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This Article is From Aug 20, 2019

ठहरे हुए पानी में पत्थर मारकर हुड्डा कर रहे इंतजार

Umashankar Singh
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अगस्त 20, 2019 03:00 am IST
    • Published On अगस्त 20, 2019 03:00 am IST
    • Last Updated On अगस्त 20, 2019 03:00 am IST

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा को इंतजार है 10 जनपथ से किसी फैसले का. उन्होंने रोहतक की कल की अपनी रैली में धारा 370 के मुद्दे पर अपनी ही पार्टी कांग्रेस के खिलाफ जमकर हमला बोला. माना यह जा रहा है कि हुड्डा अपनी अलग पार्टी बनाने के लिए नींव रख चुके हैं, लेकिन जाते-जाते कांग्रेस से एक सौदा कर लेना चाहते हैं. यही वजह है कि कल के अपने वक्तव्य के बाद हुड्डा अभी प्रेस से बात करने से बच रहे हैं.

सूत्रों की मानें तो अंदर खाने कुछ विचार विमर्श चल रहा है. कांग्रेस को पता है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा के अलग हो जाने के बाद हरियाणा में कांग्रेस का खात्मा हो जाएगा, बेशक हुड्डा को भी इससे कुछ हासिल हो या न हो. दरअसल हुड्डा और कांग्रेस के बीच बड़ी दूरी के पीछे वह लंबा सिलसिला है जिसमें हाईकमान की तरफ से हुड्डा की उस मांग की लगातार अनसुनी कर की गई जिसमें प्रदेश अध्यक्ष बदलने की बात थी. दरअसल अशोक तंवर के प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद आपसी खींचतान हरियाणा कांग्रेस में शुरू हुई. कई लोग प्रदेश में कांग्रेस की बुरी हालत का जिम्मेदार उसे मानते हैं.

अशोक तंवर को जहां कांग्रेस के युवा चेहरे के तौर पर बढ़ावा दिया गया वहीं हुड्डा की जातीय राजनीति, जाट राजनीति के खात्मे के बाद पार्टी में उनकी वह तवज्जो नहीं रही. बीजेपी ने गैर जाट राजनीति कर कांग्रेस पार्टी को जिस तरह की पटखनी दी उसके बाद कांग्रेस लगातार इस कोशिश में रही कि अशोक तंवर पार्टी में कुछ जान डाल सकेंगे लेकिन अशोक तंवर हुड्डा के सामने अभी तक अपना कोई प्रभाव नहीं दिखा पाए हैं लिहाजा हुड्डा को कांग्रेस पर बढ़-चढ़कर हमले करने का मौका मिल गया है. हुड्डा ने मंच से इस बात का ऐलान किया कि वह 25 सदस्य कमेटी बनाकर आगे का फैसला लेंगे. लेकिन सोचिए कि जब यह एलान मंच से करना पड़ा तो कांग्रेस और हुड्डा के बीच कितनी दूरी बढ़ गई होगी. अब इस हमले के बाद कांग्रेस बेशक अपने दो कदम पीछे खींचने को मजबूर हो सकती है, लेकिन यह कोई बेहतर नतीजा दे पाएगा इसकी संभावना कम है.

राज्य में चुनाव बहुत दूर नहीं और आपसी खींचतान में पार्टी को और भी ज्यादा नुकसान उठाना पड़ेगा. हुड्डा खेमा मन बना चुका है कि अगर सम्मानजनक तौर से उनकी बात को नहीं माना गया तो अलग पार्टी बनाकर उतरने में भी कोताही नहीं करेंगे. हुड्डा खेमे को लगता है कि धारा 370 हटाए जाने के बाद प्रदेश में बीजेपी को और ज्यादा जमीन मिली है और उससे लड़ाई लड़ना है राष्ट्रवाद के मुद्दे पर. उससे कहीं पीछे नहीं दिखना होगा. हुड्डा खेमे को यह भी लगता है कि कांग्रेस नेतृत्व अपनी धार खो चुका है. हालांकि सोनिया गांधी के आने के बाद फिर से उसे उम्मीद है कि पार्टी रिवाइवल की दिशा में आगे बढ़ेगी.

हुड्डा की रैली में करीब 60 पूर्व विधायक और 13 मौजूदा विधायक शामिल हुए जिससे हुड्डा के प्रभाव का पता चलता है. इस वक्त हरियाणा में कांग्रेस के कुल 17 एमएलए ही हैं. अब कांग्रेस को सोचना है कि उसे हरियाणा में अपना वजूद बचाना है या फिर अशोक तंवर के हाथों ही कमान देकर आगे बढ़ना है.

(उमाशंकर सिंह एनडीटीवी इंडिया में एडिटर इंटरनेशनल अफेयर्स हैं.)

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

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