नई दिल्ली:
दिल्ली-हावड़ा और दिल्ली-मुंबई मार्गों पर 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेनें चलाना, सुरक्षा बढ़ाने पर 20,000 करोड़ रुपये का आवंटन और कृषि उत्पादों के लिए विशेष तरह की ट्रेनें शुरू करने पर इस रेल बजट में खास जोर दिए जाने की संभावना है. 1924 के बाद से पहला मौका होगा जब रेलवे का बजट अलग से नहीं बल्कि आम बजट का हिस्सा होगा. सरकार के सुधार एजेंडा को आगे बढ़ाते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली इस बार रेल बजट को अलग से पेश की जाने वाली पुरानी परंपरा को खत्म करेंगे. इस साल यह आम बजट का ही हिस्सा होगा, जिसमें अगले वित्त वर्ष के लिए आम बजट में रेलवे के लिए वित्त, परियोजनाओं और प्रारूप को लेकर कुछ पैराग्राफ होंगे.
इसके अलावा, नई पटरियां बिछाना, निजी क्षेत्र की भागीदारी से स्टेशनों का आधुनिकीकरण एवं पुनर्विकास, विद्युतीकरण के साथ-साथ रेल विकास प्राधिकरण और उच्च गति रेल प्राधिकरण का गठन इस साल रेल बजट का हिस्सा हो सकता है.
देश के प्रमुख रेलमार्गों पर ट्रेनों की गति बढ़ाकर 160 से 200 किलोमीटर प्रति घंटा तक करने की महत्वाकांक्षी परियोजना की घोषणा भी की जा सकती है, जिसमें 21,000 करोड़ रुपये की लागत से दिल्ली-हावड़ा और दिल्ली-मुंबई मार्ग की बाड़बंदी शामिल है.
जेटली बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर दे सकते हैं, जिसमें नई रेल लाइनों का विकास, लाइनों का दोहरीकरण, स्टेशनों का पुनर्विकास और सुरक्षा उन्नयन शामिल है.
सूत्रों के अनुसार हाल में ट्रेनों के पटरियों से उतरने की कई घटनाओं के बाद एक लाख करोड़ रुपये के सुरक्षा कोष का अलग से प्रावधान इस बार के बजट में किया जा सकता है. यह अगले पांच साल के लिए होगा जिसमें 20,000 करोड़ रुपये वित्त वर्ष 2017-18 के लिए होंगे. बजट 2017-18 में रेल विकास प्राधिकरण के गठन की घोषणा की जा सकती है जो इसके लिए विनियामक का काम करेगा. इसके अलावा उच्च गति रेल प्राधिकरण के प्रबंध निदेशक एवं अन्य निदेशकों के चयन के साथ इस प्राधिकरण के गठन की भी घोषणा किए जाने की संभावना है.
बजट में गैर-किराया राजस्व बढ़ाने के उपायों पर भी ध्यान दिया जा सकता है, जिसमें खाली पड़ी भूमि का उपयोग और निजी भागीदारी के साथ स्टेशनों का पुनर्विकास शामिल है. रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने जेटली को 1.19 लाख करोड़ रुपये का विशेष सुरक्षा कोष बनाने के लिए पत्र लिखा था, जिसके लिए वित्त मंत्रालय से इस प्रकार के अलग सुरक्षा कोष के गठन को मंजूरी मिल चुकी है.
रेलवे का परिचालन अनुपात लक्ष्य 92 प्रतिशत है. अप्रैल-दिसंबर 2016 में उसके यात्रियों की संख्या और माल परिवहन दोनों में ही कमी आई है. यह 1.34 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुकाबले 1.19 लाख करोड़ रुपये पर रहा है. सरकार द्वारा मांग के अनुसार किराये में वृद्धि की योजना को पेश किए जाने के बावजूद यात्री किराये से आय में पिछले साल के मुकाबले नौ प्रतिशत से अधिक की कमी आई है. योजनागत व्यय अगले वित्त वर्ष में बढ़ाकर 1.36 लाख करोड़ रुपये किए जाने की संभावना है. (इनपुट एजेंसियों से)
इसके अलावा, नई पटरियां बिछाना, निजी क्षेत्र की भागीदारी से स्टेशनों का आधुनिकीकरण एवं पुनर्विकास, विद्युतीकरण के साथ-साथ रेल विकास प्राधिकरण और उच्च गति रेल प्राधिकरण का गठन इस साल रेल बजट का हिस्सा हो सकता है.
देश के प्रमुख रेलमार्गों पर ट्रेनों की गति बढ़ाकर 160 से 200 किलोमीटर प्रति घंटा तक करने की महत्वाकांक्षी परियोजना की घोषणा भी की जा सकती है, जिसमें 21,000 करोड़ रुपये की लागत से दिल्ली-हावड़ा और दिल्ली-मुंबई मार्ग की बाड़बंदी शामिल है.
जेटली बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर दे सकते हैं, जिसमें नई रेल लाइनों का विकास, लाइनों का दोहरीकरण, स्टेशनों का पुनर्विकास और सुरक्षा उन्नयन शामिल है.
सूत्रों के अनुसार हाल में ट्रेनों के पटरियों से उतरने की कई घटनाओं के बाद एक लाख करोड़ रुपये के सुरक्षा कोष का अलग से प्रावधान इस बार के बजट में किया जा सकता है. यह अगले पांच साल के लिए होगा जिसमें 20,000 करोड़ रुपये वित्त वर्ष 2017-18 के लिए होंगे. बजट 2017-18 में रेल विकास प्राधिकरण के गठन की घोषणा की जा सकती है जो इसके लिए विनियामक का काम करेगा. इसके अलावा उच्च गति रेल प्राधिकरण के प्रबंध निदेशक एवं अन्य निदेशकों के चयन के साथ इस प्राधिकरण के गठन की भी घोषणा किए जाने की संभावना है.
बजट में गैर-किराया राजस्व बढ़ाने के उपायों पर भी ध्यान दिया जा सकता है, जिसमें खाली पड़ी भूमि का उपयोग और निजी भागीदारी के साथ स्टेशनों का पुनर्विकास शामिल है. रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने जेटली को 1.19 लाख करोड़ रुपये का विशेष सुरक्षा कोष बनाने के लिए पत्र लिखा था, जिसके लिए वित्त मंत्रालय से इस प्रकार के अलग सुरक्षा कोष के गठन को मंजूरी मिल चुकी है.
रेलवे का परिचालन अनुपात लक्ष्य 92 प्रतिशत है. अप्रैल-दिसंबर 2016 में उसके यात्रियों की संख्या और माल परिवहन दोनों में ही कमी आई है. यह 1.34 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुकाबले 1.19 लाख करोड़ रुपये पर रहा है. सरकार द्वारा मांग के अनुसार किराये में वृद्धि की योजना को पेश किए जाने के बावजूद यात्री किराये से आय में पिछले साल के मुकाबले नौ प्रतिशत से अधिक की कमी आई है. योजनागत व्यय अगले वित्त वर्ष में बढ़ाकर 1.36 लाख करोड़ रुपये किए जाने की संभावना है. (इनपुट एजेंसियों से)
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