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This Article is From Apr 24, 2018

चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग निरस्त - अभियोगों पर फैसला बाकी

Virag Gupta
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अप्रैल 24, 2018 00:18 am IST
    • Published On अप्रैल 24, 2018 00:18 am IST
    • Last Updated On अप्रैल 24, 2018 00:18 am IST
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति वैकेया नायडू द्वारा खारिज करने के बाद अब क्या होगा?

चीफ जस्टिस द्वारा महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई पर असर
चीफ जस्टिस की बेंच द्वारा अयोध्या एवं आधार जैसे महत्वपूर्ण मामलों पर सुनवाई हो रही है. महाभियोग के नोटिस के बाद विपक्षी सांसदों द्वारा यह मांग की गई कि चीफ जस्टिस न्यायिक कार्यों खुद को से अलग कर लें. राज्यसभा के सभापति वैंकेंया नायडू ने रविवार के विमर्श के बाद सोमवार की अल-सुबह नोटिस को खारिज कर दिया. जब महाभियोग प्रस्ताव सुप्रीम कोर्ट की कारवाई शुरू होने के पहले ही निरस्त हो गया तो अब चीफ जस्टिस को न्यायिक कार्यों से अलग करने की मांग का औचित्य कैसे बनेगा?

सभापति के निर्णय को क्यों दी जा सकती है चुनौती
नायडू ने फैसले के बाद कहा कि विपक्षी सांसदों द्वारा दिया गया नोटिस न तो वांछनीय है और न ही उचित. उनके अनुसार नोटिस में चीफ जस्टिस के दुव्यर्वहार या नाकाबलियत के बारे में ठोस या विश्वसनीय जानकारी नहीं है. दूसरी और कपिल सिब्बल का कहना है कि राज्यसभा के सभापति के पास इस प्रस्ताव को मेरिट के आधार पर खारिज करने का आधार नहीं है. सिब्बल के अनुसार सभापति को मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति बनाना चाहिए था जिसकी जांच के बाद ही चीफ जस्टिस के खिलाफ स्पष्ट प्रमाण सामने आ सकते हैं.

सुप्रीम कोर्ट में कैसे होगी सुनवाई
सभापति के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में यदि चुनौती दी गई तो यह मामला चीफ जस्टिस की अदालत में ही आएगा. मास्टर ऑफ़ रोस्टर मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार चीफ जस्टिस स्वयं एक संस्था हैं और उन्हें स्वयं से सम्बंधित मामलों के आवंटन और सुनवाई का पूरा अधिकार है. इसके बावजूद अपने ही खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव के मामले में चीफ जस्टिस कैसे सुनवाई करेंगे? कॉलेजियम के अन्य वरिष्ठ जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके चीफ जस्टिस के खिलाफ आरोप लगाये थे, जिनका महाभियोग की नोटिस में जिक्र है, तो ऊपर के अन्य 4 जज भी मामले की सुनवाई नहीं कर सकते. सवाल यह है कि इस पेंचीदा मामले में बेंच का आवंटन कौन करेगा और जूनियर जज चीफ जस्टिस के खिलाफ मामले में कैसे सुनवाई करेंगे?

क्या लोकसभा में आयेगा महाभियोग का नया प्रस्ताव
जजेज इंक्वायरी एक्ट के तहत लोकसभा के 100 सांसद या राज्यसभा के 50 सांसद जज को हटाने की कारवाई के लिए महाभियोग का नोटिस दे सकते हैं. महाभियोग को अंजाम तक पहुंचाने के लिए दोनों सदनों में विशेष बहुमत विपक्ष के पास नहीं है. इसके बावजूद लोकसभा में भी महाभियोग का नोटिस देकर, विपक्षी सांसद इस मामले पर जनता की अदालत में गंभीर बहस शुरू कर सकते हैं.

जांच के बगैर चीफ जस्टिस के खिलाफ कदाचार के प्रमाण कैसे मिलेंगे
महाभियोग के नोटिस में लगाये गये पांच आरोपों पर राज्यसभा के सभापति ने सिलसिलेवार जवाब देते हुए उन्हें खारिज कर दिया है. आरोप एक और दो में मेडिकल कॉलेज स्कैम का जिक्र है, जिसकी सीबीआई द्वारा जांच हो रही है. इस मामले में पूर्व जज की गिरफ्तारी के साथ इलाहाबाद हाईकोर्ट के वर्तमान जज के खिलाफ कारवाई के तहत उन्हें न्यायिक कार्यों से मुक्त कर दिया गया है. कानून के अनुसार चीफ जस्टिस के खिलाफ सीबीआई द्वारा एफआईआर या जांच नहीं की सकती. 50 सांसदों द्वारा क़ानून के तहत दिए गए महाभियोग के नोटिस में प्राथमिक जांच से इनकार करने के बाद अब चीफ जस्टिस के विरुद्ध कदाचार के प्रमाण कैसे सामने आएंगे? नायडू ने महाभियोग का प्रस्ताव भले ही निरस्त कर दिया हो पर जजों के खिलाफ अभियोगों पर पारदर्शी फैसले के बाद ही न्यायिक व्यवस्था पर जनता का भरोसा बहाल हो सकेगा.

विराग गुप्ता सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता और संवैधानिक मामलों के विशेषज्ञ हैं...

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