
बुधवार से बर्मिंघम में जब टीम गिल मेजबान इंग्लैंड से दूसरा टेस्ट मैच खेलने जा रही है, तो आलोचकों की नजर भारत के सामने खड़े चैलेंज पर जा टिकी है. इसमें फील्डिंग सबसे ऊपर है और निशाने पर यशस्वी जायसवाल (Yashasvi Jasiwal) हैं. अगर जायसाल पहले टेस्ट में बुमराह की गेंद पर छोड़े गए तीन को मिलाकर कुल चार कैच पकड़ लेते, तो परिणाम अलग हो सकता था. बहरहाल, भारत के पूर्व कोच ग्रेग चैपल का मानना है कि जायसवाल की कैचिंग में कोई तकनीकी खामी नहीं है. और यह बस उनक लिए दिन विशेष खराब होने की बात थी. गुरु ग्रेग ने यह भी कहा है कि संभवत: एक बार को कैच छूटने के पीछे उनके हाथ की चोट हो सकती है.
चैपल ने एक कॉलम में लिखा, 'लीड्स में भारत ने कई कैच टपकाए. इसमें रवींद्र जडेजा और यशस्वी जायसवाल जैसे खिलाड़ी भी थे, जिन्हें सेफ फील्डर माना जाता है. इन कैच छूटने में मुझे कोई तकनीकी खामी दिखाई नहीं पड़ी. ऐसा सर्वश्रेष्ठ फील्डर के साथ भी हो सकता है', पूर्व कोच ने कहा, 'जायसवाल को देखने से ऐसा लगता है कि उनका आत्मविश्वास प्रभावित है या फिर उनके हाथ में कोई चोट है. एक कैच उनसे तब छूटा, जब वह बाउंड्री से दौड़कर आए. यह एक नीचा कैच था और यह खेल में सबसे मु्श्किल कैच माना जाता है.'
चचैपल ने यह भी कहा कि व्हाइट-बॉल क्रिकेट के कारण स्लिप कैचिंग कौशल में गिरावट हुई है. चैपल ने लिखा, 'व्हाइट-बॉल क्रिकेट ज्यादा खेले जाने के साथ ही स्लिप फील्डिंग के विशेषज्ञों को पहले जैसे ज्यादा मौके नहीं मिल रहे हैं. इन्हीं सब बातो को देखते हुए खास रूप से कैचिंग का ज्यादा से ज्यादा अभ्यास मैच की तरह किए जाने की जरूरत है.
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