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This Article is From Aug 23, 2019

प्राइम टाइम इंट्रो : उद्योग जगत को मिल गई इनकम टैक्स से मुक्ति!

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अगस्त 23, 2019 23:17 pm IST
    • Published On अगस्त 23, 2019 22:50 pm IST
    • Last Updated On अगस्त 23, 2019 23:17 pm IST

2014 के बाद शायद यह पहला बड़ा मौक़ा है जब उद्योगपतियों की सुगबुगाहट, खुली नाराज़गी और अर्थव्यवस्था के संकट के दबाव में वित्त मंत्री निमर्ला सीतारमण ने प्रेस कांफ्रेस में कई बड़े एलान किए. ये वो एलान थे जिनके बारे में सरकार के पीछे हटने की उम्मीद कम नज़र आ रही थी. 23 अगस्त की शाम निर्मला सीतारमण उन एलानों के शब्दों और वाक्यों पर ख़ास तरह से ज़ोर देती रहीं, कुछ शब्दों को दोहराती रहीं ताकि यह रजिस्टर हो जाए कि सरकार उद्योगपतियों की सुन रही है. आज की प्रेस कांफ्रेंस को भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमणियन झेंप गए होंगे, जिनका एक दिन पहले बयान छपा था कि उद्योगपतियों को 'पापा बचाओ' की मानसिकता से बचना होगा. निर्मला सीतारमण के बयान और एलान से पहले कृष्णमूर्ति सुब्रमणियन के बयान को जानना चाहिए तभी वित्त मंत्री के एलानों का सही संदर्भ पता चलेगा. दो दिन पहले कृष्णमूर्ति सुब्रमणियन क्या कह रहे थे. वो कह रहे थे कि पापा बचाओ मानसिकता को जाना होगा. मुख्य आर्थिक सलाहकार सुब्रमणियन ने कहा कि जब नवजात अवस्था में होते हैं यानि जन्म के समय सरकार की मदद की ज़रूरत होती है, लेकिन उसे नहीं जो अब बड़ा हो गया है. 

कंपनियों को हर समय नहीं रोते रहना चाहिए. उन्हें सीखना चाहिए कि कैसे अपने पैरों पर खड़े होना है. संकट के समय सरकार से मदद मांगने की मानसिकता ठीक नहीं है. 1991 से प्राइवेट सेक्टर है, 30 साल का बच्चा है, मर्द है वो. जिसे कहना चाहिए कि वह अपने पैरों पर खड़ा होगा. पापा के पास जाने की ज़रूरत नहीं है. पापा यानि सरकार के पास जाने की ज़रूरत नहीं के तेवर से किनारा करते हुए वित्त मंत्री ने अपनी बात की शुरुआत ही इस बात से कि सरकार संपत्ति निर्माताओं का सम्मान करती है. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के हाल के इंटरव्यू का ज़िक्र किया जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार वेल्थ क्रिएटर का सम्मान करती है. वित्त मंत्री 6 कैटगरी के 32 स्लाइड लेकर आईं थीं. पहले उन्होंने बताया कि ग्लोबल जीडीपी की रफ्तार धीमी है और इसके अभी घटने की आशंका जताई जा रही है. ग्लोबल डिमांड कम है. भारत की स्थिति विकसित और विकासशील देशों में अच्छी है. इसके बाद उन्होंने स्क्रूटनी के नाम पर आयकर विभाग द्वारा परेशान किए जाने की परेशानी को दूर करने के कई उपाय बताए. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार रिज़ोल्यूशन चाहती है न कि प्रोसिक्यूशन चाहती है. सरकार जब कहे कि हम सज़ा नहीं समाधान चाहते हैं तो आज के दिन उद्योग जगत के लिए बड़ी राहत का होगा. 

अब कोई अधिकारी कंपनी के दफ्तर नहीं जाएगा और वो नहीं करेगा जिससे लगे कि वह परेशान कर रहा है. यह सारा काम सेंट्रल कमांड से होगा. वित्त मंत्री ने कहा कि अगर कोई अधिकारी नोटिस भेजता है तो उस पर ध्यान देने की ज़रूरत नहीं है. उसी को मान्य माना जाएगा जो कंप्यूटर के सेंट्रल कमांड से नोटिस आएगा. जो भी नोटिस आएगा, जवाब देने के बाद तीन महीने के भीतर उसे सुलझाने की ज़िम्मेदारी आयकर विभाग की होगी. यही नहीं उन्होंने बताया कि कंपनी एक्ट के तहत कारपोरेट अपराध के 1400 केस वापस लिए जा चुके हैं. इसलिए हैरसमेंट यानि परेशान करने की न तो चिन्ता करनी है और न ही आरोप सही है. कॉरपोरेट सोशल रेस्पांसबिलिटी के तहत सीईओ पर मुकदमा नहीं चलाएगा. अगर उल्लंघन होगा तो उन्हें आपराधिक मामले की तरह नहीं देखा जाएगा. सरकार इस संदर्भ में कंपनी एक्ट की समीक्षा करेगी जिसमें उनके जेल भेजने का प्रावधान था.

वित्त मंत्री ने कहा कि उनका जोर जेल भेजने पर नहीं, जुर्माना वसूलने पर होगा. एक तरह से सरकार ने कॉरपोरेट के मन से डर का चादर हटा दिया. कॉरपोरेट ने आज सरकार से बहुत कुछ हासिल कर लिया. बैंकों के लिए 70,000 करोड़ का पैकेज दिया और हाउसिंग बैंक के लिए 30,000 करोड़ का प्रावधान किया गया है. एक पत्रकार ने पूछा कि घर खरीदने वाले उपभोक्ता परेशान हैं. घर बिक भी नहीं रहे हैं. मामलों को निपटाने के नए जो रेरा बना है वो पूरी तरह फ्लाप है इसके जवाब में वित्त मंत्री ने कहा कि उनका ध्यान इस समस्या पर है. दिल्ली एन सी आर में ही लाखों घर बिक नहीं रहे हैं. जिन्होंने खरीदें हैं, उन्हें मिल नहीं रहे हैं. पहले भी सरकार ने कई आश्वासन दिए मगर ज़मीन पर कोई बड़ा बदलाव नहीं आया. जो भी आया उसमें सुप्रीम कोर्ट की ही भूमिका रही. आज कॉरपोरेट और अमीरों के लिए दिवाली के पहले की दिवाली है. सुपर रिच टैक्स वापस ले लिया गया. घरेलू और विदेशी निवेशकों पर टैक्स सरचार्ज हटा लिया गया जिसे बजट में लागू किया गया था. इसके हटाने की मांग हो रही थी मगर सरकार टस से मस नहीं हो रही थी. लेकिन अधिक आय वालों पर सरचार्ज जारी रहेगा. 2022 के बाद इसकी समीक्षा होगी. 

हाल तक यानि 18 जुलाई को वित्त मंत्री का बयान छपा है कि विदेशी निवेश पर सरचार्ज नहीं हटेगा. 23 अगस्त को हटा दिया. बड़ी गाड़ियों की रजिस्ट्रेशन फीस काफी बढ़ा दी गई थी जिसे जून 2020 तक के लिए हटा लिया गया है. सरकारी दफ्तरों से कहा जाएगा कि डिमांड बढ़ाने के लिए पुरानी गाड़ियां हटा कर नई गाड़ियां खरीदें. अप्रैल 2020 से भारत स्टेज 6 ईंधन के हिसाब से गाड़ियां आनी थीं. इससे मार्केट में भ्रम फैला कि बीएस-4 गाड़ियों का भविष्य संकट में आ जाएगा तो वित्त मंत्री ने कहा कि उन गाड़ियों को बैन नहीं किया जाएगा. जब तक वे सड़कों पर रहेंगी, चलेंगी. उम्मीद है इस फैसले के कारण ऑटो सेक्टर में सुधार शुरू हो जाएगा. 30 दिन तक जीएसटी के सारे रिफंड दे दिए जाएंगे. भविष्य में 60 दिनों के भीतर जीएसटी रिफंड कर दिया जाएगा. वित्त मंत्री से पूछा गया कि कहा जा रहा था कि चिदंबरम की गिरफ्तारी आर्थिक संकट से ध्यान हटाने के लिए की जा रही थी तो उनका जवाब था कि उनकी सरकार के दौर के कारण भी संकट की नौबत है. 

वित्त मंत्री ने कई एलान किए. वे प्रेस कांफ्रेंस के बाद काफी देर तक बैठी रहीं और पत्रकारों के सवाल का जवाब देती रहीं. आज की शाम बच गई वरना नीति आयोग के उपाध्यक्ष का बयान अभूतपूर्व था. उन्होंने अपने बयान में आर्थिक संकट को अभूतपूर्व ही नहीं कहा बल्कि ये भी कहा कि 70 साल में कभी ऐसा नहीं रहा है. बाज़ार में कर्ज़ा के लिए पैसा नहीं है. उनके इस अभूतपूर्व बयान को आप सुन लें. राजीव कुमार का कहना है कि कोई भी किसी पर भरोसा नहीं कर रहा है. यह स्थिति सिर्फ सरकार और प्राइवेट सेक्टर के बीच नहीं है बल्कि प्राइवेट सेक्टर के बीच भी है. जहां कोई भी किसी को भी उधार नहीं देना चाहता है, लेकिन अपने ही बोले गए बयान पर उन्होंने कहा कि इसे तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है. घबराने और डरने की ज़रूरत नहीं है. क्या आज के एलान के बाद अर्थव्यवस्था पटरी पर आ जाएगी. सरकार ने पहले भी बैंकों को हज़ारों करोड़ रूपये दिए, लेकिन उसका लाभ नज़र नहीं आ रहा है. टेक्सटाइल सेक्टर में भी रिफार्म हुआ मगर उसका लाभ नज़र नहीं आया. अर्थव्यवस्था के संकट की खबरें अलग अलग संकट से आ रही हैं. 

5 रुपये के बिस्किट के बिकने पर आफ़त है. लेकिन भारत इतना भी ग़रीब नहीं हुआ है कि बच्चों को मिड डे मिल में रोटी नमक देने की नौबत आ जाए. यूपी के मिर्ज़ापुर में मिड डे स्कूल में बच्चों को रोटी और नून खाने को दिया जाए. बच्चों के मां बाप कह रहे हैं कि साल भर से उन्हें रोटी के साथ नमक या चावल में नमक डाल कर दिया जा रहा है. क्या यह संभव है कि सिस्टम में किसी को पता न हो. नॉन रेजिडेंट इंडियन अगर ये वीडियो देख लें तो उन्हें कितना दुख होगा. कमाल खान ने बताया कि स्कूल की प्रिंसिपल एक साल से नहीं आ रही हैं. वो इसलिए नहीं आ रही हैं क्योंकि लोग उन्हें छेड़ते हैं. जांच के बाद स्कूल में सस्पेंड किया गया है. ग्राम पंचायत के सचिव को भी सस्पेंड कर दिया गया है. एक साल से प्रिंसिपल स्कूल न आए यह कैसे हो सकता है. 

मगर इसकी नौबत तो आ ही गई है कि इंडियन ऑयल सहित कई तेल कंपनियों ने एयर इंडिया के विमानों को तेल देना बंद कर दिया है. एयर इंडिया के प्रवक्ता ने कहा है कि तेल कंपनियां रांची, मोहाली, पटना, वाइज़ैग, पुणे और कोचिन एयरपोर्ट पर तेल नहीं दे रही हैं. एयर इंडिया पर तेल कंपनियों का 4500 करोड़ का बकाया है. कौन फ्री में तेल देगा. एयर इंडिया तो पापा की ही कंपनी है. यहां पापा का मतलब है सरकार. तो सुब्रमणियन जी बताएं कि एयर इंडिया तेल के लिए किसके पास जाए. भारत का रुपया फिर से कमज़ोर होने लगा है. एक डॉलर का भाव 72 रुपया पार कर गया. पिछले 9 महीने में यह सबसे कम है. 9 अक्तूबर 2018 को एक डॉलर 74 रुपये 55 पैसे का हो गया था. 

अपोलो अस्पताल के कार्यकारी उपाध्यक्ष शोभना कामिनेनी ने कहा है कि अर्थव्यवस्था का ब्लड प्रेशर बहुत हाई हो गया है. एनडीटीवी के श्रीनिवासन जैन से उन्होंने कहा है कि यह चिन्ता की बात है कि मांग बहुत घट गई है. लोग खर्च नहीं कर रहे हैं और यह महामारी की तरह फैल गई है क्या इसका कोई संबंध नोटबंदी से है. द हिन्दू में पूजा मेहरा की एक रिपोर्ट छपी है. ऐसी रिपोर्ट हिन्दी के अखबार और चैनलों में आप कभी नहीं देख पाएंगे क्योंकि इस तरह की रिसर्च और रिपोर्ट करने की क्षमता ही नहीं है. पूजा मेहरा ने सरकार के बनाए एक टास्क फोर्स की रिपोर्ट का अध्ययन किया है और उसके आधार पर रिपोर्ट की है. इसके कई तथ्यों की जानकारी नोटबंदी और उसके बाद के दावों को लेकर अलग समझ पैदा करती है. पिछले साल सितंबर में चार वाल्यूम की यह रिपोर्ट वित्त मंत्री और वित्त सचिव को सौंप दी गई थी. इसके आधार पर पूजा मेहरा की रिपोर्ट कहती है कि नोटबंदी के बाद कंपनियों के निवेश में 60 प्रतिशत घट गया. 2016-17 में कुल 10,33.847 करोड़ का निवेश हुआ. 2017-18 में कुल 4,25,051 करोड़ का निवेश हुआ. 

लेकिन इंफोसिस के चेयरमैन नरायाणमूर्ति ने कहा है कि 300 साल बाद हमारे यहां पहली बार इतना अच्छा आर्थिक माहौल बना है. अब आप कहेंगे कि 300 साल पहले कौन था तो गूगल करें. दिल्ली में मोहम्मद शाह रंगीला का राज था. 1719 में मोहम्मद शाह रंगीला दिल्ली के तख्त पर बैठा था. वैसे यह लैंडमार्क दिलचस्प है. मुगलों के समय दुनिया की जीडीपी में भारत का हिस्सा 24.4 प्रतिशत था. कांटूअर्स आफ वर्ल्ड इकोनमी नाम की किताब है जिसके लेखक एंगर्स मेडिसन हैं. यह भी पहली बार जैसा है जब अलग अलग सेक्टर के लोग अखबारों में विज्ञापन में दे रहे हैं कि उनके यहां संकट गहरा गया है. आपने इंडियन एक्सप्रेस में स्पीनिंग मिल के विज्ञापन देखे होंगे लेकिन यह भी ध्यान रहे कि उससे भी पहले इंडियन टी एसोसिएशन ने टेलिग्राफ में विज्ञापन दिया कि चाय उद्योग की हालत खराब है और सरकार को तुरंत हस्तक्षेप करना होगा. इस सेक्टर से जुड़े दस लाख लोगों के लिए सरकार तुरंत प्रोविडेंट फंड में तीन साल तक कंपनियों का हिस्सा अदा करे. चाय उत्पादन में आपूर्ति बहुत ज़्यादा हो चुकी है इसलिए अगले पांच साल तक नए इलाकों में बागान के विस्तार पर रोक लगाए. इनका कहना है कि सरकार ने इनकी बात सुनी है और 30 दिनों का वक्त मांगा है. 

यही नहीं झारखंड में उद्योग जगत को संकट का सामना करना पड़ रहा है. उम्मीद है वहां की सरकार भी वित्त मंत्री की तरह तत्परता दिखाएगी. वहां के संकट का अंदाज़ा इस बात से है कि परेशान बिजनेसमैन ने मुख्यमंत्री रघुवर दास ने आवास के सामने ही होर्डिंग लगा दी है. रांची में इस तरह के आठ होर्डिंग लगे हैं और राज्य भर में 24 लगाए जाएंगे. लिखा है कि सरकार ने जो प्रयास किए हैं उनका अभी तक कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आ सका है, इसलिए हम मजबूर होकर त्राहीमाम संदेश रखना चाहते हैं. लिखा है कि मान्यवर ये उद्गार हम सभी व्यापारियों के डर को व्यक्त करने के लिए काफी है. हमने अब तक सभी लोकतांत्रिक परंपराओं का पालन किया और हरेक दरवाज़ों को अपने ज्ञापनों, आवेदनों के माध्यम से खटखटाया. लेकिन बड़े अफसोस से कहना पड़ रहा है कि प्रदेश के व्यापारी वर्ग के सामने अब मुखर विरोध प्रकट करने के सिवाय कोई चारा नहीं बचा है. ट्रांसपोर्टिंग का व्यापार, पुलिस अफसर से है लाचार. औद्योगिक क्षेत्र का हाल बुरा है, नाली नाला कचरा से भरा है. हमारे सहयोगी हरबंस ने बताया कि यह होर्डिंग फेडरेशन आफ झारखंड चेंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री ने लगाया है. 

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