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This Article is From Aug 13, 2015

अभिषेक शर्मा : सीसीटीवी से डरना जरूरी है!

Abhishek Sharma
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अगस्त 13, 2015 14:07 pm IST
    • Published On अगस्त 13, 2015 14:04 pm IST
    • Last Updated On अगस्त 13, 2015 14:07 pm IST
बीते दिनों तीन-चार बड़ी वारदातें हुईं, जो सीसीटीवी में कैद हैं। 11 तारीख को चैंबूर में एक दुकानदार पर हमला हुआ। तेजधार हथियार से दुकानदार को वसूली करने वाली गैंग ने निशाना बनाया। दुकानदार बच गया। शुक्र था कि ग्राहक में दम था, जो उसने हमलावर को पकड़ लिया। सारी वारदात कैमरे में कैद हुई। दुकानदार ने हमें भी बताया कि कैसे जबरन वसूली वालों की शिकायत के बाद भी पुलिस चुप बैठी रही। अब जब सीसीटीवी सामने है, पुलिस वालों की सिट्टी-पिट्टी गुम है। बड़े अफसरों ने फुटेज देखा तो आनन-फानन में गिरफ्तारियां करवा डाली। सीसीटीवी ने चैंबूर की पुलिस के सच को सबके सामने ला दिया।

एक और पुलसिया वारदात मढ़ में हुई थी। जहां पुलिस ने कई प्रेमी जोड़ों को होटल से निकाला और थाने ले आई। पुलिस की ये सारी हरकतें सीसीटीवी में कैद हुईं। होटल मालिकों ने हमारे साथ साझा की। हमने दर्शकों को दिखाईं। पुलिस वालों ने भी देखी और एक्शन शुरु हो गया। पुलिस वालों की जांच चल रही है। अगर सीसीटीवी ना होता, तो पुलिस वालों की कारगुजारी साबित कर पाना नामुमकिन था।

एक और सीसीटीवी नवी मुंबई का भी आया। जहां रास्ते पर फिल्मी कारनामा करता हुआ मुंब्रा का एक शख्स दिखा। जो कार में सवार था। वाल्वो के ड्राइवर के साथ मुंब्रा में रहने वाले ड्राइवर की कहासुनी हुई। दोनों की मार-पिटाई हुई। लेकिन कार ड्राइवर ने भागने की कोशिश की, तो दूसरा ड्राइवर उसके वायपर से लटक गया। पूरी वारदात कैमरे में कैद हुई। हीरोगिरी करने वाला कार ड्राइवर पुलिस की गिरफ्त में है। सीसीटीवी ना होता तो कहां पता चलता कि हमारी सड़कों पर कैसे-कैसे कारनामे हो रहे हैं, कैसे दो पल का गुस्सा किसी की जिंदगी को खतरे में डाल सकता है।

मैं इतने सारे सीसीटीवी कैमरों की बात इसलिए कर रहा हूं, क्योंकि अब इससे अपराधी से ज्यादा पुलिस डरने लगी है। उसे चिंता होने लगी है कि कहीं उसकी नाकामी किसी कैमरे में कैद ना हो गई हो। सीसीटीवी और ट्रैफिक महकमे के कैमरे ही हैं, जिसने मुंबई की सड़कों पर पुलिस की वसूली कम कर दी है। अब सिपाही उन जगहों पर खड़े होकर वसूली नहीं करते, जहां कैमरे की जद हो।

अगर मुंबई हाईकोर्ट की बात मान ली गई, तो आने वाले दिनों में ऐसे ही सीसीटीवी पुलिस थानों में नज़र आएंगे। बस कल्पना करके देखिये कि कैसे चंद कैमरे हमारे सार्वजनिक जीवन को बदल सकते हैं? कैसे सड़क पर होने वाले इंसाफ के खिलाफ सबूत जुटा सकते हैं...और कैसे जड़ होते जा रहे सिस्टम को थोड़ा बहुत हिला सकते हैं। सीसीटीवी है, तो डरना जरूरी है।

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