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This Article is From Aug 23, 2013

रफ्तार से कभी समझौता नहीं कर सकता : उमेश यादव

रफ्तार से कभी समझौता नहीं कर सकता : उमेश यादव
नई दिल्ली: भारत के सबसे तेज गेंदबाजों में शुमार उमेश यादव का कहना है कि उन्हें रफ्तार के कारण ही टीम में जगह मिली है और किसी भी कीमत पर वह इससे समझौता नहीं करेंगे।

उमेश ने पीटीआई से कहा, एक तेज गेंदबाज के तौर पर मुझे इस बारे में स्पष्ट रहना होगा कि मेरी प्राथमिकता क्या है। मेरी ताकत रफ्तार के साथ अच्छी गेंदबाजी करना है और जब तक मैं राष्ट्रीय टीम में हूं, मेरा यही लक्ष्य होगा। उन्होंने कहा कि रफ्तार कम करने से उन्हें समस्या होगी।

उन्होंने कहा, यदि भारतीय टीम में सभी प्रारूपों में खेलने के लिए मेरा चयन हुआ है, तो वह सिर्फ रफ्तार के कारण हुआ है। पिछले सत्र में चोटिल होने के बावजूद रफ्तार कम करने का ख्याल कभी मेरे जेहन में नहीं आया। नया सत्र शुरू होने पर खिलाड़ियों के नई तकनीक या शैली अपनाने की बात होती है, लेकिन उमेश का कहना है कि कोई भी तेज गेंदबाज मौजूदा तरीकों के अलावा अपनी गेंदबाजी में नई बात नहीं ला सकता।

उमेश ने कहा, मुझे बताइए कि एक गेंदबाज क्या नया कर सकता है, जो आपने देखा न हो। यह अहम है कि जो आप कर रहे हैं, लगातार वहीं करें। यहां तक कि महान खिलाड़ी ग्लेन मैकग्रा की सलाह थी कि "स्पॉट ढूंढो और वहां लगातार हिट करते रहो"। यादव ने कहा, मैं भारत में और जब हमने 2011 में ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया था, वहां भी कई बार मैकग्रा से मिला हूं। मैकग्रा ने मुझे बताया कि प्रत्येक गेंदबाज, भले ही वह तेज गेंदबाज हो या मध्यम गति का गेंदबाज, उसे ऐसा क्षेत्र ढूंढने की जरूरत होती है, जहां किसी को हिट करने की जरूरत होती है। प्रत्येक गेंदबाज की लेंग्थ अलग होती है, लेकिन अगर कोई अपनी सही लेंग्थ ढूंढ लेता है, तो इससे बढ़कर कुछ और चीज कुछ नहीं है।

उन्होंने कहा, दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में उछाल भरी पिचों पर शॉर्ट गेंदबाजी करना आसान हो जाता है। टेस्ट स्तर के बल्लेबाज गेंदों को छोड़ने के आदी होते हैं। उछाल भरी पिचों पर फुल गेंदबाजी करना बेहतर होता है, क्योंकि बल्लेबाज ड्राइव करने के बारे में सोचेगा। यादव ने कहा कि वनडे में दो नई गेंदों का इस्तेमाल नई गेंद से गेंदबाजी करने वाले गेंदबाजों के लिए काफी मददगार हो रहा है।

उन्होंने कहा, यह अच्छा है कि अब हमें वनडे में दो नई गेंद मिलती हैं। यहां तक कि 40वें और 42वें ओवर में गेंद लगभग 20 ओवर ही पुरानी होती है, इसलिए यह तब भी कड़ी रहती है और स्विंग हासिल करना आसान हो जाता है।

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