नमस्कार मैं रवीश कुमार, सारा ज़ोर इस बात पर है कि किसी तरह से सुषमा स्वराज और वसुंधरा राजे के मामले में मीडिया हांफने लगे और थक कर छोड़ दे। बीजेपी अब इस रणनीति पर चल रही है कि जो कहना था कह दिया गया है। जिनको कहना है वो कहते रहें। कांग्रेस की रणनीति ठीक उलट है। बुधवार दिनभर कांग्रेस नेताओं ने कई राउंड प्रेस कांफ्रेंस किए ताकि कहने के मामले में वो पीछे न रहे।
सबसे पहले उदयपुर में राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रेस कांफ्रेंस कर वसुंधरा राजे को ललित मोदी मामले में घेरा।
उसके बाद दोनों नेताओं को दिल्ली बुलाया गया, लेकिन चेन्नई में होने वाले पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम की प्रेस कांफ्रेस के कारण इनके प्रेस कांफ्रेंस का टाइम आगे बढ़ा दिया गया। जैसे ही चिदंबरम ने प्रेस कांफ्रेंस खत्म की, दिल्ली में सचिन पायलट, अशोक गहलोत और रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस शुरू कर दी। उससे पहले युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं प्रधानमंत्री मोदी के निवास स्थान 7 RCR के पास प्रदर्शन करने पहुंच गए। ऐसा ही एक समय में आम आदमी पार्टी के नेताओं ने किया था। यहां पर पुलिस और कार्यकर्ताओं के बीच खूब घमासान हुआ। कांग्रेस इस मामले में किसी न किसी रूप में अपनी सक्रियता बनाए रखना चाहती है। कांग्रेस गुरुवार को जयपुर में वसुंधरा राजे के इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शन करने वाली है।
इसी बीच गुजरात से ख़बर आने लगी कि सीबीआई कांग्रेस नेता शंकर सिंह वाघेला के ठिकानों पर छापे मार रही है। वाघेला 1700 करोड़ के भूमि घाटोले के मामले में आरोपी हैं। महाराष्ट्र में एनसीपी नेता छगन भुजबल के घर पर भी एंटी करप्शन ब्रांच का छापा पड़ रहा है। दिल्ली से खबर आई कि आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों के खिलाफ आरोप पत्र तैयार हो रहे हैं। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का कहना है कि वसुंधरा और सुषमा मामले से ध्यान भटकाने के लिए यह सब किया जा रहा है। बीजेपी ने भी वघेला मामले पर कांग्रेस को कसकर नहीं घेरा। चेन्नई में पी चिदंबरम ने कहा, सुषमा और ललित मोदी के मामले मोदी सरकार को चैलेंज करते हुए पूछा कि
-वो क्यों नहीं यूपीए सरकार और ब्रिटेन के चांसलर आफ एक्सचेकर यानी वहां के वित्त मंत्रालय के बीच ख़तों के आदान-प्रदान को रिलीज़ कर रही है। इन पत्रों के सार्वजनिक होने से सभी आरोपों का जवाब मिल जाएगा।
चिदंबरम ने पूछा कि सरकार ने प्रवर्तन निदेशालय के समन को लागू कराने के लिए क्या कदम उठाए हैं? क्या एनडीए सरकार एक भारतीय नागरिक को सुरक्षा देने के काबिल नहीं है जिसे ईडी ने समन देकर बुलाया हो?
ललित मोदी का यह कहना कि उन्हें राजनीतिक रूप से फंसाया जा रहा है, हास्यास्पद है। जेटली ने खुद कहा है कि 16 में से 15 मामलों में कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है तो क्या एनडीए सरकार भी ललित मोदी के पीछे पड़ी है।
बीजेपी बार बार कह रही है कि यूपीए ने ललित मोदी को भागने क्यों दिया। चिदंबरम ने इसका जवाब तो नहीं दिया मगर, बीजेपी के इस सवाल से ज़ाहिर होता है कि ललित मोदी भागे हुए हैं। फिर भागे हुए कि दो दो नेताओं ने मदद क्यों की। ललित मोदी तो कहते हैं कि किसी कोर्ट ने भगोड़ा नहीं कहा है। बीजेपी कहती है कि यूपीए ने ललित मोदी को वापस लाने के लिए क्या किया। लेकिन इंडिया टुडे चैनल के राजदीप सरदेसाई ने ललित मोदी से पूछा कि चिदंबरम आपको भारत लाने का प्रयास कर रहे थे तो ललित मोदी ने कहा कि बहुत प्रयास किया।
राजदीप- लेकिन उन्होंने आपको भारत लाने का प्रयास किया। वो चाहते थे कि आप भारतीय अदालतों का सामना करें
ललित मोदी - वो कर नहीं सके क्योंकि कोई कानूनी आधार नहीं था। चिदंबरम ने सिर्फ कोशिश की क्योंकि वे वहां मंत्री थे। क्योंकि मैंने शशि थरूर को बाहर करवा दिया था। वो सिर्फ राजनीतिक बदला ले रहे थे। मेरे ख़िलाफ एक भी कारण बताओ नोटिस नहीं है।
वित्तमंत्री कहते हैं कि 15 मामलों में नोटिस है। ललित मोदी कहते हैं कि कोई नोटिस नहीं है। ललित मोदी कहते हैं कि चिदंबरम फंसा रहे हैं, बीजेपी चिदंबरम पर फंसाने के आरोप नहीं लगाती है।
कौन सच बोल रहा है रामजी जाने। चिदंबरम ने तो यह भी कहा कि ईडी के पास एक ऐसा केस है जिसके आधार पर वो ललित मोदी के ख़िलाफ़ रेड कार्नर नोटिस जारी करा सकता है।
दिल्ली में मोदी सरकार के मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सत्ता जाने के बाद चिदंबरम समझदार हो गए हैं। जब वो वित्त मंत्री थे तब रेड कार्नर नोटिस क्यों नहीं जारी हुआ। रविशंकर ने पूरे मामले को औचित्यहीन करार दिया। दिलचस्प बात यह है कि रविशंकर प्रसाद ने वसुंधरा राजे का सुषमा स्वराज की तरह बचाव नहीं किया। उन्होंने कहा कि उसके बारे में तथ्यों की जानकारी प्राप्त करनी पड़ेगी। वसुंधरा जी और उनकी सरकार इनके बारे में जो उत्तर देना होगा वो तथ्यों पर देगी। टीवी पर जो document आया है उस पर उनके हस्ताक्षर तो नहीं हैं। इसलिए रोज़ नए नए फ्रकरण पर नए नए उत्तर दिए जाएं ठीक नहीं है।
रविशंकर प्रसाद की यह बात ठीक है। अब यह मामला सामने आया है कि सुषमा स्वराज ने लंदन में ललित मोदी से मुलाकात की थी। विदेश मंत्री ने कहा है कि वो एक निजी कार्यक्रम में गईं थी जहां कई लोगों के साथ ललित मोदी भी थे।
पिछले साल अक्तबूर में सुषमा प्रवासी भारतीय दिवस के मौके पर लंदन गईं थीं। वहां होटेलियर जोगिंदर सेंगर ने कुछ लोगों को डिनर पर बुलाया था। NDTV.com पर बरखा दत्त ने लिखा है कि सुषमा स्वराज के दफ्तर के सूत्रों ने NDTV से कहा है कि ललित मोदी से अलग से मुलाकात नहीं रखी गई थी बल्कि वे भी वहां मेहमान के तौर पर आए थे। डिनर में लंदन में भारतीय उच्चायुक्त रंजन मथाई शरीक नहीं हुए थे न ही उन्हें बुलाया गया था।
मंगलवार को वसुंधरा राजे का एक हलफनामा सामने आया जिसमें वे विपक्ष की नेता की हैसियत से ब्रिटेन में ललित मोदी को बसने के लिए दे रही हैं। ललित मोदी ने राजदीप सरदेसाई को साफ साफ कहा कि दस्तखत हैं और कोर्ट में जमा हैं। यह मामला ज़्यादा संगीन है क्योंकि इस दस्तावेज़ में वसुंधरा कह रही हैं कि वे हलफनामा इस शर्त पर दे रही जब भारतीय एजेंसियों को पता न चले। ललित मोदी ने कहा कि इंग्लैंड का कानून है अगर आप चाहेंगे कि किसी को न पता चले तो नहीं सार्वजनिक होगा।
वसुंधरा राजे ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से फोन पर बात की है। देखते हैं कि बीजेपी वसुंधरा राजे का किस तरह बचाव करती है। जिस तरह से आरएसएस ने सुषमा स्वराज का बचाव किया है वैसे वसुंधरा के मामले में कुछ होता दिख नहीं रहा। अशोक गहलोत ने कहा कि दोनों के संबंध पहले से ही उजागर थे। वर्ना किसी की हिम्मत हो सकती है कि रामबाग होटल में बैठकर सौदे करे और मुख्यमंत्री तमाम अधिकारियों को ख़ुद वहां भेजे। वसुंधरा ख़ुद आकर इस्तीफ़ा दें। सत्ता में रहने का नैतिक अधिकार उन्हें नहीं है, प्रधानमंत्री कार्रवाई करें। एक पीआईएल भी दायर हुई है जिसमें आरोप है कि ललित मोदी ने वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह को पौने चार करोड़ रुपये लोन दिए थे। कंपनी के दस रुपये के शेयर को ललित मोदी ने 96000 रुपये में खरीद लिया था।
यूपीए के समय ऐसे वक्त में मनमोहन सिंह को मौन मोहन सिंह कहा जाता था आज कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने प्रधानमंत्री मोदी को मौन मोदी कह दिया। कांग्रेस, सुषमा वसुंधरा के बहाने प्रधानमंत्री पर निशाना साध रही है। कह रही है रोज़ योग के आसन ट्वीट कर रहे हैं इन मामलों पर कुछ बोल क्यों नहीं रहे। पर क्या ये सीरीयस नहीं है कि बीजेपी ने अपने प्रवक्ताओं से कहा है कि वे वसुंधरा राजे का बचाव न करें। प्राइम टाइम
This Article is From Jun 17, 2015
ललित मोदी की मदद बनी मुसीबत
Ravish Kumar
- Blogs,
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Updated:जून 17, 2015 21:29 pm IST
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Published On जून 17, 2015 21:21 pm IST
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Last Updated On जून 17, 2015 21:29 pm IST
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