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This Article is From Sep 03, 2015

शीना हत्याकांड में जांच की प्लानिंग और उसमें फंसा पेंच

Sunil Kumar Singh
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    सितंबर 03, 2015 21:51 pm IST
    • Published On सितंबर 03, 2015 21:41 pm IST
    • Last Updated On सितंबर 03, 2015 21:51 pm IST
शीना बोरा हत्याकांड जितना रिश्तों के पेंच में उलझा है, उसकी जांच में मुंबई पुलिस आयुक्त राकेश मारिया की दिलचस्पी भी उतना ही हैरान करने वाली है। चर्चा तो यहां तक है कि शीना हत्याकांड का गड़ा मुर्दा उखाड़ने के लिए राकेश मारिया ने महीनों तक सही समय का इंतजार किया और फिर एक-एक कर अपने चहेते पुलिस अफसरों को बांद्रा डिवीजन और खार पुलिस स्टेशन में तैनात करवाया।

खार पुलिस की कहानी में हालांकि जांच की शुरुआत 21 अगस्त 2015 बताई गई है, जब कार्टर रोड पर पुलिस गस्त के दौरान ड्राईवर शामवर पिंटूराम राय अवैध पिस्तौल के साथ गिरफ्तार हुआ। पूछताछ में उसने शीना बोरा की हत्या का खुलासा किया। यानी तीन साल पुरानी हत्या की ऐसी गुत्थी जो पुलिस फाईल में भी दर्ज नहीं थी, जिसके तार मुंबई से कोलकाता और गुवाहाटी तक से जुड़े हैं। जिसमें रिश्तों का ऐसा पेंच है, जिसे समझ पाना मुश्किल हो रहा है।

मुंबई में अब तक की सबसे सनसनीखेज मर्डर मिस्ट्री अचानक से पुलिस के हाथ लग गई, लेकिन पुलिस महकमे से लेकर मीडिया तक में चर्चा कुछ और है। क्योंकि 26 अगस्त 2012 को अपने केबिन में पत्रकारों से बातचीत में खुद पुलिस आयुक्त राकेश मारिया कह चुके हैं कि हम दो महीने से इस पर काम कर रहे थे।

मतलब साफ है कि शीना की हत्या की टिप मुंबई पुलिस को बहुत पहले ही लग गई थी। चर्चा तो यहां तक है कि टिप किसी और ने नहीं खुद मुंबई पुलिस आयुक्त राकेश मारिया को मिली थी। और वह इतनी सटिक थी कि अपराध की शुरुआत कौन से थाने में हुई है यह भी पता था।
अगर ये बात सही है तो सवाल है कि वह शख्स कौन है? और तीन साल तक उसने राज को क्यों छिपा कर रखा?

मामला मीडिया से जुड़े एक बड़े शख्स के परिवार से जुड़ा था और जिसकी हत्या की टिप थी उसके लापता होने की शिकायत तक कहीं दर्ज नहीं कराई गई थी। इसलिए हर कदम फूंक-फूंक कर रखना जरूरी था। तो क्या इसीलिए मुंबई पुलिस आयुक्त राकेश मारिया ने इस मामले की जांच के लिए ही एक-एक कर अपने चहेते और भरोसेमंद अफसरों को पहले बांद्रा डिवीजन में तैनात करवाया?

मारिया के करीबी एसीपी संजय कदम जो आर्थिक अपराध शाखा में थे, वह कुछ महीने पहले बांद्रा डिवीजन में एसीपी बनकर आए हैं। और सबसे बड़ी बात पुलिस निरीक्षक दिनेश कदम की, जो 1993 बम धमाकों की जांच के समय से ही राकेश मारिया के खास माने जाते हैं। जब राकेश मारिया एटीएस चीफ थे, तब दिनेश कदम भी एटीएस में थे। उस समय उनका तबादला नागपुर कर दिया गया था, लेकिन मारिया ने ये कहकर तबादला रुकवा दिया कि दिनेश कदम जैसे अफसरों की एटीएस में जरूरत है। अब वो भी उसी खार पुलिस स्टेशन में तैनात हैं, जहां शीना मर्डर केस की जांच हो रही है।

बताया जा रहा है कि जांच टीम के सर्वेसर्वा दिनेश कदम ही हैं। खबर तो यहां तक है कि दिनेश कदम के नेतृत्व में बनी कोर टीम सीधे पुलिस आयुक्त राकेश मारिया को रिपोर्ट कर रही है। वैसे खार पुलिस थाने के इंचार्ज दत्तात्रय बरगुडे भी 26/11 आतंकी हमले की जांच में राकेश मारिया के अधीन क्राईम ब्रांच में काम कर चुके हैं। हालांकि खुद मारिया भी इसे इत्तेफाक ही कहेंगे, लेकिन ऐसा इत्तेफाक विरले ही होता है।

सबसे बड़ी बात कि अमूमन इस तरह की हाई प्रोफाइल और पेचिदा मर्डर मिस्ट्री की जांच अक्सर मुंबई क्राईम ब्रांच को दे दी जाती है, लेकिन इस केस से क्राइम ब्रांच को अभी तक दूर ही रखा गया है। खुद पुलिस आयुक्त राकेश मारिया और कानून व्यवस्था के संयुक्त आयुक्त देवेन भारती  कई बार खार पुलिस स्टेशन में डेरा डाले रहे हैं। राकेश मारिया ने खुद भी आरोपियों से कई दौर की पूछताछ की है। हालांकि यह भी सही है कि राकेश मारिया दूसरे मामलों में भी आरोपियों से पूछताछ करते रहे हैं।

पूरी जांच को इस कदर गुप्त रखा जा रहा है कि छोटे पुलिस अफसर तो दूर की बात है, आला अफसर भी मीडिया से बात करने से बच रहे हैं। और तो और मामले से जुड़ी खबरों की पुष्टि या खंडन करने वाला भा कोई नहीं है, जबकि कोलकाता और गुवाहाटी से खबरों की बौछार हो रही है।

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