अरविंद केजरीवाल का इन दिनों लगातार मज़ाक उड़ाया जा रहा है. उनके माफ़ीनामों पर तरह-तरह के चुटकुले चल रहे हैं. लोग कह रहे हैं- वीर सावरकर का रिकॉर्ड वीर केजरीवाल तोड़ देंगे. सावरकर ने एकाधिक बार अंग्रेज़ों से माफ़ी मांगी थी- केजरीवाल उनसे आगे निकल जाएंगे. माफ़ीनामे के सवाल पर उनकी पार्टी टूटते-टूटते बची.
लेकिन ये कौन लोग हैं जो केजरीवाल के माफ़ीनामे का मज़ाक उड़ा रहे हैं? लगभग वही, जो कल तक उनके आरोपों पर मोहित थे. एक दौर में अलग-अलग नेताओं और उद्योगपतियों पर आरोपों की झड़ी लगाकर केजरीवाल ने वह नायकत्व हासिल किया जिसकी वजह से जनता ने उनकी राजनीतिक अनुभवहीनता के बावजूद उन्हें दिल्ली की गद्दी सौंप दी. कहने की ज़रूरत नहीं कि वह नायकत्व अपने साहस की वजह से जितना भी अभिनंदनीय हो, अंततः नौसिखिया बहादुरी की मिसाल होकर रह गया. केजरीवाल किसी शोले की तरह पैदा हुए- अब राख-राख हो बिखर रहे हैं.
लेकिन इस मोड़ पर क्या वे वाकई उपहासास्पद हैं? क्या केजरीवाल ने अदालती सज़ा के डर से इन मुक़दमों में माफ़ी मांगी है? अदालतों की प्रक्रिया जैसे चलती है, उसमें यह बहुत आसान था कि केजरीवाल कई साल ऐसे मुकदमे खींच लेते- कम से कम अगले दिल्ली चुनावों तक तो वे लड़ते ही रह सकते थे. लेकिन उन्होंने बेहतर समझा कि वे मुक़दमों के इस मकड़जाल से बाहर आ जाएं और वह काम करें जिसके लिए जनता ने उन्हें चुना है. यह अलग बात है कि जो वे कर रहे हैं, उस पर भी बहुत सारे विवाद हो रहे हैं.
बहरहाल, केजरीवाल के इस माफ़ीनामे पर गंभीरता से सोचें तो लगेगा कि टकराव और लोकतांत्रिक समावेश के बीच केजरीवाल ने टकराव का रास्ता टाला और अंततः लोकतंत्र का सम्मान किया. इस लिहाज से इसे भारतीय लोकतंत्र की ख़ासियत भी कह सकते हैं कि वह सारी व्यक्तिपूजा को एक दिन धत्ता बता देता है. वह नेताओं को उनकी औकात बता देता है. वह दुर्गा कहलाने वाली इंदिरा गांधी को ज़मींदोज़ कर देता है, वह दूसरी आज़ादी लाने वाले जनता पार्टी के नेताओं को तार-तार कर देता है, वह राजीव गांधी को 400 सीटें देता है और फिर छीन लेता है, वह वीपी सिंह को मध्यवर्ग का नायक बनाता है, मंडल का मसीहा बनाता है, लेकिन एक दिन उन्हें भी हटने पर मजबूर कर देता है. इस लिहाज से केजरीवाल हों या मोदी- उन्हें भारतीय लोकतंत्र से सावधान रहना चाहिेए. यह व्यक्तियों के जादू में आता है लेकिन उसके बाहर भी आने में बहुत समय नहीं लगाता.
केजरीवल भी इस व्यक्तिपूजा की मिसाल बन गए थे. उनका जादू एक दौर में ऐसा चला कि पूरी दिल्ली उनकी हो गई. वे दिल्ली के पाइड पाइपर हो गए थे. लेकिन हैमलिन के पाइड पाइपर से शहर के लोगों ने धोखा किया था- दिल्ली का बांसुरीवाला अपने लोगों को भ्रमित करता लग रहा था. इस माफ़ी ने उसका जादू तोड़कर उसे बिल्कुल लोकतांत्रिक शर्तों पर बने रहने की चुनौती दी है.
इस चुनौती में कम से कम दो सबक हैं. पहला सबक तो यही है कि केजरीवाल बड़बोले आरोपों से बचें. अगर उन्होंने हर किसी के प्रति यह बड़बोलापन नहीं दिखाया होता तो हो सकता है कि एकाध सही आरोपों की लड़ाई वे लड़ते रह जाते. दूसरा सबक यह है कि केजरीवाल के प्रति दूसरों ने जो उदारता दिखाई- निस्संदेह राजनीतिक उदारता- वह वे अपने व्यक्तित्व में भी अर्जित करें और इसको अपने राजनीतिक व्यवहार में उतारें.
दूसरी बात यह कि केजरीवाल इस माफ़ी-प्रकरण के साथ हाड़-मांस का वह पुतला हो गए हैं जो गलती कर सकता है और माफ़ी मांग सकता है. अब इस पुतले को फिर से साबित करना होगा कि वह सिर्फ़ अपनी बयान-बहादुरी की वजह से नहीं, बहुत सारी दूसरी ख़ासियतों की वजह से भी नेता बन सकता है. निस्संदेह ऐसी खासियतें उनमें होंगी- वरना इतनी बड़ी कामयाबी वे यूं ही हासिल नहीं कर पाते- लेकिन अब इनके सही इस्तेमाल की घड़ी है.
इस पूरे मामले में एक बात और है. केजरीवाल को यह भी बताना होगा कि यह माफ़ीनामा उनके लिए बस एक तकनीकी गली नहीं है जिससे वे अपने विरोधियों से बच निकले हैं. कहीं इसमें वह विनम्रता भी है जो अन्यथा उनके सार्वजनिक जीवन में नमस्कार-प्रणाम के अभिवादनों से आगे नहीं दिखाई पड़ती. इस लिहाज से देखें तो केजरीवाल को अभी और भी माफ़ियां मांगनी हैं- सिर्फ़ उन्हीं लोगों से नहीं, जिन्होंने उन पर मुक़दमे किए, उनसे भी जिन्होंने ऐसे मुकदमे न कर बड़प्पन का परिचय दिया. राजनीति में आने से पहले अपने सामाजिक आंदोलनों के दौरान भी केजरीवाल लोगों से टकराते रहे, जिनके साथ कभी कंधा मिलाकर काम किया, उनसे इतनी दूरी बना ली जैसे उन्हें जानते तक न हों. ऐसे लोगों से भी केजरीवाल को अपने रिश्ते सुधारने की पहल करनी होगी- इससे उनका व्यक्तित्व भी बड़ा होगा और उनकी राजनीति भी. और उनके ऐसे माफ़ीनामों का कोई मज़ाक भी नहीं उड़ा पाएगा.
प्रियदर्शन NDTV इंडिया में सीनियर एडिटर हैं...
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This Article is From Apr 02, 2018
केजरीवाल की माफ़ी का मज़ाक न बनाएं
Priyadarshan
- ब्लॉग,
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Updated:अप्रैल 03, 2018 17:06 pm IST
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Published On अप्रैल 02, 2018 15:26 pm IST
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Last Updated On अप्रैल 03, 2018 17:06 pm IST
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