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This Article is From Jun 21, 2017

अंधियारी रात में आएगा GST, लेकिन उजाला कब होगा - 10 सवाल

Virag Gupta
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जून 21, 2017 14:50 pm IST
    • Published On जून 21, 2017 14:30 pm IST
    • Last Updated On जून 21, 2017 14:50 pm IST
सरकारी विभागों, उद्योग एवं व्यापार संगठनों की मांग के बावजूद वित्तमंत्री अरुण जेटली ने गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स, यानी जीएसटी को 1 जुलाई से लागू करने का दृढ़ निश्चय व्यक्त कर दिया है. भारत की आज़ादी के समारोह की तर्ज पर जीएसटी का जश्न भी 30 जून की मध्यरात्रि को संसद भवन के सेंट्रल हॉल में मनाया जाएगा.

1 जुलाई से ही जीएसटी लागू करने की हठधर्मिता क्यों : यह ज़िद क्यों, जब सरकारी विभाग, उद्योग जगत और बैंक इसके लिए तैयार नहीं हैं. नोटबंदी की तर्ज पर अधूरी तैयारियों से जीएसटी के लागू होने पर छोटे और मझोले उद्योग-धंधों की बकाया कमर टूट सकती है. 14 अगस्त, 1947 की रात भारत में आज़ादी की खुशी से ज़्यादा विभाजन और विस्थापन का देशव्यापी दर्द था. जीएसटी के अंधियारे में भटकती अर्थव्यवस्था को उजाले के अच्छे दिन कब नसीब होंगे...?

ई-वे बिल हेतु सरकार की एनआईसी में पूरी तैयारी क्यों नहीं : जीएसटी व्यवस्था के तहत 50,000 से ज़्यादा के बिल पर सामान की आवाजाही के दौरान कागजी बिल की बजाए ई-वे बिल ज़रूरी होगा, जिसे लागू करने के लिए एनआईसी (नेशनल इन्फॉरमेटिक्स सेंटर) पूरी तरह तैयार नहीं है. एनआईसी की विफलता की वजह से ही अधिकांश सरकारी अधिकारियों को गैरकानूनी तरीके से निजी ई-मेल का इस्तेमाल करना पड़ रहा है, परन्तु ई-वे बिल पर एनआईसी की अधूरी तैयारियों से अर्थव्यवस्था अवरुद्ध हो सकती है.

वित्त मंत्रालय के तहत बैंकों की तैयारी क्यों नहीं : भारतीय बैंक संघ (आईबीए) ने संसद की स्थायी समिति को सूचित किया है कि बैंकों को अपनी प्रणालियों व प्रक्रियाओं में काफी बदलाव करना होगा और बैकिंग व्यवस्था जीएसटी के क्रियान्वयन के लिए अभी पूरी तरह तैयार नहीं है. इसके अलावा पीएसयू तथा सरकारी कंपनियों में भी जीएसटी की पूरी तैयारी नहीं है.

उड्डयन मंत्रालय ने जीएसटी को दो महीने रोकने की मांग क्यों की : नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय को सूचित किया है कि विमानन कंपनियों को ग्लोबल टैक्स डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम में जीएसटी के क्रियान्वयन हेतु तकनीकी बदलाव के लिए दो महीने का और समय दिया जाए.

दो राज्य केरल और जम्मू-कश्मीर ने जीएसटी को मंजूरी नहीं दी : देश के दो राज्यों केरल और जम्मू-कश्मीर द्वारा जीएसटी को मंजूरी नहीं दिए जाने से संवैधानिक संकट खड़ा हो सकता है. कश्मीर में अनुच्छेद-370 का विरोध करने वाली भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अपनी सरकार से जीएसटी को मंजूरी क्यों नहीं दिला पा रही है. दूसरे राज्य के व्यापारी क्या केरल और कश्मीर से अपना कारोबार बंद कर देंगे या उनके लिए जीएसटी में विशेष प्रावधान किए जाएंगे...?

जीएसटी के तकनीकी नेटवर्क पर एसोचैम ने उठाए सवाल : देश में व्यापार तथा उद्योग के सबसे बड़े संगठन एसोचैम ने सरकार को पत्र लिखकर कहा है कि जीएसटी का नेटवर्क, यानी जीएसटीएन पूर्णतया तैयार नहीं है, इसलिए जीएसटी को 1 सितंबर से लागू करना चाहिए.

जीएसटी की टैक्स दर तथा रजिस्ट्रेशन का काम पूरा नहीं : जीएसटी काउंसिल की 17वीं मीटिंग के बाद वित्तमंत्री ने कहा था कि 19 फीसदी, यानी 15 लाख करदाताओं ने जीएसटी के तहत अभी भी रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है. जीएसटी के तहत सभी सेवाओं और उत्पादों को लेकर टैक्स दरों पर अभी तक निर्णय नहीं हुआ है. पुराने माल पर 40 फीसदी इनपुट क्रेडिट का प्रावधान है, जिसे 70 फीसदी करने की मांग पर भी सरकार को निर्णय लेना है.

टैक्स मिलन के साथ केंद्र-राज्य सरकार मिलन क्यों नहीं : जीएसटी से 16 तरह के टैक्सों से आज़ादी मिलेगी, लेकिन 1,150 चुंगियों के खात्मे का सरकार के पास कोई रोडमैप नहीं है. केंद्र तथा राज्यों की एजेंसियों में जीएसटी लागू करने के लिए समन्वय की बात की जा रही है, लेकिन केंद्र और राज्यों के अधिकारियों के ढांचे में मिलन के बगैर व्यापार जगत को राहत कैसे मिलेगी...?

नेशनल एन्टी-प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी और इंस्पेक्टर राज के खतरे : पांच-सदस्यीय अथॉरिटी को लाइसेंस रद्द करने, दाम कम करने, पैसे की रिकवरी करने एवं पैनल्टी लगाने के अधिकार हैं, जिसके बावजूद वित्तमंत्री का यह कथन कितना विश्वसनीय है कि अथॉरिटी दण्डित करने की बजाए अनुशासित करने के लिए बनाई गई है.

व्यापार में गतिरोध के बाद जीडीपी कैसे बढ़ेगी : नोटबंदी के बाद जीडीपी बढ़ने का दावा था, जो अब घटकर 6.1 फीसदी हो गई है. नीति आयोग ने जीएसटी के बाद दो फीसदी जीडीपी बढ़ने का दावा किया है, जो हकीकत से परे है. केंद्र सरकार कों राज्यों को क्षतिपूर्ति की वजह से सन् 2018 में 500 अरब रुपये का नुकसान हो सकता है, जो कुल जीडीपी का 0.3 फीसदी होगा. चैम्बर ऑफ ट्रेड एण्ड इण्डस्ट्रीज (सीटीआई) के अनुसार जीएसटी की ऊंची लागत, महंगी तकनीक तथा 37 वार्षिक रिटर्न से उपजे इंस्पेक्टर राज से 80 फीसदी व्यापारी तबाह हो सकते हैं, फिर जीडीपी कैसे बढ़ेगी...?

जीएसटी से महंगाई तथा बेरोजगारी का संकट : विदेशों में जीएसटी की दो दरें होने के साथ टैक्स रेट 15-18 फीसदी हैं. भारत में जीएसटी के तहत आठ (4 सर्विस की और 4 एक्साइज+वैट की) टैक्स दरें हैं. अभी सर्विस टैक्स 15 फीसदी है, जो जीएसटी के बाद बढ़कर यदि 18 फीसदी हो गई तो फिर महंगाई बढ़ सकती है. नोएडा जैसे कई इलाकों में बड़ी कंपनियों द्वारा जीएसटी कम्प्लायन्स के लिए फैक्ट्रियों में अन्तरिम अवधि के लिए उत्पादन बन्द करने से मौसमी रोजगार में भी कमी आ सकती है. देश में अनेक छोटे उद्योग-धन्धे जीएसटी की ऊंची टैक्स दरों के बाद बन्द होने का फायदा बड़ी कंपनियों को मिलने के साथ असंगठित क्षेत्र में बेरोजगारी बढ़ सकती है.

जीएसटी की तैयारियों पर देश के व्यापार जगत की मंशा पर सवाल करने वाले वित्तमंत्री अरुण जेटली सरकार की नाकामियों से उपजे सवालों का जवाब देने से क्यों बच रहे हैं...?

विराग गुप्ता सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता और संवैधानिक मामलों के विशेषज्ञ हैं...

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTV उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

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