विज्ञापन
This Article is From May 07, 2015

बिजनेस जगत का नया क्षेत्रवाद और जातिवाद

Ravish Kumar
  • Blogs,
  • Updated:
    मई 09, 2015 23:59 pm IST
    • Published On मई 07, 2015 13:19 pm IST
    • Last Updated On मई 09, 2015 23:59 pm IST
क्या यह ज़रूरी है कि मुंबई या कोलकाता या अमेरिका में कामयाब होने के बाद मारवाड़ी बिजनेसमैन या एनआरआई राजस्थान में भी निवेश करेगा। क्या कोई गुजराती व्यापारी को याद दिलाया जाए कि आप गुजरात से हैं और एक फैक्ट्री वहां भी डाल सकते हैं या फिर कोई बिजनेस समुदाय को तेलंगाना बनाम आंध्र में बांटकर उन्हें न्योता देने लगे तो इससे देश के भीतर बिजनेसमैन की क्या छवि होगी या इस कारण राज्यों के बीच जो प्रतियोगिता होगी, क्या इससे दो राज्यों के बीच तनाव पैदा हो सकता है। राज्यों के बीच प्रतियोगिता सुखद संकेत है, लेकिन इस प्रतियोगिता का आधार क्या है, यह ज़रूर देखा जाना चाहिए।

"मारवाड़ी कोलकाता, मुंबई और हैदराबाद में बिजनेस कर रहे हैं। हम किसी राज्य से प्रतियोगिता नहीं कर रहे हैं, लेकिन हम चाहते हैं, निवेशक हमारे राज्य में आएं..." 6 मई के टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर में राजस्थान की मंत्री का यह बयान है। अखबार ने लिखा है कि वसुंधरा राजे सिंधिया के मुंबई दौरे से शिवसेना नाराज़ हो गई है। शिवसेना की नाराज़गी के अपने क्षेत्रीय कारण हैं। उनके अनुसार तो दुनिया के सारे कारोबार मुंबई से शुरू होकर वहीं ख़त्म हो जाते हैं और मुंबई से बाहर जाने पर उनका मुंबई में अंत हो जाता है। यह भी एक किस्म का अतिवाद है।

20 अप्रैल को हिन्दू अख़बार ने वसुंधरा राजे सिंधिया के कोलकाता दौरे के संदर्भ में लिखा है कि बिजनेस जगत के साथ-साथ मारवाड़ी बिजनेसमैन से भी मुलाकात की संभावना है। वसुंधरा राजे सिंधिया और उनके सहयोगी इन दिनों रिसर्जेंट राजस्थान के लिए अलग-अलग राज्यों में राजस्थान के बिजनेस अनुकूल माहौल का प्रचार करने के लिए जा रहे हैं। रिसर्जेंट राजस्थान की साइट पर तो मारवाड़ी बिजनेसमैन से मुलाकात की बात नहीं मिली, लेकिन ख़बरों में इस तरह से ज़िक्र आना या फिर उद्योग जगत के सम्मेलन के नाम पर एक इलाका या जाति की संस्कृति के लोगों को विशेष रूप से बुलाना या संबोधित करना ठीक नहीं है।

पिछले साल गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल भी मुंबई दौरे पर गई थीं। बिजनेस जगत को अंग्रेजी में संबोधित करते-करते अचानक गुजराती बोलने लगीं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार आनंदीबेन पटेल ने कहा कि जब नरेंद्र भाई अमेरिका में हिन्दी बोल सकते हैं तो मैं मुंबई में गुजराती बोल ही सकती हूं। बेशक बोलना चाहिए, लेकिन बोलने का अगर यह मकसद हो कि वह एक पेशेवर कम्युनिटी में इलाकाई पहचान को उभारना चाहती हैं तो समस्या हो सकती है।

इसी क्रम में आज के इंडियन एक्सप्रेस में ख़बर छपी है कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के बेटे एन लोकेश नायडू और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के बेटे के टी रामाराव इन दिनों अमेरिका में हैं। राज्य बंटा तो अमेरिका में रहने वाले एनआरआई का भी बंटवारा हो गया है और इसी आधार पर इन्हें लुभाने के क्रम में दोनों के बीच प्रतियोगिता छिड़ी हुई है। लोकेश नायडू कैलिफोर्निया में हैं और रामाराव न्यूयार्क में।

चंद्रबाबू नायडू के बेटे सरकार के प्रतिनिधि तो नहीं है, फिर भी मुख्यमंत्री की तरफ से अमेरिका में आंध्र कम्युनिटी के साथ रिश्ते सुधारने गए हैं। अमेरिका में रह रहे आंध्र प्रदेश के एनआरई की एक सभा में भाग लेंगे और निवेश के लिए अपील भी करेंगे। लास एंजिलिस में लोकेश ने स्मार्ट विलेज - स्मार्ट वार्ड के नाम पर 100 लिमोज़िन कारों के साथ एक प्रदर्शनी भी निकाली और स्थानीय समुदाय से अपील की कि वे एक-एक गांव को गोद लें। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में ऐसा ही लिखा है। रामाराव भी तेलंगाना के एनआरआई से मुलाकात करेंगे।

एक लिहाज़ से इसमें किसी को बुराई न दिखे, लेकिन जब यह अति के स्तर पर दिखने लगेगा तो समस्या होगी। बाहर के देश या राज्य में पैसा आ जाने या कामयाब हो जाने से ही उस राज्य के लिए आपकी उपयोगिता बढ़ जाती है, यह एक किस्म का लाइसेंसराज और सांस्कृतिक अवसरवाद है। भाषा और संस्कृति के आधार पर किसी के निवेश करने की क्षमता का मूल्यांकन किया जा रहा है। निश्चित रूप से इन तथाकथित कामयाब एनआरआई ने अमेरिका में कामयाबी वहां के खुले माहौल के कारण ही बनाई, वर्ना उन्हें आंध्र प्रदेश छोड़ने की ज़रूरत ही नहीं होती।

आजकल हर राजनीतिक दल के लिए ये एनआरआई बिजसनेसमैन महत्वपूर्ण हो गए हैं। इनकी वजह से राज्य की अर्थव्यवस्था में क्या बदलाव आया, यह किसी को नहीं मालूम, लेकिन इन्हें लुभाने के नाम पर राज्य काफी पैसा खर्च कर रहा है, ताकि अपने-अपने क्षेत्रों में वोटर को प्रभावित किया जा सके। निवेश का अवसर सबके लिए होता है तो इसे तटस्थ तरीके से ही किया जाना चाहिए। वर्ना देश में एक मुख्यमंत्री की वाहवाही तो हो जाएगी, मगर अन्य राज्यों में विकास का असंतुलन जारी ही रहेगा। इस लिहाज़ से कोई बिहार या यूपी में निवेश करने ही नहीं आएगा। वैसे इसका राजनीतिक मतलब यह भी है कि इन समुदायों की कामयाबी अतीत से लेकर आज तक ऐसे ही नेटवर्क के आधार पर खड़ी हुई है। जिसे कई बार हम सिर्फ पेशेवर कामयाबी मान लेते हैं। अगर ऐसा है कि इनकी कामयाबी गुजराती, मराठी या राजस्थानी नेटवर्क के कारण हो रही है, तब तो बिजनेस का यह क्षेत्रवाद इलाकाई असंतुलन को और बढ़ाता ही जाएगा। उनकी निष्ठा इंडिया के नाम पर अपने राज्य भर तक ही सीमित रह जाएगी।

संवैधानिक पदों पर बैठे मुख्यमंत्रियों को समुदाय के आधार पर इस तरह का बिजनेसवाद नहीं फैलाना चाहिए। अतीत में इस आधार पर कई बार हिंसक असंतोष उभर चुका है। इस तरह की प्रतियोगिता ऐसे असंतोषों को और उभारेगी। इस लिहाज़ से तो कोई बिहार, यूपी और उड़ीसा में निवेश ही नहीं करेगा। बिजनेस जगत के कप्तानों को सिर्फ समान और बेहतर अवसर का सम्मान करना चाहिए, न कि जाति और इलाके के आधार पर। उन्हें इस तरह की बैठकों का बहिष्कार करना चाहिए।

एनआरआई के नाम पर विदेशों और अन्य राज्यों में बन रहा यह नेटवर्क बिजनेस संस्कृति के खिलाफ है। इन आयोजनों से यह भी लगता है कि किसी मुख्यमंत्री के पास किसी को बुलाने से ज़्यादा का आइडिया नहीं है। सबकी दावेदारी यही है कि हमने ये नियम बना दिए हैं, हमारे यहां ये है और वो है। किसी को कहीं से बुलाकर बिजनेस नहीं फैलता है। बिजनेस फैलता है समय और बाज़ार की ज़रूरत के आधार पर। नेताओं को लगता है कि एक काउंटर खोलकर माहौल-माहौल करने से उनकी छवि बिजनेस बंधु की हो जाती है। शायद बन भी जाती है।

इसलिए मौजूदा दौर की राजनीति धंधे को उसूल और देश मानने वाले इन ग्लोबल नागरिकों को याद दिलाने में लगी है कि उनका एक लोकल अतीत भी है। वह लोकल अतीत है उनका उस राज्य से संबंध, जहां से वे निकलकर दूसरे राज्य या देश में अपना बिजनेस साम्राज्य खड़ा करते हैं। अगर निकट अतीत में उनकी पैदाइश उस राज्य में न भी हुई हो तो भी उनकी भाषा-संस्कृति के मूल के नाम पर उस राज्य का नागरिक घोषित कर दिया जाता है। यह बिजनेस जगत का नया जातिवाद है, जिसे क्षेत्रवाद के नाम पर उभारा जा रहा है। ज़्यादा आशंकित होने की ज़रूरत नहीं है, मगर सतर्क रहने में कोई बुराई नहीं है।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
बिजनेस जगत, बिजनेस में क्षेत्रवाद, आंध्र प्रदेश, एन लोकेश नायडू, के चंद्रशेखर राव, केटी रामाराव, Business World, Region-based Business, Andhra Pradesh, N Chandrababu Naidu, रवीश कुमार, Ravish Kumar
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com