'जनतंत्र में अगर कोई पार्टी या व्यक्ति यह समझे कि वही जब तक शासन में रहेगा तब तक संसार में उजाला रहेगा, वह गया तो सारे संसार में अंधेरा हो जाएगा, इस ढंग की मनोवृत्ति रखने वाला, चाहे कोई व्यक्ति हो या पार्टी, वह देश को रसातल में पहुंचाएगा.'
भूपेंद्र नारायण मंडल ने यह बात 60 के दशक में राज्य सभा में कही थी. बीजेपी के अमित शाह कहते हैं कि उनकी पार्टी 50 साल राज करेगी. कर सकती है. जहां 10 साल से ज़्यादा कर चुकी है, वहीं जाकर देख लें कि क्या तीर मार लिया है. मगर भूपेंद्र नारायण मंडल ने यह बात तब की कांग्रेस को सुनाई थी. बिहार में बी पी मंडल हुए, जिन्हें लोग मंडल आयोग के कारण जानते ही हैं, मगर इस भूपेंद्र नारायण मंडल को आज की पीढ़ी कम जानती होगी.
यूं ही अनमने ढंग से किताब उठा ली और पन्ने पलटने लगा मगर भूपेंद्र बाबू के भाषणों को पढ़ते-पढ़ते उनके प्रति गहरे आदर भाव से भर गया. ऐसा लग रहा था कि मैं एक हीरा खोज रहा हूं. पहली बार और कुछ नया जानने का सुख ही सर्वोत्तम सुख है. मैं बस इस सांसद के बारे में पढ़ने लगा. जो लोग राजनीति में दो तीन चिरकुट राष्ट्रीय नेताओं का नाम जप कर अपना जीवन बर्बाद कर रहे हैं, उन्हें अतीत के बेजोड़ सांसदों के बारे में खोज कर पढ़ना चाहिए.
भूपेंद्र नारायण मंडल समाजवादी नेता थे. कांग्रेस विरोधी थे. ललित नारायण मिश्र को दो-दो बार हराया मगर उस वक्त चुनाव आयोग के इशारे से इनकी जीत रद्द कर दी गई थी. फिर भी यह आदमी अपनी हार को लेकर घृणा से नहीं भरा था. ग़ज़ब की दृष्टि वाले सांसद रहे हैं. इनके भाषणों में जनता कभी ग़ायब नहीं होती है. अंतर्राष्ट्रीय मामलों पर बोलते हुए वे देश का प्रतिनिधित्व करने लगते हैं तो बिहार पर बोलते हुए राज्य का. किसी भी मुद्दे पर बोल रहे हों, जनता को हमेशा ध्यान में रखते हैं जिसे वे ग्रास रूट कहते हैं. कांग्रेस की सही बातों का समर्थन भी करते हैं.
दिल्ली से विधानसभा उठाई जा रही थी, तब भूपेंद्र बाबू ने काफी विरोध किया था और कहा था कि दिल्ली के लोग भी इस देश से कम प्यार नहीं करते हैं, उन्हें विधानसभा से वंचित करना, उनके साथ अन्याय होगा. यह सब इसलिए किया जा रहा है ताकि दिल्ली को झुग्गियों से मुक्त करने के नाम पर ग़रीबों को हटाया जा सके. 25 जुलाई 1968 के अपने भाषण में कहा कि 'पब्लिक प्रिमिसेज के दायरे को बढ़ाने का मैं विरोध करता हूं क्योंकि इसके ज़रिए जो यहां के छोटे लोग हैं, जो दूर देहात से यहां आते हैं और यहां पर आकर अपनी कमाई का जो इंतज़ाम वह करते हैं, उसके लिए उन्हें दिल्ली में रहना पड़ता है. वे झुग्गी-झोपड़ी बनाकर रहते हैं, उन लोगों को उजाड़ने के लिए इसमें पावर देने का इंतज़ाम है, इसलिए मैं इसका विरोध करता हूं. '
भूपेंद्र नारायाण मंडल निश्चित रूप से बिहार के श्रेष्ठ सांसदों में से एक रहे होंगे. हर विषय पर इनका भाषण प्रभावित करने वाला है. भाषा स्पष्ट और जानकारी से भरी हुई लेकिन संक्षिप्त. खांटीपना कभी नहीं छोड़ते हैं और इस बात से बिल्कुल प्रभावित नहीं कि उनके सामने नेहरू हैं या हमेशा-हमेशा के लिए राज का सपना देखने वाली कांग्रेस हैं. बजट पर इनके सारे भाषण स्तरीय हैं. आप इनके बजट भाषणों के ज़रिए उस समय के हिन्दुस्तान खासकर बिहार की तस्वीर देख सकते हैं. बेहतरीन हैं.
16 अगस्त 1966 के भाषण का एक अंश है- अनुसूचित जाति और जनजाति की दशा को देखने के लिए जो कमिश्नर साहब बहाल हुए हैं और उनकी जो रिपोर्ट अभी हाउस के सामने है, उसमें कुछ चीज़ों को देख कर मुझे बहुत दुख हुआ है. मद्रास राज्य में अनुसूचित जनजाति के छात्रों का नाम लिखने में 52.28 प्रतिशत की कमी हुई है. असम में अनुसूचित जाति के छात्रों के भर्ती में जो कमी हुई है वह 29.20 प्रतिशत है, बिहार में 15.99 प्रतिशत है, मध्य प्रदेश में 44.94 प्रतिशत है, मैंसूर में 72.38 प्रतिशत है, गुजरात में 95.13 प्रतिशत है.
'बिहार में जो राष्ट्रपति शासन चल रहा है, उसमें जो दलित हैं, उनकी क्या दशा है, उसका एक नमूना मैं आपके सामने रखना चाहता हूं. मुंगेर ज़िले में अलोरी एक अंचल है, उस अंचल में एक गांव है जिसका नाम श्यामधरानी गांव हैं. उसमें बहुतयात दलित रहते हैं, उसी के नज़दीक एक ज़मींदारों का गांव हैं. इन ज़मींदारों ने चढ़ाई कर दी उस गांव के ऊपर. चढ़ाई करने के सिलसिले में समूचे गांव में आग भी लगा दी, जिससे कि दलितों को भागना पड़ा. एक आदमी को गोली मार दी गई. 4 आदमी अस्पताल में हैं. सबसे आश्चर्य की बात है कि जो सरकारी तंत्र थाना है, जो दलित जाता है फर्स्ट इंफोरमेशन रिपोर्ट देने के लिए, वह दर्ज नहीं किया जाता है. मुजरिमों को अरेस्ट नहीं किया जाता है और उन्हीं दलितों को गिरफ्तार किया भी किया गया है.' 21.12.1969 ( राज्यसभा)
आज भी ऊना से लेकर ग्वालियर तक में यही हाल है. राजस्थान में बीजेपी की दलित विधायक का घर जला दिया मगर पार्टी ही चुप रह गई. कायदे से पार्टी के नेता जो घर-घर जाकर दलितों के यहां खाना खाने की नौटंकी कर रहे हैं, सबको मिलकर अपनी विधायक का घर बना देना चाहिए था. पर आप भूपेंद्र नारायण मंडल के भाषणों के ज़रिए उस वक्त का हिंदुस्तान, राजनीति और उसके सांसद को देख सकते हैं.
मैं एक जननेता को उसके दिए गए भाषणों के ज़रिए जान रहा हूं. 1957 में विधायक थे, 1962 में लोकसभा के लिए चुने गए और फिर राज्य सभा में भी रहे. इन भाषणों के ज़रिए जिस नेता को जाना है, वो बहुत पसंद आया. उसकी जानकारी का दायरा प्रभावित कर रहा है. यह नेता अपनी जनता को बहुत प्यार करता है. उसके प्रति हमेशा ईमानदार रहता है. दलितों, पिछड़ों और अगड़ों में ग़रीबों के प्रति हमेशा वफादार रहता है. घोर तार्किक है. ज़िम्मेदार सांसद है.
मुझे खुशी है कि मैंने भूपेंद्र नारायण मंडल को जाना. उससे भी ज़्यादा खुशी है कि मैं आपको उनके बारे में बता रहा हूं. इनके नाम पर एक यूनिवर्सिटी है. उसकी ख़स्ता हालत पर प्राइम टाइम में रिपोर्ट कर रहा था, दिमाग़ में बी पी मंडल ही छाए रहते हैं. सो बी पी मंडल बोल दिया. तुरंत कई फोन आ गए कि बी एन मंडल हैं. मैं उसके पहले बी एन मंडल के बारे में कुछ नहीं जानता था. आज जानकर अच्छा लग रहा है. गर्व हो रहा है कि मेरे प्रदेश से इस स्तर का कद्दावर और शानदार नेता कभी हुआ था.
शरदेंदु कुमार ने उनके भाषणों का संकलन किया है. दीपक प्रसाद यादव ने ये किताब भेजी है. मैं उन्हें नहीं जानता मगर उनका दिल से शुक्रिया. भारत की राजनीति के एक महत्वपूर्ण अध्याय के करीब ले जाने के लिए. किताब पर एक नंबर है 09431077723, कोई युवा नेता इनके बारे में जानना चाहे तो संपर्क कर सकता है. यह किताब राजनीति में दिलचस्पी रखने वालों के लिए हैं. अगर उन्हें आज के नेताओं की लंपटई से अलग होकर कुछ पढ़ने लिखने का मन करे तो पढ़ सकते हैं.
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