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This Article is From Mar 10, 2016

'सत्यमेव जयते' की आड़ में श्री श्री का आर्ट ऑफ 'लीविंग' कानून

Virag Gupta
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    मार्च 10, 2016 15:06 pm IST
    • Published On मार्च 10, 2016 14:59 pm IST
    • Last Updated On मार्च 10, 2016 15:06 pm IST
'आर्ट ऑफ लिविंग' के 35 वर्ष पूरे होने पर आयोजित विश्व सांस्कृतिक उत्सव मामले में एनजीटी द्वारा पांच करोड़ रुपये का जुर्माना लगाए जाने के बाद श्री श्री रविशंकर ने ट्वीट कर कहा कि वह इस मामले में अपील करेंगे, क्योंकि सत्य की ही जीत होती है, लेकिन पहले जुर्माना न देने की बात कर अब वह जुर्माना देने पर सहमत दिख रहे हैं, क्योंकि गैरकानूनी कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के शरीक होने पर संवैधानिक संकट पैदा हो सकता था। श्री श्री का व्यक्तित्व और कृतित्व प्रेरणादायक है, लेकिन क्या वह कानून से ऊपर हैं...?

कानून की समानता और संविधान दरकिनार - आयोजकों द्वारा कुंभ मेला तथा सरकार द्वारा मुम्बई चौपाटी पर 'मेक इन इंडिया' आयोजन के आधार पर ही इस आयोजन को भी सही ठहराने की कोशिश हो रही है। आयोजन की सारी अनुमतियां इतनी ही गैरज़रूरी हैं तो फिर इन कानूनों को खत्म ही क्यों नहीं कर दिया जाता, जिनका इस्तेमाल भ्रष्टाचार या फिर कमजोरों को सताने के लिए किया जाता है...?
  • आयोजन स्थल के बगल में अक्षरधाम मन्दिर का निर्माण भी यमुना फ्लड जोन में तत्कालीन एनडीए सरकार के सहयोग से ही संभव हुआ था।
  • इसी इलाके में कांग्रेस सरकार द्वारा कामनवेल्थ विलेज बनाया गया था, जहां महंगे फ्लैटों को निजी बिल्डरों के हवाले कर दिया गया, जिसके अनधिकृत निर्माण पर अभी तक कोई कार्रवाई ही नहीं हुई।

कानून के उल्लघंन पर सरकार की चुप्पी - दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि पारिस्थितिकी के लिहाज़ से यह निर्माण कार्य तबाही लगता है। एनजीटी के आदेश से भी स्पष्ट है कि देश की राजधानी में सरकार की नाक तले सभी नियम तोड़े गए...
  • पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने गलतबयानी क्यों की कि आयोजन हेतु पर्यावरणीय अनुमति आवश्यक नहीं है, जबकि 2006 के नोटिफिकेशन के अनुसार 50 हेक्टेयर से अधिक विकास के लिए यह ज़रूरी है...?
  • डीडीए ने सीमित क्षेत्र में आयोजन की मंजूरी दी थी, लेकिन आयोजन 1,000 एकड़ में हो रहा है... इस उल्लंघन को डीडीए अधिकारियों ने अपने इंस्पेक्शन के दौरान नोटिस क्यों नहीं किया...?
  • आयोजकों के साथ रक्षा मंत्रालय ने कैसे बगैर अनुमति के नदी के इलाके में रैम्प, सड़कें, पंटून पुल और अन्य ढांचे बना दिए...?

गैरकानूनी आयोजन के लिए सरकार की मदद क्यों - एनजीटी के आदेश से स्पष्ट है कि यह आयोजन गैरकानूनी है, फिर...
  • केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने आयोजन हेतु सवा दो करोड़ की राशि कैसे दी...?
  • आयोजन हेतु 1,000 एकड़ से अधिक सरकारी भूमि के इस्तेमाल पर वसूली क्यों नहीं हो रही...?
  • सेना द्वारा पंटून पुल तथा अन्य निर्माणों का खर्चा आयोजकों से क्यों नहीं वसूला जा रहा...?
  • किसानों की नष्ट फसल का मुआवजा कौन देगा...?
  • दिल्ली पुलिस के 8,000 जवानों तथा अन्य विभागों द्वारा किए गए खर्चों को कौन वहन करेगा...?
  • पठानकोट में हुए सेना के खर्च की वसूली की बात करने वाली सरकार क्या आयोजकों से इस मद पर वसूली करेगी...?

एनजीटी ने क्यों दी गैरकानूनी आयोजन की अनुमति - एनजीटी ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि अब वह इस आयोजन को नहीं रोक सकते। अगर यह सही है तो फिर एनजीटी द्वारा नदी किनारे विकसित पुराने उद्योगों को हटाने के आदेश कैसे पारित होते हैं...?
  • आयोजकों को बकाया अनुमतियों को लेने का आदेश दिया गया है, लेकिन क्या यह दो दिन में संभव हो पाएगा...?
  • आयोजन स्थल को ठीक करने के लिए 120 करोड़ रुपये का खर्च अनुमानित है, लेकिन फिलहाल सिर्फ पांच करोड़ का जुर्माना लगाया गया है, और बकाया राशि के लिए आयोजकों से बैंक गारंटी क्यों नहीं ली गई...?
  • क्या आयोजन शुरू होने से पहले डीडीए जुर्माना जमा कराएगा...?
  • विशेषज्ञ समिति की राय में निर्माण, मलबा तथा नेचुरल टोपोग्राफी, वनस्पति नष्ट होने के बाद आयोजन स्थल को वापस उसी स्थिति में नहीं लाया जा सकता, फिर एनजीटी के आदेश का क्या अर्थ है...?

हर मामले में राजनीति करने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इस मामले में राजनीति नहीं होनी चाहिए। इस तरह से वह पहली बार केंद्र सरकार के साथ दिखाई दे रहे हैं। अब इस राजनीति से जुदा सिर्फ एक सवाल है कि क्या संविधान नए जमाने के नेताओं के हाथ का खिलौना है, और जिसे श्री श्री अपनी सहूलियत के लिए 'सत्यमेव जयते' कह रहे हैं...?
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