
मोदी सरकार के 10 सालों में डिजिटल पेमेंट (Digital payments)और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) में ऐतिहासिक बढ़त देखने को मिली है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने बताया कि साल 2013-14 में जहां डीबीटी के जरिए सिर्फ 7,368 करोड़ रुपये ट्रांसफर हुए थे, वहीं 2024-25 में ये आंकड़ा बढ़कर 6.83 लाख करोड़ रुपये हो गया है. यानी बीते एक दशक में डीबीटी ट्रांसफर (DBT Transfer Growth) में 90 गुना से ज्यादा की ग्रोथ हुई है.
निर्मला सीतारमण ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर लिखा कि इस बढ़त से यह साफ होता है कि हर सरकारी रुपया सीधा सही व्यक्ति तक पहुंच रहा है, और बिचौलियों की कोई जरूरत नहीं रह गई है.
The government under Hon'ble Prime Minister Shri @narendramodi's leadership has been plugging leakages and ensuring transparency through Direct Benefit Transfer (DBT).
— Nirmala Sitharaman Office (@nsitharamanoffc) June 12, 2025
✅DBT covers more than 322 schemes across 56 ministries.
✅Rs 3.48 lakh crore has been saved by preventing… pic.twitter.com/VlkXTgSVRq
रियल टाइम पेमेंट में भारत सबसे आगे
वित्त मंत्री के मुताबिक भारत आज रियल टाइम डिजिटल पेमेंट्स के मामले में दुनिया में सबसे आगे है. वित्त वर्ष 2024-25 में भारत में 260 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के डिजिटल ट्रांजेक्शन हुए हैं. वहीं ट्रांजेक्शन की संख्या की बात करें तो ये सालाना आधार पर करीब 18,600 करोड़ ट्रांजेक्शन रही है.
हर दिन 60 करोड़ से ज्यादा डिजिटल ट्रांजेक्शन
RBI के डिप्टी गवर्नर एम. राजेश्वर राव के अनुसार, साल 2024-25 में डिजिटल पेमेंट्स में 35% की सालाना ग्रोथ दर्ज की गई है. हर दिन औसतन 60.81 करोड़ ट्रांजेक्शन हो रहे हैं, जिसमें सबसे बड़ा योगदान UPI का है – करीब 83.73 प्रतिशत ट्रांजेक्शन सिर्फ यूपीआई के जरिए हो रहे हैं.
जन धन और फाइनेंशियल इनोवेशन
RBI के आंकड़ों के अनुसार देश में अब तक 55.44 करोड़ जन धन अकाउंट खोले जा चुके हैं, जिनमें से 56% महिलाओं के नाम हैं. इन खातों में जमा कुल राशि 21 मई 2025 तक 2.5 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच गई है.
वित्त मंत्री ने कहा कि बीते 11 सालों में भारत की तकनीकी यात्रा किसी क्रांति से कम नहीं रही है. भारत अब सिर्फ डिवाइस या प्लेटफॉर्म नहीं, बल्कि टेक आधारित शासन, नागरिकों की ताकत और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन का ग्लोबल उदाहरण बन गया है. चाहे वह मैन्युफैक्चरिंग हो, स्पेस टेक्नोलॉजी, डिजिटल पेमेंट या गांवों की कनेक्टिविटी हर जगह बदलाव साफ नजर आ रहा है.
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