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This Article is From May 27, 2015

ईश्वर के प्रति विश्वास और निरंतर अभ्यास से मिली सफलता : तपस भारद्वाज

Tapas Bhardwaj
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  • Updated:
    मई 27, 2015 12:23 pm IST
    • Published On मई 27, 2015 11:13 am IST
    • Last Updated On मई 27, 2015 12:23 pm IST
पथ बनूं, पथ प्रदर्शक बनूं,
न केवल दर्शक बनूं,
स्व के लिए नहीं,
सर्वत्र के लिए आनंदवर्षक बनूं...


मेरा जन्म 7 अगस्त, 1996 को सिर्फ साढ़े छह महीने में हो गया था और अस्पताल से छुट्टी मिलने के समय ही मेरे माता-पिता को पता चल चुका था कि मैं दृष्टिहीन हूं। काफी कोशिशों के बाद भी मेरी दृष्टिहीनता का कोई समाधान नहीं निकल पाया था। मेरा शुरुआती बचपन काफी कठिनाई और बीमारियों में गुज़रा और इस दौरान मैं ज्यादातर समय अस्पताल में रहा।

चार साल के बाद मेरे माता-पिता को मेरी पढ़ाई की चिंता हुई। उन्होंने अपने दोस्तों और संबंधियों से मेरी पढ़ाई के बारे में चर्चा की तो एक पारिवारिक मित्र ने मुझे 'नेशनल एसोसिएशन ऑफ द ब्लाइंड स्कूल', आरके पुरम में एडमिशन दिलाने की सलाह दी। मेरे माता-पिता ने उनकी सलाह मानते हुए मेरा एडमिशन वहां करवा दिया, NAB में ही मैंने अपनी शुरुआती शिक्षा पाई, यहां मैंने ब्रेल लिपि, थोड़ी-बहुत कंप्यूटर शिक्षा और अपने व्यक्तिगत जीवन के कामकाज को करने की शिक्षा प्राप्त की।

कक्षा-2 में मैंने दिल्ली पब्लिक स्कूल की ईस्ट दिल्ली ब्रांच में एडमिशन लिया, वहां मुझे अंग्रेज़ी नहीं आने के कारण कई बार कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, हालांकि मेरे पिता ने तब ही स्कूल के अधिकारियों को कह दिया था कि एक दिन मैं उनके स्कूल का नाम ज़रूर रोशन करूंगा। दूसरी क्लास में ही मैंने वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा विकलांग बच्चों के लिए आयोजित भाषण प्रतियोगिता में भाग लिया, जहां मुझे प्रथम पुरस्कार मिला और वहीं से मेरे भीतर प्रथम आने की उमंग का संचार हुआ।

तब तक मैं अपनी पढ़ाई ब्रेल लिपि में किया करता था, लेकिन इससे क्लास के अन्य बच्चों को दिक्कत होती थी और कई टीचर्स को ब्रेल लिपि नहीं आने के कारण मैंने अपनी पढ़ाई कंप्यूटर की मदद से करनी शुरू कर दी। इस दौरान मैंने अलग से कंप्यूटर क्लास भी ज्वाइन की, ताकि जल्द से जल्द कंप्यूटर सीख सकूं और मैं इसमें सफल भी रहा। क्लास-3 में ही मैंने मुंबई में आयोजित राष्ट्रीय पैरालिम्पिक्स में हिस्सा लिया और वहां मुझे स्पीड और एक्यूरेसी के लिए स्वर्ण पदक मिला।

चौथी क्लास में ही मैंने स्कूली शिक्षा में भी स्कॉलर बैज प्राप्त किया। अब मैं कंप्यूटर में अपना काम करने में पूरी तरह से सक्षम हो गया था और पढ़ाई में कोई दिक्कत नहीं आ रही थी। मेरे कंप्यूटर में 'jaws' नाम का एक स्क्रीन रीडिंग सॉफ्टवेयर होने के कारण मुझे हेडफोन लगाकर अपना काम करना पड़ता था, जिससे अन्य छात्रों को दिक्कत न हो, इससे मुझे एक समय में हेडफोन में कंप्यूटर को भी सुनना पड़ता था और टीचर को भी।

कक्षा छह में मैं प्रमोशन स्कॉलर बैज के साथ डीपीएस, आरके पुरम की सीनियर ब्रांच में आ गया। यहां मैंने इंटरस्कूल, इंटरस्टेट और राष्ट्रीय स्तर पर डिबेट और भाषण प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना शुरू किया। ऐसा नहीं था कि मैं इन सभी प्रतियोगिताओं में विजयी रहा, पर मेरे प्रिंसिपल डॉ डीआर सैनी, जो मेरे जीवन गुरु भी हैं, और अन्य सभी टीचर्स ने काफी प्रोत्साहित किया। आठवीं क्लास में मैंने राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा यानि (NTSE) में सफलता हासिल की, जिसके बाद से मुझे भारत सरकार द्वारा प्रतिवर्ष स्कॉलरशिप मिलती है। अब तक मैं पढ़ाई में पूरी तरह रम गया था और मुझे पढ़ाई में मज़ा आने लगा।

10वीं में मैंने फुल CGPA (Highest score in CBSE) प्राप्त किया। यह खुशकिस्मती की बात है कि तब भी एनडीटीवी ने ही सबसे पहले मेरा इंटरव्यू लिया था। 11वीं क्लास में मैंने ह्यूमैनिटीज़ में एडमिशन लिया और साथ में लीगल स्टडीज़ सब्जेक्ट भी चुना। इस दौरान स्कूल के प्रिंसिपल ने मुझे खुद भी पढ़ाया। 11वीं और 12वीं क्लास में मैंने लगातार दो वर्ष तक इंटर-डीपीएस राष्ट्रीय वाद-विवाद प्रतियोगिता में पहला स्थान प्राप्त किया।

12वीं कक्षा में मुझे दिल्ली पब्लिक स्कूल, आरके पुरम का हेड ब्वॉय नियुक्त किया गया, जो मेरे लिए एक सपना था। अपनी सीबीएसई बोर्ड की परीक्षा के लिए मैंने जी-तोड़ मेहनत की और कर्म के प्रति निष्ठा रखी, जीवन में ईश्वर के प्रति विश्वास रखा और निरंतर अभ्यास करता रहा। आईपी यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित लॉ एन्ट्रेन्स प्रतियोगिता में मैंने पर्सन्स विद डिसएबिलिटी कैटेगरी में ऑल इंडिया प्रथम स्थान प्राप्त किया। CLAT (Common Law Admission Test) में मैंने ऑल इंडिया 35वां रैंक हासिल किया और इसी तरह 12वीं के परीक्षा परिणामों ने मुझे मायूस नहीं होने दिया। जब परिणाम आए तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मुझे इंग्लिश में 95, सोशियोलॉजी में 95, लीगल स्टडीज़ में 94, म्यूज़िक में 92 और साइकोलॉजी में 90 मार्क्स मिले। मेरा कुल पर्सेन्टेज 94 रहा और (Persons with Disabilities Category) में मैं अव्वल रहा।

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