लालू यादव बुधवार को अपना 79वां जन्मदिन मना रहे हैं. अपने जीवन में उन्होंने गोपालगंज की गलियों से लेकर दिल्ली की रायसीना हिल्स तक का सफर पूरा किया, जो पटना के 1, अणे मार्ग यानि मुख्यमंत्री आवास से होकर गुजरा. यही नहीं एक वक्त ऐसा भी आया, जब लालू यादव भारत के प्रधानमंत्री होते-होते रह गए थे. लालू यादव के तमाम वीडियो सोशल मीडिया पर उपलब्ध हैं, उनकी वाक पटुता, उनके ह्यूमर से सब वाकिफ हैं. चाहे वो संसद हो या विधानसभा या फिर कोई प्रेस कॉफ्रेंस या फिर कोई रैली.
राजनीति के सभी दावपेंच बखूबी इस्तेमाल करते रहे हैं लालू
तीन दशकों से लालू यादव को जानने के बाद मैं इतना कह सकता हूं कि वे बड़े सीरियस किस्म के नेता हैं, राजनीति के सभी दावपेंच को बखूबी इस्तेमाल करते रहे और विरोधियों को चित करते रहे. अपने आप पर यदि लालू यादव को भरोसा नहीं होता, तो बिहार के मुख्यमंत्री रहते हुए लाल कृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार नहीं कर पाते और गिरफ्तारी के बाद आडवाणी जी को सम्मान के साथ गेस्ट हाउस में रखा.

एक दिन में 16 से 18 रैलियां करते थे लालू
लालू यादव के तमाम किस्से आपने सुने होंगे, देखे होंगे मगर एक किस्सा जो आपने कभी सोचा भी नहीं होगा. दस साल पुरानी बात है चुनाव का वक्त था मैं लालू यादव की रैलियों को कवर कर रहा था, दुर्गापूजा का समय था, मगर लालू यादव लगातार रैलियां कर रहे थे. एक दिन उनके साथ हेलीकॉप्टर में जाने का मौका मिला. लालू यादव एक दिन में 16 से 18 रैलियां कर रहे थे. एक जगह जहां लालू यादव को पहुंचना था, वो जगह मिल नहीं रहा था. हेलीकॉप्टर बहुत नीचे उड़ान भर रहा था, पायलट काफी दबाव में थे, क्योंकि लालू काफी नाराज हो रहे थे कि समय खराब हो रहा है और वो सभा तक पहुंच नहीं पा रहे हैं.

विरोधी पार्टी की रैली में लालू ने दिया भाषण
इतने में एक मैदान दिखा, जहां एक सभा स्थल भी था, थोड़ी भीड़ भी थी. लालू यादव ने कहा कि यही है नीचे उतारो और नजदीक पहुंचे तो देखा कि वहां लालू यादव के विरोधी पार्टी का झंडा लगा था, सबने कहा कि ये हमारी मीटिंग की जगह नहीं है, मगर लालू जी ने कहा यहीं उतारो. पायलट ने चॉपर वहीं उतार दिया. बाकी लोग आरजेडी के सभा स्थल का लोकेशन ढूंढने में लग गए, मगर तब तक लालू यादव उस विरोधी पार्टी की सभा के मंच पर पहुंच चुके थे. वहीं इकट्ठा भीड़ लालू जी को देखकर तालियां बजाने लगी.

लालू की बात सुन विरोधी समर्थकों ने भी बजाई ताली
लालू जी ने कहा देखिए हम यहां आ गए हैं. हम अपनी सभा स्थल ढूंढ रहे थे, मगर अब जब हम आ गए हैं तो हमारा बात भी सुन लीजिए, जब आपका नेता आएगा तो उसकी बात भी सुन लीजिएगा. लोगों ने फिर ताली बजा दी और लालू यादव शुरू हो गए. करीब 10 मिनट तक बोलते रहे, तब तक उनके सर्मथक भी आ गए और उनके सभा स्थल का पता भी मालूम हो गया. लालू यादव ने लोगों का धन्यवाद किया और उनसे अपनी पार्टी के लिए वोट मांगा और अपने सभा स्थल के लिए निकल पड़े. ये हैं लालू यादव.

गवई अंदाज में की गरीब गुरबों की राजनीति
मुझे नहीं लगता भारत के किसी भी नेता में इतना आत्मविश्वास होगा कि वो विपक्षी पार्टी के झंडा बैनर लगे मंच पर पहुंचकर भाषण दे दे. अपनी बात कहे और अपनी पार्टी के लिए वोट मांग ले. ये करिश्मा या दुस्साहस केवल लालू यादव ही कर सकते हैं. लालू प्रसाद यादव ने अपने अंदाज में बिहार की सरकार चलाई. अपने गंवई अंदाज में गरीब गुरबों की राजनीति की. आप उनकी आलोचना कर सकते हैं, चारा घोटाले की बात कर सकते हैं, जंगल राज का जिक्र कर सकते हैं, मगर इस सबसे बहुत बड़ी सच्चाई ये है कि लालू यादव ने बिहार में समाज के बहुत बड़े तबके को आवाज दी और लोगों को उन लोगों के साथ खटिया पर बराबरी से बैठने की ताकत दी, जो एक समय में उनके सामने जमीन पर बैठते थे.
मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में मैनेजिंग एडिटर हैं...
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