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This Article is From Jul 04, 2019

बाल कल्याण योजनाओं के लिए बजट बढ़ाने की मांग, गैर सरकारी संगठनों ने कहा- बच्चों की सुरक्षा पर ध्यान दे सरकार

भारत की पहली पूर्णकालिक महिला वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण आगामी शुक्रवार को बजट पेश करेंगी. अब बाल अधिकारों की रक्षा के लिए काम कर रहे गैर सरकारी संगठनों (NGO) ने सरकार से बजट में बाल कल्याण के लिए आवंटन बढ़ाने की मांग की है.

बाल कल्याण योजनाओं के लिए बजट बढ़ाने की मांग, गैर सरकारी संगठनों ने कहा- बच्चों की सुरक्षा पर ध्यान दे सरकार
निर्मला सीतारमण (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

भारत की पहली पूर्णकालिक महिला वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण आगामी शुक्रवार को बजट पेश करेंगी. अब बाल अधिकारों की रक्षा के लिए काम कर रहे गैर सरकारी संगठनों (NGO) ने सरकार से बजट में बाल कल्याण के लिए आवंटन बढ़ाने की मांग की है. इन संगठनों का कहना है कि सरकार को बजट में बच्चों की सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए और साथ ही शहरी इलाकों के वंचित बच्चों के लिए प्राथमिकताएं तय करनी चाहिए. चाइल्ड राइट एंड यू (क्राई) ने उन क्षेत्रों का उल्लेख किया है जिनपर ध्यान देने और निवेश करने की जरूरत है. क्राई ने कहा है कि तीन स्कूल शिक्षा योजनाओं जिन्हें समग्र शिक्षा अभियान में समाहित किया गया है उनके लिए प्रस्तावित और आवंटित बजट में 26 प्रतिशत का अंतर है. 

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ये तीनों योजनाएं हैं सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) और टीचर्स एजुकेशन. इस नई योजना के लिए बजट आवंटन 2018-19 में 34,000 करोड़ रुपये है जो एसएसए के लिए समान वित्त वर्ष में मांगी गई राशि से भी कम है. एक अन्य बाल अधिकार एनजीओ सेव द चिल्ड्रन ने सरकार का ध्यान शहरी वंचित बच्चों की ओर दिलाया है. 

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इन बच्चों में कूड़ा बीनने वाले, भीख मांगने वाले, झोपड़पट्टी में रहने वाले और सेक्स वर्कर शामिल हैं. उसने कहा कि ज्यादातर राज्यों में बच्चों पर खर्च में कमी सामाजिक सुरक्षा खर्च में गिरावट से अधिक है. एनजीओ ने कहा कि कुल खर्च में सामाजिक सुरक्षा खर्च का हिस्सा 2013-14 के 37.76 प्रतिशत से घटकर 2016-17 में 37.16 प्रतिशत पर आ गया है.

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(इनपुट भाषा)

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