पहली बार नहीं टूटा है दिल, टीम इंडिया ने ये दर्द पहले भी दिया है

पहली बार नहीं टूटा है दिल, टीम इंडिया ने ये दर्द पहले भी दिया है

नई दिल्ली:

बांग्लादेश के हाथों पहली बार सीरीज की हार ने टीम इंडिया और उसके प्रशंसकों को बुरी तरह से झकझोर दिया है। पहले मैच में 79 रन से बड़ी हार और दूसरे मैच में स्टार बल्लेबाजों की सेना 200 पर ढेर हो गई और बांग्लादेश ने 6 विकेट से पीट दिया। इस तरह की हार हमेशा टीम इंडिया के प्रशंसकों का दिल तोड़ देती है। यहां जानें इससे पहले कब-कब और किस तरह टूटा दिल...

1. श्रीलंका त्रिकोणीय सीरीज पहला मैच 2010
न्यूजीलैंड के खिलाफ दम्बुला के मैदान में खेले गए इस मैच में भी टीम इंडिया के प्रशंसकों का दिल चकनाचूर हुआ। पहले बल्लेबाजी करते हुए न्यूजीलैंड ने 288 रन बनाए, लेकिन वीरेंद्र सहवाग, रोहित शर्मा, युवराज सिंह, सुरेश रैना और रविंद्र जडेजा से सजी टीम ने 88 रन पर ही हथियार डाल दिए। इस मैच में भी कप्तान एमएस धोनी ही थे।

2. ऑस्ट्रेलिया के साथ घरेलू सीरीज का 5वां मैच 2009-10
हैदराबाद में खेले गए इस मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी की और 350 रन का बड़ा स्कोर खड़ा कर दिया। जवाब में सचिन तेंदुलकर के 175 रन की बदौलत टीम इंडिया जीत के बेहद करीब पहुंच गई थी। इस मैच में सिर्फ 3 रन से भारत की हार ने कईयों के दिल तोड़ दिए। भारत की पूरी टीम 49.4 ओवर में आउट हो गई, प्रशंसक आज भी मानते हैं कि अगर कोई खिलाड़ी अंतिम गेंद तक क्रीज पर टिक जाता तो जीत भारत की ही होती।

3. आईसीसी वर्ल्ड कप 2007, ग्रुप-बी मैच
पोर्ट ऑफ स्पेन में भारत का मुकाबला कमजोर मानी जाने वाली बांग्लादेश की टीम से था। भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया और सौरव गांगुली (66) व युवराज सिंह (47) की बदौतल टीम इंडिया 191 रन बनाकर 49.3 ओवर में ढेर हो गई। सहवाग, उथप्पा, सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड, धोनी, हरभजन सिंह, जहीर खान और अजीत अगरकर जैसे सितारे इस टीम में थे। लेकिन बांग्लादेश ने सिर्फ 5 विकेट गंवाकर लक्ष्य हासिल कर लिया और टीम इंडिया के लिए वर्ल्डकप में आगे जाने के रास्ते बंद कर दिए।

4. आईसीसी वर्ल्ड कप 2003 फाइनल
सभी को चौंकाते हुए टीम इंडिया ने फाइनल तक का सफर तय किया। प्रशंसकों की उम्मीदें सातवें आसमान पर थीं। जोहानिसबर्ग में खेले गए फाइनल मुकाबले में भारत ने टॉस जीता और ऑस्ट्रेलिया को बल्लेबाजी के लिए आमंत्रित किया। कप्तान रिकी पोंटिंग (140), डेमियन मार्टिन (88), गिलक्रिस्ट (57) और मैथ्यू हेडन (37) की बदौलत ऑस्ट्रेलिया ने दो विकेट खोकर 359 रन का स्कोर खड़ा किया। उम्मीदें तो पहले ही धूमिल हो चुकीं थीं, टीम के प्रदर्शन ने दिल ही तोड़कर रख दिया। भारत की पूरी टीम 39.2 ओवर में 234 रन पर ढेर हो गई। सहवाग और द्रविड कुछ देर क्रीज पर जरूर टिके लेकिन किसी ने उनका साथ नहीं दिया। जबकि टीम में एक से बढ़कर एक धुरंधर बल्लेबाज मौजूद थे।

5. स्टैंडर्ड बैंक त्रिकोणीय टूर्नामेंट 2001-02
सौरव गांगुली, सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड, युवराज सिंह, अनिल कुंबले और हरभजन सिंह जैसे सितारों से सजी टीम इंडिया को केन्या ने सीरीज से छठे मैच में 70 रन से हरा दिया। पहले बल्लेबाजी करते हुए केन्या ने 246 रन का स्कोर खड़ा किया, लेकिन पूरी टीम इंडिया 46.4 ओवर में 176 रन बनाकर पवेलियन लौट गई। काफी कमजोर मानी जाने वाली केन्या टीम के सामने इस हार ने प्रशंसकों को दिल तोड़ दिया।

6. चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल 2000-01
शारजहां में खेले गए इस मुकाबले में श्रीलंका ने जयसूर्या के 189 रन की बदौलत 299 का विशाल स्कोर खड़ा किया। 300 रन के लक्ष्य के सामने सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, युवराज सिंह, विनोद कांबली और रॉबिन सिंह जैसे सितारों से सजी टीम 245 रन से यह मैच हार गई। सिर्फ रॉबिन सिंह (11) दहाई के आंकड़े तक पहुंचे और पूरी टीम 54 रन पर ढेर हो गई।

7. वर्ल्ड कप 1996 पहला सेमीफाइनल
वर्ल्ड कप के दो सह-मेजबान भारत और श्रीलंका की पहले सेमीफाइनल में कोलकाता के ईडन गार्डन्स में भिडंत हुई। भारत ने टॉस जीतकर श्रीलंका को बल्लेबाजी के लिए आमंत्रित किया। श्रीलंका ने निर्धारित 50 ओवर में 251 रन बनाए। टीम इंडिया पहला विकेट जल्दी गंवाने के बाद संभल रही थी, लेकिन 98 के कुल योग पर सचिन तेंदुलकर के रूप में दूसरा विकेट गिरते ही पूरा मैच पलट गया। 120 के स्कोर पर भारत के 8 खिलाड़ी पवेलियन लौट गए। स्टेडियम में प्रशंसकों के बवाल के बाद मैच यहीं पर रोक दिया गया और श्रीलंका को विजयी घोषित कर दिया गया। विनोद कांबली का रोना आज भी क्रिकेट प्रशंसक भूले नहीं हैं।

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8. ऑस्ट्रल-एशिया कप 1986
चिर प्रतिद्वंद्वी भारत और पाकिस्तान फाइनल मुकाबले में आमने-सामने थे और भारत ने टॉस हारने के बाद पहले बल्लेबाजी करते हुए 245 रन बनाए थे। पाकिस्तान की पारी में 49.5 ओवर तक भी मैच भारत की झोली में था, पाकिस्तान को अंतिम गेंद पर 4 रन चाहिए थे। गेंद चेतन शर्मा के हाथ में थी और सामने जावेद मियांदाद थे। मियांदाद ने इस अंतिम गेंद पर छक्का जड़कर मैच का निर्णय पलट दिया। इसके बाद मियांदाद का जश्न आज भी हर किसी भारतीय क्रिकेट प्रशंसक को चिढ़ाता है।