसरे बल्लेबाजों ने या तो विकेट पर निगाह जमने के पहले ही आक्रामक शॉट खेलने की कोशिश की या फिर सेट होने के बाद लापरवाही दिखाते हुए विकेट गंवाया. दूसरी पारी में इंग्लैंड की बल्लेबाजी तक पांचवें दिन के लिहाज से पिच ठीकठाक व्यवहार कर रही थी, लेकिन भारत की बल्लेबाजी आते ही यह लगभग 'अनप्लेवल' लगने लगी.
भारतीय बल्लेबाजों की अप्रोच में कुछ कमी दिखी. दूसरी पारी में जब मुश्किल वक्त पर विकेट पर रुकने की जरूरत थी तब अश्विन ने आक्रामक तेवर अपनाने की कोशिश में विकेट गंवाया. सबसे निराश अजिंक्य रहाणे ने किया जो पहली पारी में 13 और दूसरी में एक रन बनाकर आउट हुए. बल्लेबाजों को अति आत्मविश्वासी होने से बचना होगा. इंग्लैंड के स्पिन तिकड़ी के खिलाफ खेलने की इच्छाशक्ति उन्हें दिखानी होगी.
2. पांच गेंदबाज खिलाने का जोखिम अब शायद ही उठाए टीम
राजकोट में टीम इंडिया पांच गेंदबाजों उमेश यादव, मो.शमी, अमित मिश्रा, आर.अश्विन और रवींद्र जडेजा के साथ उतरी. मैच के पहले टीम इंडिया में इसी बात पर मंथन चल रहा था कि सातवें क्रम पर नवोदित करुण नायर को खिलाया जाए या हार्दिक पांड्या/अमित मिश्रा को. आखिर में फैसला अमित मिश्रा के पक्ष में हुआ, लेकिन इंग्लैंड के गेंदबाजों ने भारतीय बल्लेबाजी में जिस तरह से सेंध लगाई है, उसके मद्देनजर लगता यही है कि टीम इंडिया आगे पांच खालिस गेंदबाजों के साथ उतरने का साहस नहीं करे. एक तरह से यह इंग्लैंड टीम की मनोवैज्ञानिक जीत ही मानी जाएगी, क्योंकि चार गेंदबाजों के साथ उतरने का मतलब होगा रक्षात्मक होना.
3. अगर अश्विन नहीं चलें, तो प्लान 'बी' क्या
न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में टीम इंडिया का गेंदबाजी में प्रदर्शन आर.अश्विन के इर्दगिर्द ही केंद्रित रहा. दूसरे गेंदबाज उनके सहायक के रोल में रहे, लेकिन इंग्लैंड के खिलाफ पहले टेस्ट की बात करें तो तमिलनाडु का यह ऑफ स्पिनर खतरा बनता नजर नहीं आया. उन्हें पहली पारी में दो और दूसरी पारी में एक विकेट मिला. ऐसे में प्रश्न उठना लाजिमी है कि अगर आगे भी अश्विन अपेक्षानुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाए, तो इंग्लैंड के खिलाफ विकेट कौन-सा गेंदबाज निकालकर देगा. टीम को इस दिशा में भी गहन मंथन करना होगा.
4. कुक और रूट के खिलाफ क्या हो रणनीति
इंग्लैंड की पहली पारी में जो रूट और दूसरी पारी में कप्तान एलिस्टर कुक ने शतक जमाकर भारत के लिए खतरे की घंटी बजा दी है. वैसे तो पहली पारी में मोईन अली और बेन स्टोक्स ने भी शतक बनाए, लेकिन कुक और रूट ही इंग्लिश बल्लेबाजी की 'रूट' साबित होने वाले हैं. कुक इससे पहले 2012-13 में हुई सीरीज में भी भारतीय गेंदबाजों के सब्र की परीक्षा ले चुके हैं. उस समय चार टेस्ट की सीरीज में उन्होंने 80.28 के औसत से सर्वाधिक 562 रन बनाए थे, जिसमें तीन शतक शामिल थे.
राजकोट टेस्ट में तो ऐसा लगा ही नहीं कि भारतीय गेंदबाज, इंग्लैंड के इन दोनों बल्लेबाजों के खिलाफ कोई रणनीति बनाकर उतरे. आगे के मैचों में इन दोनों बल्लेबाजों को आउट करने के लिए अच्छी तैयारी की जरूरत होगी. यह भी याद रखना होगा कि आगे के मैचों में इंग्लैंड के प्रमुख तेज गेंदबाज जेम्स एंडरसन टीम में वापसी कर सकते हैं. जाहिर है टीम इंडिया के लिए यह 'जागने' का वक्त है...
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