यह ख़बर 03 दिसंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

शारदा केस से जुड़े धमाके के तार?

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की फाइल तस्वीर

नमस्कार मैं रवीश कुमार। सुप्रीम कोर्ट ने अपने इतिहास में पहली बार एक ऐसा बेंच बनाया है जहां सामाजिक अधिकार से जुड़े मसलों की अलग सुनवाई होगी। हर हफ्ते शुक्रवार के दिन सोशल जस्टिस बेंच सामाजिक अधिकार से जुड़े मुद्दों पर सुनवाई करेगी। सुप्रीम कोर्ट को बधाई। अब आते हैं राजनीति की अदालत में। जहां जज कौन है और आरोपी कौन पता ही नहीं चलता। बीच में टीवी का एंकर वकील बना फिर रहा है। कभी इसका मुकदमा लड़ता है कभी उसका।

रविवार को कोलकाता में हुई एक रैली में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने ममता बनर्जी पर कई आरोप लगाए। मैं उनके भाषण के उस हिस्से को लिखकर लाया हूं जिसका संदर्भ आज के विवाद से है। ये अमित शाह के बयान का हिस्सा है। कुछ वाक्य नहीं हैं, लेकिन शब्दश: है, अमित शाह कहते हैं कि ममता दी ने बर्धमान के अंदर जो बम ब्लास्ट हुए उसके आरोपियों को बचाना शुरू किया। मैं आप लोगों को कहना चाहता हूं कि जो 2 अक्तूबर को बम ब्लास्ट में जो व्यक्ति मारा गया वो शकील अहमद पहले भी बम ब्लास्ट में फंसे हुए थे। बंगाल पुलिस ने उनको क्यों नहीं पकड़ा। जिनके घर के अंदर ये बम ब्लास्ट हुआ वो नुरूल हसन चौधरी कौन थे। एनआईए को जांच देने के विरोध में ममता दी ने स्टेटमेंट दिए थे। किसको बचाना चाहतीं है। बांग्लादेशी घुसपैठियों के आधार पर आप बांग्लादेश पर शासन नहीं कर सकती ममता दी। बांग्लादेशी घुसपैठी, घुसपैठी हैं आपको बांग्लादेश का मुख्यमंत्री नहीं बनाया। अगर आप बांग्लादेश के घुसपैठियों के आधार पर ही तृणमूल को बचाना चाहती हैं तो मुझे कहने में कोई संकोच नहीं है ममता दी कि आपकी उल्टी गिनती शुरू हो गई है। बर्धमान के अंदर आरडीएक्स पकड़ा जाता है। एनआईए को काम करने नहीं दिया जा रहा है। कितने सारे टीएमसी के नेता इस ब्लास्ट के साथ जुड़े हुए हैं मित्रों। और बर्धमान के पीछे जो लोग लगे हैं, उनको पैसे किसने दिए उसकी जांच शुरू हुई तो आप लोगों को सुनकर आश्चर्य होगा कि उसके पीछे भी ये शारदा स्कैम के पैसे इस बम ब्लास्ट के पीछे उपयोग हुए हैं। और ये दोनों जांच एक मोड़ पर जाकर क्लब हो रही हैं। सीबीआई इस मामले की भी जांच कर रही है।

इस बयान के अनुसार अमित शाह ने दो एजेंसियों की जांच के आधार पर ये आरोप लगाए हैं। अब ये सवाल सरकार से तृणमूल कांग्रेस के सांसदों को पूछना चाहिए था, लेकिन पूछ दिया बीजेपी के ही दो सांसदों ने। बिहार के गया से सांसद हरि मांझी और कर्नाटक के धारवाड़ से सांसद प्रहलाद जोशी। इन्हीं के सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने लिखित जवाब दिया है।

सवाल था− शारदा चिट फंड घोटाले की जो जांच हुई है उसमें क्या सीबीआई को कुछ ऐसा मिला है जिससे ये लगे कि इसका पैसा बांग्लादेश में आतंकी गतिविधियों के लिए दिया गया है।

जीतेंद्र सिंह− जांच से अभी तक ऐसे किसी लेन−देन का पता नहीं चला है कि आतंकवादी कार्यवाहियों की मदद के लिए बांग्लादेश पैसे भेजे गए थे।

जो बात सरकार अपनी पार्टी के सांसद से कहती है क्या वो बात वो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से नहीं कहती होगी। यही कि जांच जारी है और अभी तक इसके प्रमाण नहीं मिले हैं कि आतंकी गतिविधियों में तृणमूल के नेताओं ने शारदा चिट फंड का पैसा लगाया है।

ज़ाहिर है तृणमूल कांग्रेस काफी गुस्से में है, उसके सांसद वैसे ही कभी काली छतरी तो कभी काले रंग की शाल तो कभी लाल डायरी लेकर संसद आ जाते हैं। वैसे तृणमूल कांग्रेस ने भी बिना जांच के कुछ न कुछ आरोप तो लगाए ही होंगे। जनता के बीच कुछ भी बोल दीजिए। सत्ता मिल जाएगी फिर बोले हुए का कोई हिसाब नहीं। जिसको सत्ता नहीं मिलेगी वो यू-टर्न पुस्तिका छपवाता फिरेगा। वैसे तृणमूल कांग्रेस अमित शाह से सिर्फ माफी की ही मांग कर रही है।  

फरवरी 2013 में साल जब सुशील शिंदे ने भगवा आतंक की बात कही थी तो पूरी बीजेपी आगबबूला हो गई थी। सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह से माफी मंगवाने की मांग करने लगी। गृहमंत्री के रूप में सुशील शिंदे को खेद जताना पड़ा था। 2010 में जब चिदंबरम ने हिन्दू आतंकवाद की बात की थी तो बीजेपी ने संसद नहीं चलने दी थी।

क्या कहीं कानून में लिखा है कि जांच पूरी होने से पहले आप आरोप लगा सकते हैं, मगर क्लीन चिट नहीं दे सकते हैं। जांच पूरी भी हो जाए तो क्लीन चिट जांच एजेंसी देगी या अदालत। फिर अमित शाह को क्या यह नहीं बताना चाहिए कि उन्हें किसने बताया कि पैसा आतंकवादी कार्यवाही में इस्तेमाल हुआ है।

कुल मिलाकर चिट−फंड में घोटाला की जांच से पहले ही क्लीन चिट में घोटाला हो गया है। एक राजनीतिक पार्टी पर आतंकी गतिविधियों में साथ देने का आरोप किसी आधार पर लगना चाहिए या ऐसे ही। क्या इन आरोपों के आधार पर समाज में किसी समुदाय के प्रति अवधारणा बनाई जा रही थी। 13 नवंबर को इंडियन एक्सप्रेस में एक ख़बर छपी थी कि खुफिया एजेंसियों ने गृहमंत्रालय को रिपोर्ट दी है कि देश में ज्यादातर मदरसे किसी जिहादी गतिविधियों में शामिल नहीं हैं।
एक साल तक गुपचुप तरीके से मदरसों का सर्वे हुआ है और कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला है। बंगाल, बिहार, यूपी और केरल के मदरसे ही है जो रेगुलेटेड हैं। मान्यता प्राप्त हैं।

बर्धमान धमाके में यह बात सामने आई थी कि बांग्लादेश का एक व्यक्ति वहां मदरसा चला रहा था और लड़कियों को जिहादी ट्रेनिंग दे रहा था। खुफिया एजेंसियों के सूत्रों ने एक्सप्रेस की रिपोर्टर को बताया है कि अभी तक ऐसा कुछ नहीं मिला है। लेकिन, 31 अक्तूबर को इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट है जिसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय जांच एंजेंसी एनआईए को बांग्लादेश सीमा से लगे अवैध मदरसों में 58 आतंकी माडूल मिले हैं। खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के आधार पर 2011 में बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष राहुल सिन्हा ने कहा था कि सीमा से लगे ज्यादातर मदरसों में भारत विरोधी गतिविधियों चल रही हैं।

12 जून 2011 के हिन्दू अखबार में यह खबर छपी है। तब बीजेपी ने बंगाल में 10000 मदरसों को मान्यता देने के ममता बनर्जी के फैसलों का विरोध करते हुए कहा था कि ममता बनर्जी राष्ट्रीय एकता से खिलवाड़ कर रही हैं। ममता ने कहा था कि सिर्फ मान्यता दी गई है कोई आर्थिक मदद नहीं।

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह के बयान के बाद क्या अब भी अमित शाह अपना बचाव कर सकते हैं। प्राइम टाइम