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This Article is From Jun 18, 2016

गुदड़ी के लाल ने किया कमाल : साधारण परिवार के सौरभ के एम्‍स परीक्षा पास करने की असाधारण कहानी

गुदड़ी के लाल ने किया कमाल : साधारण परिवार के सौरभ के एम्‍स परीक्षा पास करने की असाधारण कहानी
सौरभ कुशवाहा की फाइल फोटो
इलाहाबाद: देश की प्रतिष्ठित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की एमबीबीएस प्रवेश परीक्षा में कामयाबी हासिल करने वाले प्रतियोगी छात्र सौरभ, कौशाम्बी के एक गांव के बेहद ही साधारण परिवार से हैं।

कौशाम्बी जिले के अजुहा इलाके के लोंहदा गांव में सौरभ का जर्जर हालत में कच्चा घर है। ना तो घर में बिजली है, ना ही ठीक से खाने की व्यवस्था। पिता पेशे से गरीब लाचार किसान और मां कैंसर से पीड़ित और छोटे भाई बहन हैं।  घर के हालात ऐसे ना थे कि वे एक अच्छी शिक्षा पा सकें। मगर पिता की लाचारी और मां की बीमारी की टीस ने उनको कठिन परिश्रम से इस मुकाम पर पंहुचा दिया। उनका कहना है की ये टीस मेरे दिमाग में बचपन से थी। जब मैं मम्मी को देखता था तो परेशान होते हुए तो ये सोचता था कि काश मैं कुछ कर सकूं और अपने मम्‍मी-पापा के लिए डॉक्टर बन सकूं।

अब वह कैंसर विशेषज्ञ बनकर इससे पीड़ितों का इलाज करना चाहता है। ख़ास बात ये भी है कि यूपी के इलाहाबाद जिले में अकेले सौरभ ने 266 वीं रैंक पाकर सफलता हासिल की है। इतना ही नहीं सौरभ ने टूटे लालटेन की रौशनी में पढ़ाई कर हाईस्कूल और इंटर में भी टॉप रैंक पाई थी। अब सौरभ कुशवाहा की ख्‍वाहिश कैंसर में रिसर्च करने की है। वे कहते हैं, "मैं बहुत अच्छा डॉक्टर बनना चाहता हूं। देश का मान सम्मान बढ़ना चाहता हूं और कैंसर पीड़ितों की मदद करना चाहता हूं।"

सौरभ का अपने परिवार से बेहद लगाव है। वही बेटे की सफलता की ख़ुशी में बीमार मां भी बीते दिनों को याद कर रो पड़ती हैं। वे कहती हैं कि घर की आर्थिक तंगी और इलाज के खर्चे की मार के कारण वे और उनके पति टूट चुके थे लेकिन टूटे लालटेन की रौशनी में उनके बेटे ने कठिन परिश्रम करके इस सफलता को हासिल कर उनका सर गर्व से ऊंचा कर दिया है। वे चाहती हैं कि उनका बेटा जल्दी से डॉक्‍टर बनकर उनका इलाज करे।

आंखों में ख़ुशी के आंसू लिए निर्मला देवी बताती हैं, "हमारा बेटा लालटेन जलाकर पढ़ा है। हम उसके पीछे बहुत परेशान हुए हैं। लोन, रिश्‍तेदारों और इधर-उधर से पैसा लिए हैं ताकि हम अपने बच्चे को पढ़ाएं, अब हमारा बच्चा पढ़ लिया तो हमारा इलाज करेगा।"

वहीं सौरभ की छोटी बहन मां की बीमारी के कारण पढ़ाई के साथ-साथ घर का सारा काम निपटाती है। उसकी मंशा भी भाई की तरह बनने की है। सौरभ पढ़ाई करने के कुछ टिप्स दूर-दराज के गांव और छोटे शहरों में रहकर पढ़ाई कर रहे छात्रों से शेयर करना चाहते है कि किस तरह उन्होंने कठिन मेहनत और दृढ इच्छाशक्ति के बल पर परीक्षा पास की।
वे सभी स्टूडेंट से यही कहना चाहते हैं कि मेहनत का कोई शॉर्टकट नहीं होता। मेहनत करें और फल की प्रतीक्षा मत करें।

दरअसल इलाहाबाद स्थित एक कोचिंग की मदद, अपनी मेहनत और दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर सौरभ ने एम्स की प्रवेश परीक्षा को पास किया। आज उसकी इस सफलता पर मां और पिता के साथ उसके गुरु भी बेहद प्रसन्‍न हैं। अब एम्स में उसकी पढ़ाई का जिम्मा उसकी कोचिंग ने ले लिया है।

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