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This Article is From Dec 27, 2019

रवीश कुमार का BLOG: संबित पात्रा ने पीएम मोदी को साबित किया झूठा, कांग्रेस को भी...

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    दिसंबर 27, 2019 20:19 pm IST
    • Published On दिसंबर 27, 2019 20:19 pm IST
    • Last Updated On दिसंबर 27, 2019 20:19 pm IST

रामलीला मैदान में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं बना है. जल्द ही यह झूठ साबित हुआ. मीडिया ने दिखाया कि मोदी सरकार ने आठ मौकों पर डिटेंशन सेंटर होने की बात कही है. तब बीजेपी ने मीडिया का स्वागत नहीं किया और स्वीकार नहीं किया कि प्रधानमंत्री ने झूठ बोला है. तभी बीजेपी को ऐसे दस्तावेज़ मिले हैं, जिनसे साबित होता है कि कांग्रेस शासन के दौर में तीन डिटेंशन बने हैं. संबित पात्रा का बयान 'टाइम्स ऑफ इंडिया' में छपा है.

असम में बीजेपी की सरकार है. ज़ाहिर है बीजेपी को पता होगा कि असम में जो छह डिटेंशन सेंटर हैं. अगर तीन कांग्रेस की सरकार में बने हैं तो बाकी तीन कब बने हैं? बीजेपी की सरकार में? अच्छा है बीजेपी कांग्रेस के झूठ को पकड़ रही है लेकिन झूठ प्रधानमंत्री का भी उजागर हो रहा है.

भारत के प्रधानमंत्री को पता था कि देश में डिटेंशन सेंटर है फिर भी वो झूठ बोल गए कि एक भी डिटेंशन सेंटर नहीं बना है. कांग्रेस को भी पता था कि उसके शासन काल में तीन डिटेंशन सेंटर बने हैं और वो भी झूठ बोल गई. इसीलिए कहता हूं नागरिक की तरह सोचिए. कांग्रेस या बीजेपी की तरह नहीं.

जिस तरह आधार कांग्रेस का बोया कांटा है जिसकी खेती बीजेपी ने जमकर की, उसे स्वैच्छिक से अनिवार्य बनाने के तरह तरह के रास्ते खोले उसी तरह से NPR जनसंख्या रजिस्टर वाजपेयी सरकार की देन है. जिसे कांग्रेस ने प्रयोग के मॉडल पर लॉन्च किया, लेकिन कांग्रेस की सरकार आधार कार्ड की दिशा में आगे बढ़ गई, NPR पीछे छूट गया. कांग्रेस के अजय माकन कहते हैं कि NPR के बाद NRC न किया और न करने का वादा घोषणापत्र में किया.

कायदे से मौजूदा सरकार के प्रवक्ता को साफ़ करना चाहिए कि कई दस्तावेज़ों में लिखा है कि जनसंख्या रजिस्टर नागरिकता रजिस्टर की पहली सीढ़ी है. तो क्या बीजेपी साफ करेगी कि वह जनसंख्या रजिस्टर के बाद नागरिकता रजिस्टर नहीं बनाएगी. इसके जवाब में वह कहती है कि कोई चर्चा नहीं हुई. वह यह बात नागरिकता रजिस्टर को लेकर हो रही चर्चाओं में ही कहे जा रही है. तो कह दे कि नागरिकता रजिस्टर नहीं बनेगा.

जबकि इस बार के राष्ट्रपति अभिभाषण में राष्ट्रपति ने सरकार का फ़ैसला पढ़ते हुए कहा कि नागरिकता रजिस्टर उसकी प्राथमिकता है. अमित शाह ने संसद में कहा कि NRC लाने जा रहे हैं. इसका खंडन प्रधानमंत्री इतने से कह रहे हैं कि सरकार में चर्चा ही नहीं हुई. क्या आप इससे संतुष्ट हैं? क्या राष्ट्रपति के अभिभाषण में NRC की बात बग़ैर चर्चा के डाली गई? याद रखें बीजेपी के घोषणापत्र में NRC की बात है. तो बीजेपी के प्रवक्ता बताएं कि पार्टी के स्तर पर क्या चर्चा हुई जिसके बाद घोषणापत्र का हिस्सा बना. आज बहस हो रही है तो इसे लेकर जागरूकता है, वरना जब बीजेपी ने घोषणापत्र में NRC को डाला तब क्या मीडिया या विपक्षी दलों ने मुद्दा बनाया? इसका जवाब ना ही है. अब इसका मतलब नहीं है. नागरिकता संशोधन क़ानून के बाद पूर्वोत्तर में जो विरोध हुआ और उसके बाद बाक़ी भारत में तब इसके बाद सभी का ध्यान गया है. अब जब ध्यान गया है तो लोगों की नज़र इसके तमाम पहलुओं पर पड़ रही है. पहले आप बात नहीं करते थे. अब आप बात करते हैं. तो सवाल उठेंगे.
 

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