दिल्ली में मोटर व्हीकल एक्ट (Motor Vehicles Act) के तहत तय जुर्माने की राशि जरूरत पड़ने पर कम की जाएगी. मोटर व्हीकल एक्ट में 61 ऑफेंस हैं जिनमें से 27 मामलों में राज्य सरकार कुछ नहीं कर सकती लेकिन 34 मामलों में कंपाउंडिंग एमाउंट में रिलीफ मिल सकती है. यह बात आज दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने NDTV से कही. कैलाश गहलोत ने कहा कि मोटर व्हीकल एक्ट को लेकर अभी हम जांच कर रहे हैं, जरूरत पड़ी तो चालान का एमाउंट कम करेंगे. गुजरात मैं चालान का एमाउंट कम करने की खबर आई है लेकिन उसका अभी कोई नोटिफिकेशन नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि दिल्ली के 941 प्रदूषण जांच केंद्रों का समय सुबह सात से रात 10 बजे तक कर दिया गया और है सर्वर भी बढ़ाया गया है ताकि इन केंद्रों पर भीड़ कम हो सके.
दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा कि वाहन प्रदूषण की जांच कराने में लोगों को 6 से 7 घंटे का समय लग रहा है, इसलिए सर्वर की क्षमता बढ़ा दी गई है. पहले एक घंटे में 3200 PUC की क्षमता थी अब 6000 कर दी गई है. आज के बाद पीयूसी की समस्या कम होनी चाहिए. पहले जहां रोजाना 15000 पीयूसी हो रहे थे अब करीब 45 हजार हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि पीयूसी केंद्र बढ़ाने के लिए एप्लीकेशन मंगवा रहे हैं. डीटीसी के टर्मिनल और डिपो में भी अब आम लोग PUC करवा सकते हैं.
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कैलाश गहलोत ने कहा कि एक सितंबर से जो मोटर व्हीकल एक्ट के तहत नोटिफिकेशन पॉल्यूशन चेकिंग सेंटर पर लंबी-लंबी कतारें लग रही हैं. 73 लाख व्हीकल सड़क पर रहते हैं. जांच की क्षमता 15 हज़ार गाड़ियां से बढ़कर 45 हज़ार हो गई है. यह संख्या लगातार बढ़ रही है. पॉल्युशन चेकिंग के लिए 941 सेन्टर हैं. कुछ सेंटरों में गलत काम भी हुआ. दो सेंटर सस्पेंड भी किए गए हैं. अगर शिकायत मिली तो कार्रवाई होगी. 10 दिन में 941 सेंटरों का समय सुबह सात से रात 10 बजे तक कर दिया है. सर्वर भी बढ़ाया गया है. एक घंटे में 3200 आवेदन ही ले सकते थे उसे अब 6000 किया गया है. इससे हालात बेहतर हो जाएंगे. ज्यादा पॉल्युशन सेंटर भी खोलने के लिए आवेदन मांगे गए हैं. डीटीसी टर्मिनल में बसों की चेकिंग जहां होती है वहां भी सुबह 11 बजे से शाम 7 बजे तक सुविधा दी जाएगी. जहां भीड़ ज्यादा है वहां क्राउड मैनेजमेंट के लिए सिविल डिफेंस वर्कर तैनात किए जाएंगे.
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उन्होंने कहा कि मोटर व्हीकल एक्ट (Motor Vehicles Act) में 61 ऑफेंस हैं. 27 मामलों में राज्य सरकार कुछ नहीं कर सकती. 34 मामलों में कंपाउंडिंग एमाउंट में रिलीफ मिल सकती है. काफी डिटेल डिस्कशन हुआ है. रोड सेफ्टी से जुड़ा मुद्दा है. किसी स्टेज पर लगा कि कम करना है तो हम करेंगे. दूसरे राज्यों के रुझान सामने आने के बाद कुछ जरूरी फैसला लिया जाएगा.
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