महावीर रावत की कलम से : सिर्फ़ क्रिकेट नहीं 'पिंक' टेस्ट

नई दिल्ली:

पिछले 10 साल से क्रिकेट कैलेंडर में सिडनी टेस्ट मैच हमेशा खास होता है। वैसे तो टेस्ट क्रिकेट सफेद कपड़ों में खेला जाता है, लेकिन इस दिन पूरे खेल पर गुलाबी रंग छाया रहता है।

इसके पीछे की कहानी भी खास है। ऑस्ट्रेलिया के पूर्व तेज़ गेंदबाज़ ग्लैन मैक्ग्रा की शादी जेन से हुई। 1997 में दोनों का पता चला कि जेन मैक्ग्रा को स्तन यानी ब्रेस्ट कैंसर है। दोनों ने इस बीमारी से हार मानने की बजाय कैंसर से ऐसी लड़ाई लड़ने का मन बनाया जो दूसरों के लिए एक सबक बने। दोनों ने मैक्ग्रा फाउंडेशन के स्थापना की, जिसका काम लोगों में ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाना था।

22 जून 2008 को कैंसर से लड़ते लड़ते जेन मैक्ग्रा की मौत हो गई, मगर ग्लैन मैक्ग्रा ने इस बीमारी के खिलाफ़ अपनी लड़ाई बरकरार रखी है। सिडनी टेस्ट मैच को उसके बाद मैक्ग्रा फाउंडेशन के नाम किया गया।

इस मैच के दौरान दर्शक पूरे टेस्ट मैच के दौरान पिंक यानी गुलाबी रंग के कपड़े पहन कर आते हैं। इतना ही नहीं ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम भी कभी पिंक बैगी टोपी पहन कर तो कभी पिंक बाजू की पट्टी पहन कर तो कभी अपने बल्ले की ग्रिप को गुलाबी रंग का रखकर इस मुहीम का हिस्सा बनते हैं।

पांच दिनों के दौरान लोग मैक्ग्रा फाउंडेशन को खुल कर दान देते हैं, जिससे ब्रेस्ट कैंसर के खिलाफ़ जंग लड़ने में मदद होती है।
क्रिकेट को किसी खास मकसद से कैसे जोड़ा जाता है इस चीज़ का ये बेहतरीन नमूना है।

सिडनी पिंक टेस्ट ऑस्ट्रेलिया में ब्रेस्ट कैंसर से लड़ाई का एक बेहतरीन ज़रिया बन गया है और खेल की मदद से लोग इस बीमारी से लड़ने एक साथ हो गए हैं।

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अफ़सोस की भारत में कभी ऐसा करने की कोई कोशिश नहीं हुई। क्रिकेट की दूनिया में 80 फीसदी पैसा भारत से आता है। ये देश खेल के प्रति अपनी दीवनगी के लिए जाना जाता है, लेकिन फ़िर भी कभी किसी ने इस खेल के ज़रिए समाज की किसी बुराई से लड़ने की कोशिश नहीं की।