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This Article is From Oct 18, 2022

BCCI से सौरव गांगुली की विदाई : राजनैतिक गुगली या Instant Karma

Sanjay Kishore
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अक्टूबर 18, 2022 23:11 pm IST
    • Published On अक्टूबर 18, 2022 21:49 pm IST
    • Last Updated On अक्टूबर 18, 2022 23:11 pm IST

बेआबरु होकर निकले बीसीसीआई से पूर्व भारतीय कप्तान प्रिंस ऑफ़ कोलकाता सौरव गांगुली. मुंबई में बीसीसीआई के 91वीं आम सलाना बैठक हुई. बैठक में एन श्रीनिवासन ने सौरव गांगुली की जगह नए अध्यक्ष के लिए रोजर बिन्नी के नाम का प्रस्ताव रखा जो सर्वसम्मति से स्वीकर कर लिया गया. बिन्नी बोर्ड के 36वें अध्यक्ष बने हैं. राजीव शुक्ला उपाध्यक्ष और जय शाह सचिव बने रहेंगे. वहीं अरुण सिंह धूमल और अभिषेक डालमिया IPL गवर्निंग काउंसिल के प्रतिनिधि चुने गए हैं. साथ ही महिला IPL को भी मंज़ूरी दी गई.

रोजर बिन्नी को छोड़कर तमाम हस्तियां राजनीति से जुड़ी हुई हैं या राजनीतिज्ञों से संबंध रखती हैं. अरुण धूमल खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के भाई हैं. कोषाध्यक्ष आशीष शेलार बीजेपी के एमएलए हैं. राजीव शुक्ला कांग्रेस के नेता हैं. सह-सचिव देवजीत सैकिया असम के मुख्यमंत्री के क़रीबी हैं.

सौरव गांगुली ने नए अधिकारियों को बुझे मन से शुभकामनाएं दी हैं. "मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं. नए लोग क्रिकेट को आगे ले जाएंगे. बीसीसीआई सही हाथों में है. भारतीय क्रिकट बहुक मज़बूत है. मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं." 

सवाल है कि क्या सौरव गांगुली को राजनीति में नहीं आने पर अड़े रहने की सज़ा मिली है या Instant Karma के शिकार हो गए हैं. 11 अक्टूबर को ही बीसीसीआई की बैठक में सौरव गांगुली को अपदस्थ कर दिया गया था. कहा जा रहा है कि गांगुली को अपदस्थ करने की पटकथा उच्च स्तर पर तैयार की गई. उच्च स्तर का मतलब आप समझते ही होंगे. इस पटकथा के पृष्टभूमि में एक राजनैतिक खींचतान है. पश्चिम बंगाल के चुनाव के समय सौरव गांगुली  भारी दबाव में थे. एक दल उनको अपने साथ लेना चाह रहा था तो दूसरा आंखें तरेर रहा था. दबाव इतना बढ़ गया कि गांगुली को दिल का दौरा तक पड़ गया. गांगुली राजनैतिक ख़ेमेबाज़ी में शामिल नहीं हुए. चुनाव ख़त्म हो गए और गांगुली ने सोचा कि रात गई, बात गई. 

सौरव गांगुली बीसीसीआई के अध्यक्ष के कामों में मशगूल हो गए. रवि शास्त्री को कोच पद से हटाया और राहुल राहुल द्रविड़ को इसके लिए तैयार किया. राहुल द्रविड़ कई बार कोच बनने का प्रस्तान ठुकरा चुके थे. उसके बाद उन्होने विराट कोहली पर दबाव बना उन्हें T20 की कप्तानी छोड़ने पर विवश कर दिया. जब वनडे की कप्तानी भी कोहली से ले ली गई तब कोहली के सब्र का बंधा टूट गया. कोहली ने सार्वजनिक मंच से ख़ुलासा कर दिया कि वनडे टीम से कप्तान पद से हटाए जाने के पहले उनसे कोई बातचीत नहीं की जबकि बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली ने कहा था कि विराट से इस बारे में उनकी और चयनकर्ताओं की बातचीत हुई थी. ज़ाहिर है विराट कोहली ने चुप्पी क्या तोड़ी हंगामा मच गया. तभी आलोचक कह रहे हैं कि दादा के लिए Instant Karma जुमले का इस्तेमाल कर रहे हैं.

बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष और चेन्नई सुपरकिंग्स के मालिक एन श्रीनिवासन गांगुली के ख़िलाफ़त आंदोलन के चेहरा बने. श्रीनिवासन गांगुली की कथित नाकामियों और गड़बड़ियों का कच्चा-चिट्ठा सामने रखा और बाक़ी सदस्य हामी भरने के लिए पहले से ही तैयार बैठे थे. दरअसल सौरव गांगुली और श्रीनिवासन में 2019 से ही ठनी हुई थी. श्रीनिवासन अपने खेमे के बृजेश पटेल को बीसीसीआई का अध्यक्ष पद पर बैठान चाहते थे लेकिन अध्यक्ष बन गए सौरव गांगुली. श्रीनिवासन अपनी हार को कभी हजम नहीं कर पाए और सही मौक़े का इंतज़ार करने लगे. श्रीनिवासन को ये भी साबित करना था कि बीसीसीआई में उनकी धमक आज भी कम नहीं हुई है. हालांकि सौरव गांगुली का खेमा ये कहता फिर रहा है कि आज तक कोई भी लगातार दो कार्यकाल तक अध्यक्ष पद पर नहीं रहा है. लिहाज़ा सौरव ने दूसरे कार्यकाल के लिए दावेदारी पेश नहीं की.

सौरव गांगुली का कहना है, "मैं पांच साल तक बंगाल क्रिकेट संघ का अध्यक्ष रहा. कई साल तक बीसीसीआई का अध्यक्ष रहा. इन सबके बाद आपको जाना होता है. प्रशासक के तौर पर आपको बहुत योगदान देना होता है ताकि चीज़ें बेहतर हो सकें. लंबे समय तक खिलाड़ी रहा इसलिए जरुरतों को बेहतर समझ पाया. मैंने अपने कार्यकाल का पूरा आनंद उठाया. आप हमेशा नहीं खेल सते. हमेशा प्रशासक नहीं बने रह सकते."

कहा जा रहा है कि उन्हें आईपीएल के अध्यक्ष पद दिया जा रहा था जिसे उन्होने ठुकरा दिया था. अब गांगुली लौट कर आए वाले हालात में आ गए हैं. वे बंगाल क्रिकेट संघ के अध्यक्ष का चुनाव लड़ने जा रहा हैं. चुनाव 31 अक्टूबर को है. गांगुली 2015 से 1019 तक CAB के अध्यक्ष रह चुके हैं.

संजय किशोर NDTV इंडिया के खेल डेस्क पर डिप्टी एडिटर हैं...


डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.

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