वर्ल्डकप में टीम इंडिया का दारोमदार जिस खिलाड़ी पर सबसे ज़्यादा रहने वाला है वह है विराट कोहली। नए जमाने का स्टार। बिंदास और बेपरवाह। कामयाबी पर अपनी गर्लफ़्रेंड को "किस ब्लो" करने में कोई हिचक नहीं।
एक शब्द जो विराट कोहली की समूची शख्सियत बयान करती है वो है "ज़िद"। दोस्तों का कहना है कि चीकू बचपन से ही अपने मन का मालिक रहा है। आक्रामकता स्वभाव में भी है और खेल में भी। उन्हें स्लेज़ कर गेंदबाज़ बचकर यूं ही आगे नहीं निकल सकता।
खुद पर भरोसा और कभी न हार मानने वाला ज़ज्बे ने विराट को कम समय में ही उस मुकाम पर पहुंचा दिया है, जहां दुनिया उन्हें वन-डे के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी के रूप में देख रही है। भारत के लिए 52 गेंद पर सबसे तेज़ शतक। सबसे तेज़ 6000 रन। सबसे तेज़ 21 शतक। 21 में से 19 शतक ने टीम इंडिया को जीत दिलाई।
26 साल के विराट का बल्ला यूं बोलता रहा तो कोई भी रिकॉर्ड बच नहीं पाएगा। तभी वे वर्ल्डकप के सबसे अहम खिलाड़ियों में गिने जा रहे हैं। करियर ज़्यादा लंबा नहीं है। साल 2008 में ही उनकी कप्तानी में भारत ने अंडर-19 वर्ल्डकप जीता। ये एक स्टार के आने की दस्तक थी।
आईपीएल के पहले सीज़न की पार्टियों में विराट भटकते नज़र आए। टीम से भी निकाल दिए गए। जल्दी ही संभले और 7 घरेलू मैचों में 4 शतक ठोक वापसी की। साल 2012 में होबार्ट में ट्राई सीरीज़ के दौरान विराट ने 86 गेंदों पर 133 रन ठोक कर दिखा दिया था कि ऑस्ट्रेलिया की पिच पर भी वे क्या कर सकते हैं। पिछले साल नेपियर की तेज़ और बाउंसी पिच पर कोहली ने 123 रनों की पारी खेली।
वर्ल्डकप के ठीक पहले सर विवियन रिचर्ड्स ने विराट कोहली को लिजेंड का तमगा दे दिया है। विराट पर अब उम्मीदों पर खरे उतरने की चुनौती है।