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This Article is From Jun 19, 2015

बीजेपी का वसुंधरा से पहले किनारा अब बचाव

Ravish Kumar
  • Blogs,
  • Updated:
    जून 19, 2015 21:37 pm IST
    • Published On जून 19, 2015 21:33 pm IST
    • Last Updated On जून 19, 2015 21:37 pm IST
इस पूरे विवाद में कोई विजेता बनकर निकला है तो वह है ललित मोदी। मोन्टिनिग्रो की ख़ूबसूरती ने ललित मोदी की इस जीत में और भी चार चांद लगा दिये हैं। जिस व्यक्ति से जुड़े मामले में छह दिनों तक प्रधानमंत्री बोल नहीं सके, उस व्यक्ति की नज़र से देखिये तो अंतिम अट्टाहास का अधिकारी वही है।

दो दो सरकारों के दौर में भी ललित मोदी विजेता की तरह मुस्कुरा रहे हैं। उन पर किसी भी अदालत में कोई आरोप साबित नहीं हुआ है इसलिए उनकी तुलना फिल्मों के किसी आलीशान खलनायक से बिल्कुल ही नहीं कर सकते हैं।

मगर पांच साल से भारत आने से मना कर रहे ललित मोदी के सामने नायक छोड़िये कोई सिंघम या शिंडे जैसा दारोगा भी नहीं जो उनके बिंदास चेहरे पर पल भर के लिए ख़ौफ पैदा कर दे। वे वहां किंग साइज़ लाइफ़ जी रहे हैं और ये यहां उन्हें लेकर प्यादे की तरह भिड़ रहे हैं। यूपीए की सरकार को चार साल मिला, एनडीए की सरकार के एक साल से ज़्यादा हो गए मगर ललित मोदी बेख़ौफ़ हैं।

अगर ललित निर्दोष हैं तो कम से कम इंसाफ का तकाज़ा इतना तो बनता ही है कि जिन लोगों ने मासूम और बेकसूर ललित को मां भारती की मिट्टी से दूर किया है उनके ख़िलाफ़ मामला दर्ज हो और उन्हें जेल भेजा जाए। यह भी तो कोई नहीं कहता। क्या आपने ऐसा कुछ बयान सुना कि इंतज़ार कीजिए महीने दो महीने में ललित मोदी को प्रवर्तन निदेशालय और राजस्व इंटेलिजेंस निदेशालय के दरवाज़े पर ला देंगे।

बल्कि बीजेपी के उपाध्यक्ष श्याम जाजू ने निधि कुलपति के कार्यक्रम में कहा, 'ललित मोदी कानून की अनुमति लेकर वहां उपलब्ध हैं। ईडी के लिए उपलब्ध हैं। भगोड़ा किसे कहा जाता है। जो उपलब्ध नहीं है उसे कहा जाता है। वो कोर्ट की अनुमति से उपलब्ध हैं। ईडी ने शिकायत नहीं की है कि वो हमारे लिए उपलब्ध नहीं हैं। अब उसको जांच कहां रहकर करनी है, कहां नहीं, कानून उसको इसकी स्वतंत्रता देता है।

श्याम जाजू बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। तो क्या मोदी सरकार यह भी मानती है कि ललित मोदी कानून की दी हुई स्वतंत्रता के तहत लंदन में हैं। उनका वहां होना ग़लत नहीं है। क्रिकेट की दुनिया के जानकार ठीक ही कहते हैं कि ललित मोदी पर हाथ डालना आसान नहीं है। ललित मोदी के एक ट्वीट से कांग्रेस के एक मंत्री का इस्तीफा हो जाता है, एक बयान से सुषमा के साथ-साथ वसुंधरा राजे शक के घेरे में आ जाती हैं मगर ललित मोदी को कोई चुनौती नहीं देता। लिखते रहिए ललित निबंध मगर उनके ललित प्रबंध के सामने सब फीका। वसुंधरा राजे के मामले पर बीजेपी ने अपनी चुप्पी तोड़ दी।

दिल्ली में पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुंधाशु ने कहा कि वसुंधरा जी ने ये बात स्वीकार की है कि श्री मोदी जी के साथ उन लोगों के नज़दीकी पारिवारिक संबंध थे। इस विषय को उन्होंने कभी deny नहीं किया। दस्तावेज़ों की प्रमाणिकता अभी तक सत्यापित नहीं है। दूसरा, जो उनके पुत्र और भाजपा सांसद श्री दुष्यंत के कंपनी में निवेष का विषय है, तो ये कोई नया विषय नहीं है। ये सारे तथ्य इनकम टैक्‍स के रिटर्न में और सांसद का नामांकन भरते समय उनके हलफनामे में स्वतः स्पष्ट है। तो ये चीज़ पहले से ही सार्वजनिक संज्ञान में है। यहां तक कि इस विषय को उच्च न्यायलय के भी संज्ञान में लाया गया और उसने उसे विचारणीय नहीं माना था।

परिवारवाद और पारिवारिक संबंध एक है या अलग-अलग ये आप संस्कृत और हिन्दी के टीचर से पूछ लीजिएगा। राजनीति में परिवारवाद एक मुद्दा है लेकिन पारिवारिक संबंध लगता है कि सर्टिफिकेट हो गया है। इस लिहाज़ से पारिवारिक संबंध ख़ानदानी न होते हुए भी कुछ कानूनी टाइप लगता है। अगर वसुंधरा राजे और ललित मोदी के पारिवारिक संबंध हैं तो दोनों हलफनामे के बारे में अलग-अलग क्यों बोल रहे हैं।

वसुंधरा ने उस हलफनामे के बारे में एक ही लाइन कहा है कि मुझे नहीं पता। ललित मोदी कहते हैं कि वो तो लंदन की कोर्ट में जमा है। पता नहीं क्यों इनकार कर रही हैं। क्या पारिवारिक संबंध बता देने से यह जवाब मिल जाता है कि नेता विपक्ष की हैसियत से वसुंधरा राजे ने भारतीय एजेंसियों को न पता चलने की शर्त पर हलफनामा क्यों दिया। क्या बीजेपी यह मानती है कि हलफनामा देना ग़लत नहीं है। हलफनामा दिया गया है इसकी जांच कौन करेगा। बीजेपी को इसमें कुछ भी भ्रष्टाचार नहीं दिखता है। सुंधाशु त्रिवेदी ने कहा ललित मोदी का भ्रष्टाचार किसके काल में हुआ। सुंधाशु जी के इस बयान से जब भ्रष्टाचार हुआ है तब इस आधार पर वसुंधरा का ललित मोदी के साथ पारिवारिक संबंध निभाने के नाम पर हलफनामा देना क्या भ्रष्टाचारी को बचाना नहीं है।

बीजेपी कहती है कि कांग्रेस का सवाल करना हास्यास्पद है। कांग्रेस रोज़ प्रवक्ता बदल-बदल कर वही सवाल कर रही है। शुक्रवार को जयराम रमेश ने पूछा कि 5 दिनों में पार्टी ने 34 सवाल पूछे हैं। जयराम रमेश प्रधानमंत्री के योग के आसनों के ज़रिये निशाना बनाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के मौन की दहाड़ सारा देश सुन रहा है।

हम उम्मीद करते हैं कि योग दिवस के बाद प्रधानमंत्री जो एक आसन में बैठे हुए हैं, कान बंद है, नाक बंद है, आंख बंद है, मुंह बंद है। एक साथ। इसका नाम ललितासन है। जो ललितासन पर बैठे हुए हैं पिछले चार दिनों से, हम उम्मीद करते हैं कि प्रधानमंत्री अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के बाद ललितासन से असली दुनिया में पधारेंगे। रमेश ने कहा कि ललित मोदी कांड का मामला ग़लत व्यवहार का नहीं बल्कि अंदरूनी सांठ गांठ का मामला है। छोटा मोदी और बड़ा मोदी में नेक्सस है। रमेश अपने आरोप में उद्योगपति गौतम अडानी को घसीट लाए और गुजरात क्रिकेट संघ में जो प्रधानमंत्री, अमित शाह और गौतम अडानी के बीच नेक्सस बना था वो फूल बनकर खिल रहा है। प्रधानमंत्री भी इसमें शामिल हैं। सीपीएम नेता वृंदा करात ने भी इसी तरह का एक लेख इंडियन एक्सप्रेस में लिखा है।

कांग्रेस कहती है कि मोदी सरकार और मानसून सत्र बचाने के लिए एक ही रास्ता है। इस्तीफा। बीजेपी ने कह दिया है कि इस्तीफा नहीं होगा। राजस्थान बीजेपी ने दुष्यंत सिंह की कंपनी में ललित मोदी के साथ हुए लेन देन को सही बताया और कहा कि इनकम टैक्स में पैसे को दिखाया गया है और टीडीएस दिया गया है। क्या पारिवारिक संबंध और कांग्रेस पर आरोप लगा देने से मान लिया जाए कि बीजेपी ने अंतिम जवाब दे दिया है?

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