प्राइम टाइम : अवैध होर्डिंग-पोस्टरों पर कार्रवाई कब होगी?

कोयंबटूर में 30 साल के रघु की बाइक तोरण द्वार से या तोरण द्वार के लिए बने गड्ढे में पड़कर लड़खड़ा गई, रघु गिर गया और एक ट्रक के नीचे आ गया, मर गया. ट्रक ड्राईवर तो गिरफ्तार हो गया लेकिन होर्डिंग लगाने वाले की गिरफ्तारी नहीं हुई है.

प्राइम टाइम : अवैध होर्डिंग-पोस्टरों पर कार्रवाई कब होगी?

हमारी सारी बहसें अंत में व्यवस्था की उस मेज़ पर आकर ख़त्म होती है जहां किसी आम आदमी को उसका हक मिलना है. यह हक सूचना के अधिकार से लेकर जीने के अधिकार तक और कानून के पालन तक का होता है. हम अक्सर व्यवस्थाओं को बहुत रियायत दे देते हैं. जब उनकी लापरवाही से किसी की जान चली जाती है तो समझ नहीं पाते कि इसके लिए ज़िम्मेदार कौन है. आप अपने शहरों में देखते ही होंगे, कोई त्योहार आया नहीं कि नेताओं की तस्वीरें बिजली से लेकर ट्रैफिक लाइट के खंभे पर टंग जाती है. हर दल के लोग यही करते हैं. बिना मतलब एक ही पोस्टर में चार-चार त्योहारों की बधाई और उसमें तीस-चालीस चेहरे ठूंस कर आपको घूर रहे होते हैं. इनकी वजह से किनती दुर्घटनाएं होते होते बचती होंगी या फिर आस पास का नज़ारा भद्दा लगने लगता होगा, यह आप समझ सकते हैं. कई बार ये जानलेवा भी हो जाते हैं. 

हमारे सहयोगी सैम डैनियल ने बताया है कि कोयंबटूर के अविनाशी सड़क के बीचे बीच तोरण द्वार बन रहा था, इसके ऊपर जो मज़दूर चढ़े हैं वे भी हेलमेट नहीं पहने हैं. ये गिर गए तो इनका क्या होगा आप समझ सकते हैं. इस तोरण द्वार के लिए सड़क में गड्ढे खोद डाले गए. ये नज़ारा आप गाज़ियाबाद से लेकर पुणे हर जगह देखते होंगे. हम समझते हैं कि राजनीतिक दल देश के मालिक हैं, जहां चाहें, वहां अपने नेता का फोटो लगा सकते हैं. हमारी हालत ये हो गई है कि एक दिन ये घरों में भी होर्डिंग लगाकर चले जाएंगे और हम कुछ नहीं बोल पाएंगे. बहरहाल, 30 साल के रघु की बाइक इस तोरण द्वार से या तोरण द्वार के लिए बने गड्ढे में पड़कर लड़खड़ा गई, रघु गिर गया और एक ट्रक के नीचे आ गया, मर गया. 

अमेरिका से यह नौजवान अपने होनी वाली दुल्हन से मिलने आया था. दो-दो परिवार तबाह हो गए, इस होर्डिंग के कारण. यह होर्डिंग सत्ताधारी एआईडीएमके का था, जो एमजीआर के जन्मशती समारोह के लिए बनाया जा रहा था. ट्रक ड्राईवर तो गिरफ्तार हो गया लेकिन होर्डिंग लगाने वाले की गिरफ्तारी नहीं हुई है. पुलिस कहती है कि रघुपति ने हेलमेट नहीं पहना था. पर क्या वहां होर्डिंग नियमों के अनुसार लगा था. क्या किसी भी शहर में होर्डिंग नियमों के अनुसार लगते हैं. सोशल मीडिया पर लोग इस घटना को लेकर अपना रोष ज़ाहिर कर रहे हैं. रघु को किसने मारा, हैशटैग चल रहा है.  
नेशनल हाईवे के बीचो-बीच विशाल तोरणद्वार बन रहा था. लोगों ने पेंट से लिख दिया है, रघु को किसने मारा. 'द कोवई पोस्ट' ने इस घटना को विस्तार से कवर किया है. डीएमके के एक नेता ने हाईकोर्ट में सारे होर्डिंग को हटाने के लिए याचिका दाखिल कर दी और परिवार के लिए मुआवजे की भी मांग की. शनिवार को कोयंबटुर के कमिश्नर ने उन सारे होर्डिंग को जिनके लिए अनुमति नहीं ली गई था हटाने के लिए आदेश दिया.

चेन्नई में 30 अक्तूबर को ऐसी ही एक घटना में एसयूवी कार पर एक्टर विजय का कटआउट गिर गया. कटआउट 28 फीट ऊंचा था. इस दुर्घटना में 38 साल का नौजवान गंभीर रूप से घायल हो गया. रघुपति की मौत को लेकर कोयंबूटर में काफी गुस्सा है. हिन्दू अखबार की ख़बर है कि इसी साल 25 अक्तूबर को ही मद्रास हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि पूरे राज्य में कटआउट. होर्डिंग, फ्लैक्स नहीं लगेंगे. हाईकोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव से कहा था कि इस आदेश को लागू कराएं. मगर 'द कोवई पोस्ट' ने बताया है कि कोयंबटूर में ही कितने होर्डिंग अवैध रूप से बना दिए गए हैं. 16 मई 2002 का एक सड़क परिवहन और हाईवे ने सर्कुलर जारी किया था, जिसके साफ साफ कहा गया था कि हाईवे पर किसी भी प्रकार के विज्ञापन के होर्डिंग की अनुमति नहीं है, सिवाय जनहित से संबंधित सूचनाओं के. किसी भी शहर में देखिए, जिसे जहां मन करता है, वहां होर्डिंग लगा देता है. कई बार तो रेडलाइट ही नज़र नहीं आती. उसके ऊपर युवा नेता अपना पोस्टर टांग देता है. उस पोस्टर में दस बीस और नेताओं के फोटो होते हैं. कई बार इस तरह से टंगे रहते हैं कि जरा सी आंधी चलती है, ये होर्डिंग गिरने लगते हैं.

पिछले साल नोएडा के डीएलएफ मॉल के पास ऐसी ही घटना हुई थी. आंधी आई और 20 फीट लंबा और 12 फीट चौड़ा होर्डिंग गिर गया. उसके नीचे से गुज़र रहे बाइक सवार पुष्पेंद्र को चोट आई और उनके पीछे बैठे मुन्ना कुमार की मौत हो गई. 6 मई 2016 को गाज़ियाबाद के हिंडन ब्रिज के पास एक बड़ा सा होर्डिंग गिर गया. पांच लोग घायल हो गए, दो ऑटो और एक कार क्षितग्रस्त हो गई. इत्तफाक से हमारे सहयोगी सुशील महापात्रा कई दिनों से दिल्ली में होर्डिंग पर ही रिपोर्ट तैयार कर रहे थे. सुशील ने इसे नियमों की अवहेलना और गंदगी की नज़र से देखा है मगर इसका एक पक्ष काफी ख़तरनाक है. 


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