
- सोशल मीडिया पर शेयरों की गलत सलाह देने वाले इन्फ्लुएंसर्स की जांच शुरू.
- गैर-पंजीकृत इन्फ्लुएंसर्स पर कार्रवाई करने की सेबी कर रहा तैयारी.
- सेबी खासतौर से चार-पांच मामलों पर विशेष ध्यान दे रहा है, जल्द कार्रवाई संभव.
- गैर-पंजीकृत सलाहकारों से मिलीभगत पर पंजीकृत कंपनियों पर भी गिर सकती है गाज.
अक्सर देखा होगा कि सोशल मीडिया पर कई लोग कुछ खास शेयर खरीदने-बेचने को लेकर सलाह देते रहते हैं. कई बार भोले-भाले निवेशकों को बहकावे में लाकर अपने फायदे भी साधे जाते हैं. ऐसे मामलों में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) अब सख्ती करने जा रहा है. सेबी ने टेलीग्राम और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयरों में चालबाजी करके नियम तोड़ने के मामलों की जांच शुरू कर दी है.
सोशल मीडिया पर जिस तरह से तथाकथित शेयर बाजार एक्सपर्ट्स की बाढ़ आई हुई है, उसे लेकर भी सेबी चिंतित है. सूत्रों ने नाम न छापने की शर्त पर एनडीटीवी प्रॉफिट को बताया कि सेबी ऐसे कई मामलों की जांच कर रहा है. चार से पांच मामले खासतौर से सेबी के निशाने पर हैं. इनमें अगले दो-तीन महीनों में कार्रवाई किए जाने की संभावना है.
मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया कि सेबी खासतौर से ऐसे फाइनेंशियल इन्फ्लुएंसर्स की जांच कर रहा है, जो सोशल मीडिया का इस्तेमाल करके भोले-भाले निवेशकों को गलत टिप्स देते हैं. ये फिन-फ्लुएंसर्स रजिस्टर्ड भी नहीं हैं. सूत्रों का कहना है कि इनकी वजह से कई निवेशकों के निवेश निर्णय भी प्रभावित होते हैं.
गैर-पंजीकृत सलाहकारों द्वारा चुनिंदा शेयरों को खरीदने-बेचने की सलाह देकर किए जाने वाले खेल से निपटने को लेकर सेबी ने पहले से ही कड़े नियम बना रखे हैं. सेबी ने पंजीकृत संस्थाओं को ऐसे गैर-पंजीकृत लोगों या संस्थाओं के साथ मिलीभगत करने से प्रतिबंधित कर रखा है जो शेयर बाजार को लेकर अपनी सलाह देते हैं या गारंटीशुदा रिटर्न का वादा करते हैं.
माना जा रहा है कि ऐसे फिनफ्लुएंसर्स वित्तीय सलाह देकर, क्लाइंट रेफर करके, ग्राहकों की निजी जानकारियां शेयर करके अपना फायदा कमाते हैं. मार्केटिंग और प्रमोशन भी करते हैं. अब इन पर लगाम कसने की तैयारी है. सेबी के मुताबिक, शेयर बाजार के बारे में लोगों को शिक्षित करने वाले इन्फ्लुएंसर्स किसी खास शेयरों या प्रतिभूति के बारे में न तो अपनी सलाह दे सकते हैं और न ही निवेशकों को रिटर्न का वादा कर सकते हैं.
सेबी का नियम है कि रजिस्टर्ड कंपनियों को अपने विज्ञापन दिखाने की छूट है, लेकिन तभी जब वे इस बात पर नजर रख पाएं कि उनके विज्ञापन कहां-कहां पर दिखाए जा रहे हैं. अगर नियमों का उल्लंघन होता है तो सेबी पेनल्टी लगा सकता है, रजिस्ट्रेशन रद्द कर सकता है या फिर मार्केट में काम करने से रोक सकता है.
ये नियम पिछले साल 29 अगस्त को बनाए गए थे. उसके बाद 22 अक्टूबर को इस बारे में एक और एडवाइजरी जारी की गई थी. सेबी ने संबंधित पक्षकारों को तीन महीने के अंदर अपना कामकाज व्यवस्थित करने के भी निर्देश दिए थे.
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