राजनीतिक दल चाहते हैं बजट की तारीख आगे खिसकाई जाए, जेटली ने कहा- क्यों डर रहे (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
विपक्षी दलों के चुनावों से पहले बजट पेश किये जाने के विरोध के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कदम का बचाव किया और कहा कि जब वे दावा कर रहे हैं कि नोटबंदी अलोकप्रिय फैसला है तो फिर वे डर क्यों रहे हैं. जेटली ने कहा, ‘ये वे राजनीतिक दल हैं जो कहते हैं कि नोटबंदी की लोकप्रियता काफी कम है. ऐसे में आखिर वे क्यों बजट से डर रहे हैं.’
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा तथा मणिपुर में विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा करने के साथ ही केंद्रीय निर्वाचन आयोग अब इस बात की समीक्षा कर रहा है कि क्या केंद्र सरकार वार्षिक बजट 1 फरवरी को पेश कर सकती है या नहीं. मुख्य निर्वाचन आयुक्त डॉ नसीम ज़ैदी ने बताया कि 'एक राजनैतिक दल' ने कहा है कि केंद्र सरकार को चुनाव संपन्न होने से पहले आम बजट 2017-18 पेश करने से रोका जाना चाहिए.
उत्तर प्रदेश समेत राज्यों में चुनावों के बाद मार्च 2012 में बजट पेश किये जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘यह कोई परंपरा नहीं है जिसका हर समय पालन किया जाए’ जेटली ने कहा, ‘‘लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अंतरिम बजट पेश किया जाता है, किसी ने उसे नहीं रोका. यहां तक कि 2014 में बजट आम चुनाव से ठीक कुछ दिन पहले पेश किया गया. यह संवैधानिक आवश्यकता है.’ सरकार वित्त वर्ष के पहले दिन से कल्याणकारी तथा अन्य योजनाओं पर खर्च शुरू करने के इरादे से लंबे समय से फरवरी के अंत में बजट पेश किये जाने की परंपरा को बदली है.
सरकार ने 31 जनवरी को संसद का बजट सत्र बुलाने का फैसला किया और अगले दिन एक फरवरी को आम बजट पेश किया जाएगा. वहीं पंजाब और गोवा में चुनाव चार फरवरी को जबकि उत्तर प्रदेश समेत तीन अन्य राज्यों में उसके बाद चुनाव होंगे. कुछ राजनीतिक दल राष्ट्रपति और चुनाव आयोग से मिलकर एक फरवरी को बजट पेश किये जाने के निर्णय पर विरोध जताया. जेटली ने कहा कि बजट पहले पेश करने के पीछे प्रमुख कारणों में खर्च पहले शुरू करना है क्योंकि अबतक की जो स्थिति थी, उसमें खर्च मानसून के बाद शुरू हो पाता था. उन्होंने कहा, ‘वास्तविक व्यय मानसून के बाद आधा वर्ष बीत जाने के बजाए अप्रैल से होना चाहिए. इसी कारण हमने बजट पहले पेश करने का फैसला किया है.’
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा तथा मणिपुर में विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा करने के साथ ही केंद्रीय निर्वाचन आयोग अब इस बात की समीक्षा कर रहा है कि क्या केंद्र सरकार वार्षिक बजट 1 फरवरी को पेश कर सकती है या नहीं. मुख्य निर्वाचन आयुक्त डॉ नसीम ज़ैदी ने बताया कि 'एक राजनैतिक दल' ने कहा है कि केंद्र सरकार को चुनाव संपन्न होने से पहले आम बजट 2017-18 पेश करने से रोका जाना चाहिए.
उत्तर प्रदेश समेत राज्यों में चुनावों के बाद मार्च 2012 में बजट पेश किये जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘यह कोई परंपरा नहीं है जिसका हर समय पालन किया जाए’ जेटली ने कहा, ‘‘लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अंतरिम बजट पेश किया जाता है, किसी ने उसे नहीं रोका. यहां तक कि 2014 में बजट आम चुनाव से ठीक कुछ दिन पहले पेश किया गया. यह संवैधानिक आवश्यकता है.’ सरकार वित्त वर्ष के पहले दिन से कल्याणकारी तथा अन्य योजनाओं पर खर्च शुरू करने के इरादे से लंबे समय से फरवरी के अंत में बजट पेश किये जाने की परंपरा को बदली है.
सरकार ने 31 जनवरी को संसद का बजट सत्र बुलाने का फैसला किया और अगले दिन एक फरवरी को आम बजट पेश किया जाएगा. वहीं पंजाब और गोवा में चुनाव चार फरवरी को जबकि उत्तर प्रदेश समेत तीन अन्य राज्यों में उसके बाद चुनाव होंगे. कुछ राजनीतिक दल राष्ट्रपति और चुनाव आयोग से मिलकर एक फरवरी को बजट पेश किये जाने के निर्णय पर विरोध जताया. जेटली ने कहा कि बजट पहले पेश करने के पीछे प्रमुख कारणों में खर्च पहले शुरू करना है क्योंकि अबतक की जो स्थिति थी, उसमें खर्च मानसून के बाद शुरू हो पाता था. उन्होंने कहा, ‘वास्तविक व्यय मानसून के बाद आधा वर्ष बीत जाने के बजाए अप्रैल से होना चाहिए. इसी कारण हमने बजट पहले पेश करने का फैसला किया है.’
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