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This Article is From Nov 08, 2017

गुजरात विधानसभा चुनाव में क्या कमाल कर पाएंगे राहुल गांधी?

Manoranjan Bharati
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    नवंबर 09, 2017 13:07 pm IST
    • Published On नवंबर 08, 2017 15:50 pm IST
    • Last Updated On नवंबर 09, 2017 13:07 pm IST
गुजरात का चुनाव काफी दिलचस्प हो गया है. वैसे यह चुनाव शुरू से ही सुर्खियों में रहा है. सबसे पहले चुनाव आयोग ने हिमाचल के चुनाव का ऐलान कर दिया मगर गुजरात का नहीं. इस पर चुनाव आयोग की खूब आलोचना हुई. शायद ऐसा पहली बार होगा कि चुनाव आयोग पर अंगुली उठाई गई और आयोग से जवाब देते नहीं बन रहा था, हालांकि आयोग ने देरी की वजह गुजरात में आई बाढ़ को बताया जिसे कोई भी मानने के लिए तैयार नहीं था. 

आखिर यह सब क्यों आरोप लगाने वाले कहते हैं कि हिमाचल और गुजरात के घोषणा के बीच 12 दिनों का अंतर था और इस बीच प्रधानमंत्री ने गुजरात में 2000 हजार करोड़ की योजनाओं की घोषणा कर दी जिसमें किसानों को ज़ीएसटी में राहत के साथ फेरी सेवा, दो फ्लाईओवर, पाटीदारों के खिलाफ 468 मुकदमों की वापसी जैसी चीजें थी. इसके बाद शुरू होती है असली जंग की शुरुआत.

अभी तक बीजेपी नेताओं को लगता था कि प्रधानमंत्री और अमित शाह की जोड़ी के सामने कोई नहीं टिक सकता. मगर तभी राहुल गांधी की एंट्री होती है. गुजरात में वो भी द्वारका मंदिर से पूजा करने के बाद. 

जाहिर है यह सब बीजेपी को चिढ़ाने के लिए किया गया है फिर राहुल गांधी इस बार बैलगाड़ी पर बैठ गए अपनी गाड़ी छोड़ कर, दूसरी में बैठ गए. एक पत्थर भी उनकी गाड़ी पर लगा तो खबर और बड़ी हो गई. इस सब के बीच राहुल के ट्वीट भी सुर्ख़ियों में रहने लगे. सबसे पहला ट्वीट जिसने सुर्खियां बटोरी वह था ज़ीएसटी यानि गब्बर सिंह टैक्स. ये पैसे मुझे दे दे. फिर आया डॉ जेटली नोटबंदी और ज़ीएसटी से अर्थव्यस्था आसीयू में है. आप कहते हैं आप किसी से कम नहीं, मगर आपकी दवा में दम नहीं. एक और आया मित्रों शाह जादों के बारे में ना बोलूंगा ना बोलने दूंगा. 
 लोग हैरान थे कि खास कर बीजेपी वाले की पप्पू को क्या हो गया क्योंकि अभी तक सोशल मीडिया पर बीजेपी का कब्ज़ा था जिसमें राहुल गांधी ने सेंध लगा दी थी. राहुल के 3 दिनों के गुजरात दौरे के बाद से बीजेपी नेता दबी जुबान में कहने लगे थे कि 150 की कोशिश तो जारी है मगर 115 भी बुरा नहीं है. बीजेपी अपनी रणनीति बदलने में लग गई. अमित शाह को घर-घर जाकर वोट मांगने का कार्यक्रम बनाना पड़ा. आने वाले दिनों में मंत्रियों की फ़ौज गुजरात भेजी जाएगी, मगर सबसे बड़ा सवाल है यह सब होने पर कैसे लगा. 
 
दरअसल राहुल ने इस बार कांग्रेस के 'खाम हज' पर मेहनत करने की ठानी. इसमें क्षेत्रिय हरिजन आदिवासी और मुस्लिम का गठबंधन होता था. इस फॉर्मूले पर कांग्रेस ने गुजरात में सालों तक राज़ किया. यही वजह है कf राहुल गांधी का पहला दौरा उन्हीं इलाकों में हुआ, जहाँ आदिवासी और पिछड़े अधिक थे. यहां पर जेडीयू विधायक छोटू भाई वसावा ने भी मदद की. यह वही है जिनके वोट की वजह से अहमद पटेल राज्यसभा का चुनाव जीते थे. दूसरी ओर जिग्नेश मेवाणी जो कि दलित हैं और अल्पेश ठाकोर जो कि पिछड़ी जाति से आते हैं को कांग्रेस ने अपनी ओर करना शुरू किया और अंत में हार्दिक पटेल चुनाव में हवा बनाने के लिए इतना काफी होता है. क्योंकि पटेल हमेशा से बीजेपी के वोटर रहे हैं. भले ही केशु भाई और नरेंद्र मोदी में मतभेद रहे हों मगर वोट बीजेपी को ही जाता रहा है. और अंत में कांग्रेस को लगता है कि गुजरात में नतीजे जो भी हों यदि बीजेपी 115 के नीचे रहती है तो यह राहुल की जीत होगी और यह काफी होगा राहुल गांधी को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने के लिए और फिर इसी नोटबंदी और ज़ीएसटी के सहारे 2019 की तैयारी में जुटा जाएगा. देखते हैं 'पप्पू' पास हो पाता है या नहीं... 

(मनोरंजन भारती एनडीटीवी इंडिया में सीनियर एक्जीक्यूटिव एडिटर - पॉलिटिकल, न्यूज हैं.)

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