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This Article is From Feb 23, 2016

आपको आरक्षण कैसे मिलेगा, आइये सीखें

Manish Sharma
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    फ़रवरी 23, 2016 12:55 pm IST
    • Published On फ़रवरी 23, 2016 12:42 pm IST
    • Last Updated On फ़रवरी 23, 2016 12:55 pm IST
सबसे पहले संगठित हों। संगठित होंगे तभी तो वोट बैंक बनेंगे। इसका फायदा यह होगा कि कोई भी राजनैतिक दल आपके आरक्षण की मांग का विरोध नहीं करेगा। भारत के लिए वर्ल्ड बैंक उतना ज़रूरी नहीं, जितना कि वोट बैंक है जिसमें हर दल सेविंग करना चाहता है।

सरकार को ज्ञान देते हुए कि इस देश में संविधान सर्वोच्च नहीं बल्कि सरकार है, अपनी जाति के लिए आरक्षण की मांग कीजिये। संविधान भले ही आपको आरक्षण की इज़ाज़त नहीं देता हो, लेकिन सरकार चाहे तो वह आपके आरक्षण पर बाधा बनने वाले संविधान को भी बदल सकती है।

मांग न माने जाने पर आंदोलन की धमकी दीजिये। अहिंसक आंदोलन तो गांधीजी के साथ चले गए। सरकार का भी इतना खुला दिल है कि तीस-चालीस हज़ार करोड़ के नुकसान का उसको कतई फर्क नहीं पड़ता।

सरकारी और गैर सरकारी सम्पति में कोई भेदभाव मत कीजिये। जो भी दिखे, उसे आग की भेंट कर दें भले ही वह ग़रीब के परिवार की रोज़ी-रोटी का एकमात्र साधन हो।

रेल को भारत की 'लाइफलाइन' भी कहा जाता है। इस 'लाइफलाइन' पर तम्बू लगाकर पूरे गांव सहित बस जाएं। 100 परसेंट ब्लॉकेज कर दें कि बायपास सर्जरी का विकल्प भी न बचे।

नेशनल और स्टेट हाइवेज को बंद कर दीजिये। भले ही कई जानें मेडिकल सहायता मिले बिना ही एम्बुलेंस में दम तोड़ दें।

अगर आप दिल्ली के आसपास रहते हैं तो कहना ही क्या। दिल्ली को जाने वाली सुविधाओं को रोक दीजिये। इससे आपके आंदोलन को ज़्यादा से ज़्यादा मीडिया कवरेज मिलेगा।

इतना उपद्रव कीजिये कि सरकार को मजबूरन सेना बुलानी पड़े। पुलिस और सेना पर हमला कीजिये ताकि वे गोली चलाएं और हमे दो-चार आंदोलन के शहीद मिल सकें।

मीडिया के सामने अपने आप को मासूम और बेगुनाह बताइये। कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए पुलिस और सेना की कार्रवाई को सरकार की तानाशाही और लोकतंत्र पर हमला बताएं।

अब सरकार आपकी मांगें मानने के लिए तैयार हो चुकी होगी। बार्गेनिंग पावर आपके हाथ में है, आरक्षण के साथ-साथ इस आंदोलन में हुए नुकसान के मुआवजे की मांग करें भले ही नुकसान आपने पहुंचाया हो। पुलिस की गोली से मरने वाले उपद्रवियों को शहीद के दर्जे की मांग कीजिये और उनके परिवार के लिए सरकारी नौकरी की मांग कीजिये।

मनीष शर्मा एनडीटीवी इंडिया में सीनियर रिसर्चर हैं...

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है। इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।

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